मुख्तार अंसारी: ऐसा माफिया डॉन जिसे एंबुलेंस से चलने का था शगल, जालंधर से करवाई थी बुलेट और बम प्रुफ | Mukhtar Ansari India's First Crime Political Gangster Who Use Only Ambulance In Crime | News 4 Social
श्रीप्रकाश शुक्ला को मार गिराने वाली एसटीएफ टीम के प्रमुख पुलिस अधिकारी रह चुके आईपीएस राजेश पांडेय बताते हैं कि उत्तर प्रदेश में हर अपराधी की अलग स्टाइल है। मुख्तार अंसारी अपने अपराध में सबसे ज्यादा एंबुलेंस का प्रयोग करता था। वह एंबुलेंस वाला माफिया था। एंबुलेंस को न तो जल्दी पुलिस हाथ देती थी और न ही इसकी जांच की जाती थी। हूटर बजाते हुए निकल जाती थी। यही इस अपराधी के लिए सहज था। जेल में रहते हुए यह एंबुलेंस में इलाज के बहाने से सैर करने निकलता था।
बात 2015 के आसपास की है। मैं लखनऊ में एसएसपी था। वह जेल से करीब चार एंबुलेंस से उसका गैंग केजीएमसी जा रहा था। इसी दौरान हजरतगंज चौराहे पर भीड़ थी। पत्रकारों को पता चला कि यह मुख्यार अंसारी का काफिला है। एक एंबुलेंस का शीशा खुला था तो एक पत्रकार ने बात करनी चाही। शीशे से अंदर झांका तो इतने में उसके गुर्गों ने पत्रकार को एंबुलेंस में खींच लिया और फिर चौक की तरफ लेकर चले गए।
इतने में हंगामा हो गए। पत्रकार हमारे पास आए। हमने एसएचओ चौक और वजीरगंज का मैसेज कराया कि पता करिए मुख्तार केजीएमसी में है लेकिन इससे पहले ही वह केजीएमसी से जेल चला गया था। पत्रकार को उसके गुर्गों ने चौक के पास फेंक दिया था। वह वहां से आए और उन्होंने फिर तहरीर दी। आज भी वह मुकदमा वैसे ही दर्ज है। हालांकि उनके साथ आए पत्रकार तहरीर देने को तैयार नहीं हुए थे तो इससे खौफ का अंदाजा आप लगा सकते हैं।
सबसे लंबे वक्त तक पकाई अपराध और राजनीति की खिचड़ी
राजेश पांडेय बताते हैं कि उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि ये देश का ऐसा माफिया होगा जो सबसे लंबे समय तक अपराध और राजनीति की खिचड़ी पकाकर एक तरह की हुकूमत करता रहा। यह सबसे लंबे समय तक गठजोड़ का सक्रिय माफिया रहा। राजनीतिक दल से लेकर आम आदमी तक इसके कृत्य से परेशान थी। गौरतलब है कि मुख्यार अंसारी ने अपनी मौत से पहले आखिरी बार खिचड़ी ही खाई थी।
ऐसा माफिया जिस पर जेल में रहते हुए लिखे गए दर्जनों मुकदमें
पूर्व पुलिस अधिकारी राजेश पांडेय बताते हैं कि इस पर दिल्ली, पंजाब, उत्तर प्रदेश में दर्जनों मुकदमें हैं। यह एक ऐसा अपराधी था जिस पर जेल में रहते हुए दर्जनों मुकदमें दर्ज हुए। यह पैसों के लिए कुछ भी कर सकता था। पैसों के लिए किसी से भी संबंध बनाना और किसी को भी मार देना इसका शगल बन चुका था।
पंजाब जेल से भी एंबुलेंस से लाया गया था Mukhtar Anshari
यह महज इत्तेफाक है या मौत का भी शगल। किसी को भी अंतिम यात्रा पर भेज देने वाले माफिया मुख्तार अंसारी की अंतिम यात्रा भी एंबुलेंस से ही निकली है। पूरे जीवन भर अपराध का साथी रही एंबुलेंस ने यहां भी मुख्तार का साथ नहीं छोड़ा। एंबुलेंस से अपराध की सीढ़ियां चढ़ने वाला एंबुलेंस से ही उतरकर कब्र में समाएगा। गौरतलब है कि 6 अप्रैल 2021 को उसे रोपड़ जेल से उसे बांदा एंबुलेंस से ही लाया गया था।
बुलेटप्रुफ एंबुलेंस से चलता था मुख्तार
उत्तर प्रदेश के डीजीपी रहे एके जैन बताते हैं कि मुख्तार अंसारी की एंबुलेंस न केवल बुलेटप्रुफ थी बल्कि इस पर छोटे मोटे बम का असर भी नहीं पड़ता। इसके अंदर कई तरह की विशेष सुविधाएं रखी जाती थी। पंजाब में जेल के रहने के दौरान मुख्तार ने ऐसी ही एक एंबुलेंस का प्रयोग किया था। वह अक्सर ही एंबुलेंस का प्रयोग करता था।
अपराध के काले युग का अंत: IPS राजेश पांडेय
उत्तर प्रदेश में आज एक काले युग का अंत हो गया। राजनीति और अपराध के जोड़ से जन्मा और सबसे लंबा जीने वाला यह अकेला और सक्रिय माफिया रहा। इसने गाजीपुर सहित कई क्षेत्रों के लड़कों का न केवल जीवन खराब किया बल्कि क्षेत्र में आपराधिक नस्ल ही पैदा कर दी।
