भारत-चीन के बीच बातचीत फेल, देपसांग में दौलतबेग ओल्‍डी के पास सैन्‍य ठिकाने बना रहा ड्रैगन

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भारत-चीन के बीच बातचीत फेल, देपसांग में दौलतबेग ओल्‍डी के पास सैन्‍य ठिकाने बना रहा ड्रैगन

हाइलाइट्स

  • भारत और चीन के बीच 14 वें दौर की बातचीत बिना किसी सकारात्‍मक परिणाम के आए फेल हो गई है
  • दोनों ही देशों ने लद्दाख विवाद को आपसी स्‍वीकार्य तरीके से सुलझाने के लिए काम करने का फैसला किया
  • सैटलाइट तस्‍वीरों से खुलासा हुआ है कि चीन भारत के दौलतबेग ओल्‍डी के पास किलेबंदी को मजबूत कर रहा

बीजिंग/नई दिल्‍ली
भारत और चीन के बीच 14 वें दौर की बातचीत चीन के अड़‍ियल रुख के कारण बिना किसी सकारात्‍मक परिणाम के आए फेल हो गई है। दोनों ही देशों ने लद्दाख में एलएसी पर विवाद को आपसी स्‍वीकार्य तरीके से सुलझाने के लिए काम करने का फैसला किया है। भारत- चीन के बीच जल्‍द ही एक और दौर की बातचीत होगी। इस बीच सैटलाइट तस्‍वीरों से खुलासा हुआ है कि चीन भारत के दौलतबेग ओल्‍डी के पास देपसांग से सटे इलाके में अपनी किलेबंदी को मजबूत करने के लिए बंकर बना रहा है।

सैटलाइट तस्‍वीरों के मुताबिक साल 2020-21 के बीच में देपसांग में चीन की सेना पीएलए की ओर से बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य को अंजाम दिया गया है। कई छावनी और सैनिकों के रहने के स्‍थान बनाए गए हैं। इससे चीन की देपसांग और उससे सटे इलाके पर पकड़ और मजबूत हो गई है। इस इलाके में बड़े पैमाने पर चीनी सैनिक तैनात हैं। इस बीच विवाद के हल के लिए हुई बातचीत में भारतीय पक्ष चीन को गोगरा हॉट स्प्रिंग से पीछे हटने के लिए सहमत करने में नाकाम रहा।
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देपसांग बुल्‍गे विवाद हल करने की कोई गारंटी नहीं
साथ ही दौलतबेग ओल्‍डी सेक्‍टर में देपसांग बुल्‍गे तक गश्‍त करने के अधिकार पर भी चीन को सहमत नहीं कर पाया। हिंदुस्‍तान टाइम्‍स की रिपोर्ट के मुताब‍िक दोनों पक्षों के बीच बातचीत सकारात्‍मक रही लेकिन कोई हल नहीं निकल पाया। इससे यह साफ हो गया है कि भारत और चीन के बीच आगे भी बातचीत जारी रहेगी लेकिन पीएलए की ओर से अप्रैल 2020 की स्थिति को गोगरा हॉट स्प्रिंग या देपसांग बुल्‍गे विवाद का हल करने की कोई गारंटी नहीं है।

माना जा रहा है कि भारतीय सेना ने पैंगोंग सो झील पर चीन की ओर से बनाए जा रहे पुल का मुद्दा बातचीत के दौरान उठाया है। चीन इसे अपने सैनिकों को तेजी से पहुंचाने के लिए बना रहा है। हकीकत अब यह है कि पीएलए का नया सीमा कानून और तेजी सैन्‍य तैनाती 3,488 किमी लंबी वास्‍तविक नियंत्रण रेखा को नियंत्रण रेखा में तब्‍दील कर रहा है। इसी वजह से बुधवार को सैन्य प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने कहा कि चीन के साथ एलएसी पर आंशिक रूप से सैनिकों को पीछे हटने की कार्रवाई हुई है लेकिन अभी खतरा बना हुआ है।

‘नॉर्दर्न फ्रंट में फोर्स, इंफ्रास्ट्रक्चर, हथियारों की क्षमता बढ़ाई’
सेना प्रमुख ने कहा कि हमने पूर्वी लद्दाख समेत पूरे नॉर्दर्न फ्रंट में फोर्स, इंफ्रास्ट्रक्चर, हथियारों की क्षमता बढ़ाई है। नॉर्दर्न फ्रंट में पिछले डेढ़ साल में हमारी क्षमता कई तरह से बढ़ी है। अरुणाचल प्रदेश में चीन द्वारा बुनियादी ढांचे के निर्माण की खबरों पर सेना प्रमुख ने कहा कि ऐसा इसलिए होता है क्योंकि एलएसी तय नहीं है। उन्होंने कहा कि इसको लेकर अलग-अलग धारणाएं हैं कि सीमा वास्तव में कहां है। जब तक सीमा के मुद्दे अनसुलझे रहेंगे, इस तरह के मुद्दे सामने आते रहेंगे। जनरल नरवणे ने कहा कि दीर्घकालीन समाधान सीमा प्रश्न को हल करना है, न यह कि हमारे द्विपक्षीय संबंधों में मतभेद है। उन्होंने कहा कि हम अपनी सीमाओं के सुरक्षा को लेकर अच्छी तरह से तैयार हैं। सेना प्रमुख ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है जो यथास्थिति आज है उसे कभी भी बदला जा सकता है।

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