मेरठ के एक गांव से तोक्यो खेलगांव तक का सफर…अन्नू रानी गन्ना फेंकती थीं अब ओलिंपिंक में फेंकेंगीं भाला

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मेरठ के एक गांव से तोक्यो खेलगांव तक का सफर…अन्नू रानी गन्ना फेंकती थीं अब ओलिंपिंक में फेंकेंगीं भाला

नई दिल्ली
हर खिलाड़ी का सपना होता है ओलिंपिक में मेडल लाकर अपने गांव,घर,शहर और देश का नाम रोशन करें। उस खुशी का अंदाजा लगाना बेहद मुश्किल हैं जो एक खिलाड़ी को मैदान में जीत के बाद मिलती है। भारत की ओर से तोक्यो ओलिंपिंक में भाला फेंक प्रतिस्पर्धा में प्रतिनिधित्व करने जा रहीं अन्नू रानी (Annu Rani) के लिए यहां तक का सफर आसान नहीं रहा। मुश्किल दौर को पार करते हुए अपने प्रदर्शन में लगातार सुधार और खुद के रेकॉर्ड्स तोड़ते हुए आज वो इस मुकाम में पहुंची हैं। गन्ने के खेत से शुरू किया सफर और अन्नू आज तोक्यो में भाला फेंकने के लिए तैयार हैं।

1 जुलाई को खुशनुमा खबर आई
जून के अंत तक यह तय नहीं था कि वह तोक्यो ओलंपिक में जगह बना पाएंगी या नहीं। 1 जुलाई अच्छी खबर लेकर आया। विश्व एथलेटिक्स ने महिलाओं के भाला फेंक कॉम्पटीशन के लिए नाम फाइनल किए। अन्नू को बताया गया कि उसने तोक्यो ओलिंपिक में अपनी जगह पक्की कर ली है। अन्नू ने अपनी विश्व रैंकिंग के आधार पर तोक्यो के लिए क्वालीफाई किया। कट-ऑफ के समय उनकी वर्ल्ड रैंकिंग 18वीं थी। अब 11वें स्थान पर है। अन्नू 2000 सिडनी खेलों में गुरमीत कौर के बाद ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाली भारत की दूसरी महिला भाला फेंकने वाली खिलाड़ी हैं।

70मीटर थ्रो करना लक्ष्य
अन्नू रानी ओलिंपिक क्वालीफिकेशन मार्क (64 मीटर पर सेट) को तोड़कर क्वालीफाई नहीं कर सकीं, इससे उन्हें परेशानी हुई, लेकिन वह शिकायत नहीं कर रही हैं। अन्नू रानी ने कहा 64 मीटर फेंकना मेरे दिमाग में है। मेरे कोच और मेरा मानना है कि मैं 70 मीटर थ्रोअर के रूप में विकसित हो सकती हूं। मुझे अपनी तकनीक में सुधार करना होगा और भाला को और आगे फेंकने के लिए अपनी शक्ति का बेहतर उपयोग करना होगा।

तोक्यो ओलिंपिंक में केवल 9 महिलाओं ने पार किया
तोक्यो ओलिंपिक 2020 सीजन में केवल नौ महिलाओं ने 64 मीटर बाधा को पार किया है। यदि विश्व एथलेटिक्स को रैंकिंग के आधार पर स्थान नहीं दिया जाता तो तोक्यो में भाला फेंकने वाले खिलाड़ी ही न हो पाते। पोलैंड की मारिया आंद्रेजिक ने 71.40 मीटर, जर्मनी की क्रिस्टिन हुसोंग ने 69.19 मीटर और यूएसए की मैगी मालोन ने 67.40 मीटर की दूरी हासिल की है।

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खुद का रेकॉर्ड तोड़ा
अन्नू का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन इस साल मार्च में पटियाला में फेडरेशन कप में आया, जहां उन्होंने 63.24 मीटर दूरी तक भाला फेंका। यह ओलंपिक क्वालिफिकेशन मार्क से 76 सेमी दूर था लेकिन उसने अपने करियर में आठवीं बार अपना ही राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ा। पहला 2014 में आया था और तब से भारत की सर्वश्रेष्ठ महिला भाला फेंक रही है।

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बाउंड्री से सीधे स्टंप पर निशाना
फेंकने का उनका प्यार उत्तर प्रदेश के मेरठ के बहादुरपुर गांव के गन्ने के खेतों में शुरू हुआ। यह इन क्षेत्रों में था जहां उसने अपने बड़े भाई उपेंद्र के कहने पर पहली बार गन्ने की छड़ें फेंकना शुरू किया। उनके घरवालों ने अन्नू की इस क्षमता को पहचाना और उसके ऊपरी शरीर की ताकत को देखा। अन्नू अपने गांव में क्रिकेट मैचों के दौरान क्रिकेट की गेंद को बाउंड्री लाइन से स्टंप पर सपाट फेंक देतीं थीं।

कैसे शुरू हुई यात्रा
उपेंद्र एक लंबी दूरी का धावक था और उसने अन्नू का समर्थन किया। लेकिन उसके पिता ने मना कर दिया। अन्नू ने कहा कि मैंने घरवालों से बार-बार अनुरोध किया। चूंकि मैं घर में सबसे छोटी थी और हर कोई मुझे बहुत प्यार करता था तो उन्होंने मुझे खेलों में जाने की इजाजत दी। उन्होंने सोचा कि मैं थोड़ी देर के लिए खेलूंगा और बाद में छोड़ दूंगा। अन्नू ने बताया कि उसका परिवार उचित भाला नहीं खरीद सकता था, इसलिए अन्नू ने बांस की छड़ी का भाला बना फेंकना शुरू किया। मेरे भाई ने मेरे पहले कोच काशीनाथ नाइक सर (एक पूर्व अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी) को मना लिया। इस तरह मेरी यात्रा शुरू हुई।



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