मर्द बॉडी दिखाए तो कोई कुछ नहीं बोलता, औरत ऐसा करे तो निशाने पर आ जाती है: ईशा गुप्ता

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मर्द बॉडी दिखाए तो कोई कुछ नहीं बोलता, औरत ऐसा करे तो निशाने पर आ जाती है: ईशा गुप्ता

फिल्म ‘जन्नत 2’, ‘राज थ्री डी’, ‘चक्रव्यूह’, ‘बेबी’, ‘रुस्तम’, ‘टोटल धमाल’ जैसी कई फिल्मों में नजर आ चुकीं बॉलिवुड ऐक्ट्रेस ईशा गुप्ता सोशल मीडिया पर अपनी बोल्डनेस के कारण खूब सुर्खियां बटोरती रही हैं। मगर इन दिनों वे चर्चा में हैं अपनी नई सीरीज ‘आश्रम 3’ से। प्रकाश झा की इस चर्चित सीरीज में ईशा सोनिया की दमदार भूमिका में नजर आ रही हैं। इस मुलाकात में उन्होंने अपनी सीरीज, बोल्डनेस, अपनी सेक्सुएलिटी, ट्रोल्स, बॉलिवुड में न चलने के कारण, महिला की चुनौतियों के बारे में दिल खोल कर बातें कीं।


आप प्रकाश झा के साथ ‘चक्रव्यूह’ में पहले भी काम कर चुकी हैं, मगर ‘आश्रम’ के सीजन 3 में आपका संजोग कैसे बना?
बड़ा दिलचस्प किस्सा है। सेकंड लॉकडाउन के बाद मैं अपने माता-पिता के साथ दिल्ली में थी। उसी दौरान मैं मेरठ में गई थी एक फंक्शन में और वहां मैंने देखा कि हर कोई ‘आश्रम’ की बात कर रहा है कि आपने ये शो देखा है? देखिए उस दिन मेरठ के लोकल न्यूज पेपर में भी ‘आश्रम’ की खबर छपी थी और उसके 11-12 दिन बाद जब मैं विदेश में थी, तो मेरे पास फोन आया कि प्रकाश सर ‘आश्रम 3’ के लिए मुझसे बात करना चाहते हैं। मुझे तो यकीन ही नहीं हुआ क्योंकि अभी दस दिन पहले मैं आश्रम के बारे में यही सोच रही थी कि काश मैं भी इस शो का हिस्सा बनती। सीजन थ्री में मैं सोनिया नामक किरदार निभा रही हूं। सीरीज में एक डायलॉग है, ‘मैं सब कुछ ठीक कर दूंगी, अपने लिए भी सबके लिए भी’ तो आप पाएंगे कि मेरी भूमिका बहुत स्ट्रॉन्ग और अलग है।


ओटीटी आज उन कलाकारों के लिए संजीवनी बूटी साबित हुआ है, जो सक्षम तो थे, मगर उनके पास काम नहीं था। इसके दो सबसे बड़े उदाहरण आपको ‘आश्रम’ में ही देखने को मिल जाएंगे, बॉबी देओल और दर्शन कुमार। क्या आपको लगता है ये आपके लिए भी करामाती साबित होगा?
मैं समझती हूं कि सिनेमा में किस्मत की भी बात होती है और चांसेस की भी। फिल्मों में एक तयशुदा सेटअप के अंतर्गत काम होता है, जबकि ओटीटी पर विषयों और कलाकारों के मामले में कई तरह के प्रयोग हुए हैं। यहां कॉन्टेंट और बेहतर होता चला गया है। ओटीटी ने कई लोगों को स्टार बना दिया है।जयदीप अहलावत, दर्शन जी, बॉबी सभी बेहतरीन अदाकार हैं, मगर ओटीटी पर ये लोग निखर कर सामने आए। मगर मैं ये भी कहना चाहूंगी कि फेमस वही होगा, जिसका काम भी अच्छा होगा और किस्मत भी। मैं उम्मीद करती हूं कि मेरे करियर के लिए भी यह सीरीज टर्निंग पॉइंट साबित हो। फिल्मों में मुझे अपनी प्रतिभा दर्शाने के मौके कम मिले हैं, मगर यहां मेरा रोल कुछ इस तरह से है कि मैं दमदार भूमिका में हूं। मैंने आश्रम पर पूरी तरह से फोकस किया है। अपनी डेटस एडजस्ट की.

बॉलिवुड में आपकी शुरुआत धमाकेदार जन्नत 2 से हुई, मगर फिर क्या कमी रह गई कि आप अपनी पारी को उस तरह से नहीं खेल पाईं? आपका आउटसाइडर होना या जरूरत से ज्यादा ग्लैमरस होना?
मैं तो इसे किस्मत ही कहूंगी। मगर किस्मत के नाम पर मैं सब कुछ छोड़छाड़ कर भी नहीं बैठ सकती। मैंने हार नहीं मानी, मैं डटी रही हूं और मुझे यकीन है कि एक बार फिर मेरा सितारा चमकेगा? एग्जाम में कैसा होता है? पूरा साल आप मेहनत करते हैं, छोटे-मोटे टेस्ट देते हैं और फिर एंड रिजल्ट आपको फाइनल एग्जाम में पता चलता है, तो मेरा करियर भी वैसा ही रहा है। आज मैं खुश हूं कि मुझ जैसे एक्टर्स को ओटीटी पर काम मिल रहा है। फिर पिछले दो साल तो हम सभी के लिए बुरे साबित हुए हैं। अब ओटीटी की सबसे अच्छी बात ये है कि बहुत बड़ा मैदान है और सभी के लिए भरपूर काम है। यहां कोई भी कॉम्पटीशन नहीं है। मुझे लगता है कलाकारों के लिए ही नहीं राइटर, डायरेक्टर या किसी भी क्रिएटिव पर्सन के लिए ओटीटी सुनहरा मौका है।

