बाल विवाह की सूचना पर आ रहे जवाब- माफ करें, मैं नहीं रूकवा सकता विवाह | Wrong number on site of Women and Child Development Department | Patrika News

115

बाल विवाह की सूचना पर आ रहे जवाब- माफ करें, मैं नहीं रूकवा सकता विवाह | Wrong number on site of Women and Child Development Department | Patrika News

जैसे ही आप साइट पर लिखे नंबर पर फोन लगाएंगे, उधर से जवाब आता है माफ करें, मैं नहीं रूकवा सकता बाल विवाह।

भोपाल

Published: April 25, 2022 03:44:36 pm

भोपाल. महिला एवं बाल विकास विभाग की साइट पर मौजूद नंबर पर अगर कोई फोन लगाकर बाल विवाह की सूचना देता है, तो सामने से मिलने वाला जवाब व्यक्ति को चुप कर देता है, जैसे ही आप साइट पर लिखे नंबर पर फोन लगाएंगे, उधर से जवाब आता है माफ करें, मैं नहीं रूकवा सकता बाल विवाह। दरअसल साइट पर लिखा ये नंबर छत्तीसगढ़ के किसी व्यक्ति का है, जो बार बार बाल विवाह रूकवाने के फोन आने से परेशान हो चुका है।

बाल विवाह की सूचना पर आ रहे जवाब- माफ करें, मैं नहीं रूकवा सकता विवाह

राज्य सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग की वेबसाइट पर संपर्क करने वाले पेज पर यदि आप संयुक्त संचालक डॉ. प्रज्ञा अवस्थी से बात करना चाहते हैं तो कोशिश नाकाम साबित होगी। इनके नाम के सामने दर्ज नंबर पर बात करने पर आपको जवाब मिलेगा कि वे प्रज्ञा अवस्थी नहीं हैं। न ही वे बाल विवाह रुकवा सकते हैं। दरअसल, उनका नाम के आगे जो नंबर है वह मेडम की अपेक्षा रायपुर (छत्तीसगढ़) के एक शख्स के पास लगता है, इससे वे काफी परेशान हो गए हैं।

ये शख्स काफी समय से परेशान हैं, उन्हें दिनभर में न जाने कितने फोन आ जाते हैं, वे हर किसी को यही कहते हैं कि उन्हें नहीं पता कि उनका नंबर कैसे वहां दर्ज हो गया। वे कैसे हटवाएं?

बाल विवाह रोकने की जिम्मेदारी प्रमुख रूप से महिला एवं बाल विकास विभाग की है। पत्रिका ने विभाग के संचालक डॉ. आरआर भोसले से संपर्क करने फोन नंबर 7552550909 पर संपर्क किया तो अमान्य आया। पता चला कि बाल विवाह से जुड़े मामले संयुक्त संचालक डॉ. प्रज्ञा अवस्थी देखती हैं। उनसे संपर्क करने की कोशिश की तो रायपुर से किसी अनजान शख्स ने फोन उठाया। उन्होंने नंबर हटवाने का आग्रह किया।

बालिका वधू से बचीं 1100 मासूम

उधर, प्रशासन की ओर से 14 महीने में 1100 मासूमों को बालिका वधू बनने से रोकने का दावा है। महिला एवं बाल विकास विभाग के आंकड़े बताते हैं कि सबसे ज्यादा खराब हालात सागर संभाग (बुंदेलखंड) के हैं। प्रदेश में 15 अप्रेल से शादियों का दौर शुरू हो चुका है। 3 मई को अक्षय तृतीया है। इस दिन सबसे ज्यादा विवाह होते हैं। इनमें बाल विवाह भी होते हैं।

यह भी पढ़ें : जनरल टिकट से कर सकेंगे यात्री एक्सप्रेस और सुपरफास्ट ट्रेनों में सफर

कागजों पर तैयारी

जिम्मेदार हर साल कागजों पर ही बाल विवाह रोकने की तैयारी कर लेते हैं। वर्षों पहले गठित टास्क फोर्स को हर साल कलेक्टर हस्ताक्षर कर अपडेट कर देते हैं। बाल विवाह की रोकथाम को लेकर बाल आयोग के सदस्य ब्रजेश चौहान का कहना है कि अक्षय तृतीया और अन्य सामूहिक विवाह सम्मेलन जो निजी संस्थानों द्वारा किए जाते है, ऐसे में वहां कुछ जिलों में बाल विवाह की आशंका रहती हैं।

newsletter

अगली खबर

right-arrow



उमध्यप्रदेश की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – Madhya Pradesh News