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श्रीप्रकाश शुक्ला को मार गिराने वाली एसटीएफ टीम के प्रमुख पुलिस अधिकारी रह चुके आईपीएस राजेश पांडेय बताते हैं कि उत्तर प्रदेश में हर अपराधी की अलग स्टाइल है। मुख्तार अंसारी अपने अपराध में सबसे ज्यादा एंबुलेंस का प्रयोग करता था। वह एंबुलेंस वाला माफिया था। एंबुलेंस को न तो जल्दी पुलिस हाथ देती थी और न ही इसकी जांच की जाती थी। हूटर बजाते हुए निकल जाती थी। यही इस अपराधी के लिए सहज था। जेल में रहते हुए यह एंबुलेंस में इलाज के बहाने से सैर करने निकलता था।
बात 2015 के आसपास की है। मैं लखनऊ में एसएसपी था। वह जेल से करीब चार एंबुलेंस से उसका गैंग केजीएमसी जा रहा था। इसी दौरान हजरतगंज चौराहे पर भीड़ थी। पत्रकारों को पता चला कि यह मुख्यार अंसारी का काफिला है। एक एंबुलेंस का शीशा खुला था तो एक पत्रकार ने बात करनी चाही। शीशे से अंदर झांका तो इतने में उसके गुर्गों ने पत्रकार को एंबुलेंस में खींच लिया और फिर चौक की तरफ लेकर चले गए।
इतने में हंगामा हो गए। पत्रकार हमारे पास आए। हमने एसएचओ चौक और वजीरगंज का मैसेज कराया कि पता करिए मुख्तार केजीएमसी में है लेकिन इससे पहले ही वह केजीएमसी से जेल चला गया था। पत्रकार को उसके गुर्गों ने चौक के पास फेंक दिया था। वह वहां से आए और उन्होंने फिर तहरीर दी। आज भी वह मुकदमा वैसे ही दर्ज है। हालांकि उनके साथ आए पत्रकार तहरीर देने को तैयार नहीं हुए थे तो इससे खौफ का अंदाजा आप लगा सकते हैं।
सबसे लंबे वक्त तक पकाई अपराध और राजनीति की खिचड़ी
राजेश पांडेय बताते हैं कि उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि ये देश का ऐसा माफिया होगा जो सबसे लंबे समय तक अपराध और राजनीति की खिचड़ी पकाकर एक तरह की हुकूमत करता रहा। यह सबसे लंबे समय तक गठजोड़ का सक्रिय माफिया रहा। राजनीतिक दल से लेकर आम आदमी तक इसके कृत्य से परेशान थी। गौरतलब है कि मुख्यार अंसारी ने अपनी मौत से पहले आखिरी बार खिचड़ी ही खाई थी।
ऐसा माफिया जिस पर जेल में रहते हुए लिखे गए दर्जनों मुकदमें
पूर्व पुलिस अधिकारी राजेश पांडेय बताते हैं कि इस पर दिल्ली, पंजाब, उत्तर प्रदेश में दर्जनों मुकदमें हैं। यह एक ऐसा अपराधी था जिस पर जेल में रहते हुए दर्जनों मुकदमें दर्ज हुए। यह पैसों के लिए कुछ भी कर सकता था। पैसों के लिए किसी से भी संबंध बनाना और किसी को भी मार देना इसका शगल बन चुका था।
पंजाब जेल से भी एंबुलेंस से लाया गया था Mukhtar Anshari
यह महज इत्तेफाक है या मौत का भी शगल। किसी को भी अंतिम यात्रा पर भेज देने वाले माफिया मुख्तार अंसारी की अंतिम यात्रा भी एंबुलेंस से ही निकली है। पूरे जीवन भर अपराध का साथी रही एंबुलेंस ने यहां भी मुख्तार का साथ नहीं छोड़ा। एंबुलेंस से अपराध की सीढ़ियां चढ़ने वाला एंबुलेंस से ही उतरकर कब्र में समाएगा। गौरतलब है कि 6 अप्रैल 2021 को उसे रोपड़ जेल से उसे बांदा एंबुलेंस से ही लाया गया था।
बुलेटप्रुफ एंबुलेंस से चलता था मुख्तार
उत्तर प्रदेश के डीजीपी रहे एके जैन बताते हैं कि मुख्तार अंसारी की एंबुलेंस न केवल बुलेटप्रुफ थी बल्कि इस पर छोटे मोटे बम का असर भी नहीं पड़ता। इसके अंदर कई तरह की विशेष सुविधाएं रखी जाती थी। पंजाब में जेल के रहने के दौरान मुख्तार ने ऐसी ही एक एंबुलेंस का प्रयोग किया था। वह अक्सर ही एंबुलेंस का प्रयोग करता था।
अपराध के काले युग का अंत: IPS राजेश पांडेय
उत्तर प्रदेश में आज एक काले युग का अंत हो गया। राजनीति और अपराध के जोड़ से जन्मा और सबसे लंबा जीने वाला यह अकेला और सक्रिय माफिया रहा। इसने गाजीपुर सहित कई क्षेत्रों के लड़कों का न केवल जीवन खराब किया बल्कि क्षेत्र में आपराधिक नस्ल ही पैदा कर दी।