आप सोशल मीडिया पर हमेशा से अपनी बोल्डनेस के लिए चर्चा में भी रहती हैं और ट्रोल्स के निशाने पर भी, मगर साथ ही आप उनका मुंहतोड़ जवाब भी देती हैं?
सच कहूं, तो पहले ट्रोलिंग का काफी असर पड़ता था, मुझ पर। बहुत इमोशनल हो जाती थी और उन बातों को गंभीरता से लेने लगी थी। ऐसे मैं उसका मुंहतोड़ जवाब भी दे देती थी। मगर अब इतने सालों में ये बदलाव आया है कि मेरी सेक्सुएलिटी पर निशाना साधनेवालों से मुझे फर्क ही नहीं पड़ता। जिसको जो बोलना है, बोले। लोग कुछ न कुछ कहेंगे। वो उनकी आदत है। हमारे नॉर्थ में कहा जाता है कि आप कितनी भी बड़ी शादी कर लो, तो लोग कहेंगे ये तो शोशेबाजी कर रहे हैं और अगर छोटी शादी करो, तब भी लोग मुंह बनाएंगे। हम कलाकारों के साथ भी यही है। हम कुछ भी कर लें, लोग बातें बनाने से बाज नहीं आएंगे, इसीलिए मैं वो करती हूं, जिसमें मुझे खुशी मिलती है।


आप इंडस्ट्री की उन चुनिंदा अभिनेत्रियों में से एक हैं, जिन्होंने अपनी सेक्सुएलिटी और बॉडी पॉजिटिविटी को बेबाक और बिंदास अंदाज में स्वीकार किया है।
हां, मैंने किया है, मगर दुनिया ही नहीं हमारे देश की भी यही समस्या है कि औरत को हमेशा जज किया जाता है। किसी भी औरत के साथ बदतमीजी होती है, तो यही कहा जाता है कि तू वहां पर गई ही क्यों थी? मर्द अगर अपनी बॉडी को फ्लॉन्ट करें, तो उन्हें कोई कुछ नहीं बोलता, मगर औरत ऐसा करे, तो निशाने पर आ जाती है। मुझे लगता है इन मामलों में अभी हमें काफी आगे जाना है, फिर भी हमारा देश काफी बदला है। मुझे कई बार लड़कियां और लड़के तक मेसेज करते हैं कि मैम आप दूसरों का मत सोचो, आपको जो अच्छा लगता है, आप करो. कई तो ये भी कहते हैं कि मैं उन्हें इंस्पायर करती हूं। उनको मुझसे यही इंस्पिरेशन मिलती है कि आप अपनी जिंदगी अपनी मर्जी के मुताबिक जी सकते हैं।


सोशल मीडिया पर आपके 8.2 मिलियंस फॉलोअर्स हैं, उनके प्रति खुद को कितना जिम्मेदार मानती हैं?
मुझे नहीं लगता कि इंस्टाग्राम रिस्पॉन्सिबिलिटी जैसे प्लैटफॉर्म के लिए बना है। ये ऐसी जगह है, जहां हम तस्वीरों और विडियो के जरिए अपनी जिंदगी को दर्शा सकते हैं। आप इंस्टाग्राम में देखेंगे, तो पाएंगे कि मैं जानवरों से बहुत प्यार करती हूं, मुझे बच्चों से लगाव है। मुझे अपनी धरती और एन्वायरमेंट से बहुत प्यार है। इसके अलावा दुनिया में कुछ गलत होता है, तो मैं उसके खिलाफ अपनी आवाज उठाती हूं। मैं सोशल वर्क करती हूं और बाकी मेरी तस्वीरें और मेरा काम दर्शाती हूं इस प्लैटफॉर्म पर। मैंने अपने इंस्टाग्राम के जरिए बताना चाहती हूं कि ईशा गुप्ता क्या है? ईशा गुप्ता बेहद कॉन्फिडेंट है। बहुत स्ट्रॉन्ग है और मैं कई सामाजिक मुद्दों पर लोगों को जागरूक करना चाहती हूं। इंस्टाग्राम पर मेरी रिस्पॉन्सिबिलिटी यही है कि दुनिया में अगर कुछ गलत हो रहा है, तो मैं उसके लिए अपनी आवाज बुलंद करूं। कई बार लोग मुद्दों को लेकर राजनीति या चापलूसी के कारण डर जाते हैं, अपनी बात नहीं रख पाते, तो मैं उम्मीद करती हूं कि सेलिब्रिटी होने के नाते मैं ऐसा न करूं। मैं अवाम के लिए अपनी आवाज उठाऊ। मैं बॉडी पॉजिटिविटी और मेन्टल हेल्थ के लिए लोगों को लगातार जागरूक करती रहती हूं।


आप तो एक बोल्ड और सक्षम महिला हैं, मगर आज दूसरी औरतों के लिए आप सबसे बड़ी चुनौती किसे मानती हैं?
मुझे लगता है कि 70 प्रतिशत से भी ज्यादा महिलाएं मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। टॉयलेट हो या सैनिटरी पैड। फिर एजुकेशन एक बहुत बड़ा मुद्दा है। साक्षर होने की जद्दोजेहद भी उनके लिए एक बड़ा चैलेंज है। मुझे लगता है उन्हें बेसिक सुविधाएं मिलनी चाहिए, एजुकेशन मिलनी चाहिए, तभी उनकी जिंदगी आसान होगी।





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