व्रत रखकर कर रहे साधना, उत्तम क्षमा धर्म का किया पालन | paryushan parv in jabalpur | Patrika News

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व्रत रखकर कर रहे साधना, उत्तम क्षमा धर्म का किया पालन | paryushan parv in jabalpur | Patrika News

व्रत रखकर कर रहे साधना, उत्तम क्षमा धर्म का किया पालन | paryushan parv in jabalpur | Patrika News

दिगम्बर जैन समाज का आराधना का पर्व पर्युषण प्रारभ

जबलपुर। दिगम्बर जैन समाज का 10 दिवसीय दशलक्षण पर्व यानी पर्युषण पर्व बुधवार से शुरू हो गया। वैसे यह पर्व भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी से शुरू होता है, लेकिन 10 दिन के दौरान एक तिथि के क्षय के कारण यह एक दिन पहले चतुर्थी तिथि से ही शुरू हो गया है। इसके पीछे वजह है कि दशलक्षण पर्व 9 दिन का नहीं हो सकता है, जबकि तिथि बढऩे की स्थिति में यह 11 दिन का हो सकता है। पर्व अनंत चतुर्दशी तक चलेगा। जैन समाजजन इस आत्मशुद्धि के महापर्व पर शुभ और अशुभ कर्मों का प्रक्षालन करने के लिए मन के दूषित भावों और विकारों को दूर करने के लिए पर्व को बेहद श्रद्धा के साथ मना रहे हैं। पहले दिन उत्तम क्षमा धर्म का पालन करते हुए श्रावकों ने व्रत रखा।
पर्युषण पर्व के प्रथम दिवस पर जिनालयों में प्रात: बेला में नेमिनाथ भगवान का प्रथम अभिषेक किया गया। इस कार्यक्रम में समाज जनों ने उत्साह एवं उमंग के साथ श्रीजी का अभिषेक किया। इसके पश्चात नित्य नियम की पूजा व दस लक्षण धर्म की पूजा हुई। तत्वार्थ सूत्र का वाचन एवं व्याख्यान किया गया। श्रीजी की महाआरती हुई। श्री महावीर दिगम्बर जैन मंदिर मदर टेरेसा नगर व अमृत तीर्थ करमेता में सुबह 7 बजे से संगीत मय पूजन हुआ। आर्यिका रत्न कीर्तिमति, प्रसन्नमति व ङ्क्षवगुजन माता ने अपने प्रवचन में कहा कि क्षमा हमारे अंदर होना चाहिए। रात्रि 9 बजे से सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए।
पर्युषण पर्व पर प्रतिदिन 6:30 बजे से मंगलाष्टक, अभिषेक, शांति धारा उसके पश्चात नित्य नियम पूजन व मंडल विधान का पूजन किया जाएगा। रात को श्रीजी की आरती की जाएगी।
क्षमायाचना के साथ सम्पन्न हुआ श्वेताम्बर जैन समाज का पर्युषण पर्व
श्वेताम्बर जैन समाज के आठ दिवसीय पर्युषण पर्व का अंतिम दिन बुधवार को संवत्सरी के रूप में मनाया गया। इसी के साथ दिगम्बर जैन समाज के दस दिवसीय पर्युषण पर्व भी शुरू हो गए। शहर के श्वेताम्बर जैन मंदिरों में संवत्सरी पर्व धूमधाम के साथ मनाया गया। इस दौरान दिन भर मिच्छामि दुक्कड़म उद्गार के साथ एक दूसरे से क्षमायाचना का दौर चला। संदीप भूरा ने बताया कि श्री शीतलनाथ श्वेताम्बर जैन मंदिर सराफा में बुधवार संवत्सरी पर्व मनाया गया। शाम को प्रतिक्रमण करने के बाद क्षमा याचना का दौर शुरू हो गया, जो देर रात तक चला। जैन मंदिर में सुबह से प्रतिक्रमण करने के बाद प्रक्षाल पूजन व कल्पसूत्र का वाचन किया गया। विद्वानों ने संवतसरी का महत्व बताते हुए कहा कि क्षमा बहादुर, महावीरों का अलंकार है। जैन समाज के पर्युषण पर्व में संवत्सरी का बड़ा महत्व होता है। इसमें साल भर में किसी से जाने अनजाने में किसी भी प्रकार की गलती हुई हो तो उसे प्रायश्चित कर एक दूसरे से क्षमा मांग कर भुलाया जाता है। इस दौरान सभी जैन समाज के लोगों ने हाथ जोडकऱ एक दूसरे से क्षमा याचना की। शाम को आरती भजन हुए। इस मौके पर जैन समाज के व्यापारियों ने अपने प्रतिष्ठान बंद रखे।



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