भारतीय टीम आई तो जलाकर खाक कर दूंगा… 1965 की हार और बौखलाए जुल्फिकार अली भुट्टो

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भारतीय टीम आई तो जलाकर खाक कर दूंगा… 1965 की हार और बौखलाए जुल्फिकार अली भुट्टो


भारतीय टीम आई तो जलाकर खाक कर दूंगा… 1965 की हार और बौखलाए जुल्फिकार अली भुट्टो

पाकिस्तान 1971 तक ओलिंपिक में दो गोल्ड मेडल जीत चुका था और हॉकी में भारत के बाद दूसरा सबसे मजबूत देश बनता दिख रहा था। तब तक 7 ओलिंपिक गोल्ड (आजादी के बाद 4) जीत चुके भारत की छांव से आगे निकलने की कोशिश कर रहा था। टीम का कोई खिलाड़ी हो, राजनेता हो या आर्मीमैन, भारत से टकराने और नीचा दिखाने का कोई मौका नहीं छोड़ते थे। हॉकी के पहले विश्व कप-1971 की मेजबानी में पाकिस्तान को मिली थी और उसे भारतीय टीम किसी भी कीमत पर अपनी सरजमी पर नहीं चाहिए थी। यह 1965 जंग में हार की बौखलाहट ही थी कि तत्कालीन विदेश मंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो चेतावनी जारी करते हुए कहा- भारत आया तो सब कुछ जलाकर खाक कर दूंगा।

जंग में हार से बौखलाए भुट्टो ने कहा- भारत आया तो आग लगा दूंगा

वर्ल्ड कप 1971 की शुरुआत में शेड्यूल था, लेकिन जुल्फिकार अली भुट्टो के इस आग उगलते बयान ने इंटरनेशनल लेवल पर पाकिस्तान की इज्जत का कबाड़ा कर दिया। 1971, 1973 और 1975 विश्व कप के लिए भारतीय टीम में शामिल रहे हरचरण सिंह ने इस बारे में कहा था- पाकिस्तान के विदेश मंत्री भुट्टो ने कहा कि अगर भारत विश्व कप खेलने पाकिस्तान आया तो स्टेडियमों की घास में आग लगा दूंगा। सब कुछ खाकर कर दूंगा। उनके इस बयान के बाद इंटरनेशनल हॉकी फेडरेशन ने तुरंत एक्शन लेते हुए टूर्नामेंट को स्पेन में कराने का फैसला किया।

भारत इस बार एशियन हॉकी चैंपियंस ट्रॉफी की मेजबानी कर रहा है। घरेलू सर्किट पर टीम इंडिया टूर्नामेंट में अविजित है (एक मैच ड्रॉ) हैं, जबकि पाकिस्तान की हालत बुरी है। उसे मलेशिया ने 3-1 से हराया तो भारत ने मलेशिया को 5-0 से हराया। अब इन दोनों के बीच 9 अगस्त को मुकाबला है, जिसमें माना जा रहा है कि टीम इंडिया के तूफान में पाकिस्तान के हौसले और सेमीफाइनल की उम्मीदें दोनों चकनाचूर हो जाएंगी।

एशियन चैंपियंस ट्रॉफ: भारत vs पाकिस्तान

जुल्फिकार अली भुट्टो को डर था- अपनी जमीन पर पाकिस्तान हार न जाए
जुल्फिकार अली भुट्टो का यह बयान सिर्फ इसलिए नहीं था कि उसे 1965 की जंग में भारत से शर्मनाक हार मिली थी, बल्कि उन्हें डर था कि कहीं पाकिस्तान अपनी सरजमीं पर हार न जाए। भारतीय टीम तब तक ओलिंपिक में 7 गोल्ड मेडल जीत चुकी थी। 1928, 1932, 1936 यानी आजादी से पहले और फिर 1948, 1952, 1956, 1964 में यानी आजादी के बाद। इस तरह भारत हॉकी की दुनिया में धूमकेतु की तरह चमक रहा था। 1965 की जंग में हारने के बाद खुद की सरजमीं पर हॉकी में हार का मतलब था कि पब्लिक का बड़ा विरोध झेलना। लोग आक्रामक थे और जो भारत के खिलाफ था वो उनका हीरो था। गृहयुद्ध जैसा माहौल भी बन सकता था।

पाकिस्तानी आवाम के बीच हीरो बनने की सनक और सत्ता की लालच
आजादी के बाद से ही पाकिस्तानी नेताओं, खिलाड़ियों और सेलिब्रिटीज के बीच हीरो बनने की सनक सवार रही है। इसका सबसे सस्ता हथकंडा होता है भारत को टारगेट करना। कश्मीर के नाम पर न जाने कितनी सरकारें गिरीं और बनीं, लेकिन आज भी यह मुद्दा पाकिस्तान में सत्ता बनाने की सबसे बड़ी चाबी है। भुट्टो ने अपनी राजनीतिक करियर में भारत के खिलाफ बयानों से सफलताओं की खूब रोटियां सेकीं। यही वजह है कि वह कतई नहीं चाहते थे कि उनकी सरकार के दौरान भारत से पाकिस्तान हारे और फिर उन्हें अपने लोगों के बीच ही जलालत झेलनी पड़े।

छिन गया सबसे बड़ा सम्मान
किसी भी खेल का विश्व कप जैसा बड़ा टूर्नामेंट आयोजित करना किसी भी देश के लिए बड़ा सम्मान होता है। इंटरनेशनल लेवल पर उसकी साख बनती है। खासकर पाकिस्तान के लिए अपनी छवि सुधारने का बेहतरीन मौका था, लेकिन भुट्टो के बयान के बाद मेजबानी स्पेन को मिल गई। इस तरह जब भी हॉकी वर्ल्ड कप की बात होती है तो पहले मेजबान के रूप में स्पेन का नाम लिया जाता है, जबकि अगर पाकिस्तान, भारत को आंख नहीं दिखाता तो यहां उसका नाम होता पाकिस्तान ने यह विश्व कप जीता जरूर, लेकिन उसे उतना सम्मान नहीं मिला, जितना विश्व चैंपियन टीम को मिलता है। इसी वर्ष उसके और भारत के बीच जंग हुई और पाकिस्तान को घुटनों पर आना पड़ा। इंडियन आर्मी ने घर में घुसकर मारा और 1971 की जंग से पाकिस्तान से बांग्लादेश का उदय हुआ।

खैर, भारत इस बार एशियन हॉकी चैंपियंस ट्रॉफी की मेजबानी कर रहा है। घरेलू सर्किट पर टीम इंडिया टूर्नामेंट में अविजित है (एक मैच ड्रॉ) हैं, जबकि पाकिस्तान की हालत बुरी है। उसे मलेशिया ने 3-1 से हराया तो भारत ने मलेशिया को 5-0 से हराया। अब इन दोनों के बीच 9 अगस्त को मुकाबला है, जिसमें माना जा रहा है कि टीम इंडिया के तूफान में पाकिस्तान के हौसले और सेमीफाइनल की उम्मीदें दोनों चकनाचूर हो जाएंगी।
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