शशि थरूर की अध्यक्षता वाली कमेटी ने ठुकराई Facebook की मांग, कहा- फिजिकली पेश होना होगा, वैक्सीनेशन का भी किया ऑफर

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शशि थरूर की अध्यक्षता वाली कमेटी ने ठुकराई Facebook की मांग, कहा- फिजिकली पेश होना होगा, वैक्सीनेशन का भी किया ऑफर

सूचना प्रौद्योगिकी वाली संसदीय स्थायी कमेटी ने सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक की ओर से वर्चुअल मीटिंग के अनुरोध को ठुकरा दिया है। दरअसल, फेसबुक ने कांग्रेस सांसद शशि थरूर की अध्यक्षता वाली संसदी की स्थाई कमेटी से कोविड-19 का हवाला देते हुए फिजिकली बैठक के बजाय वर्चुअली बैठक करने का अनुरोध किया था। 

सूत्रों ने कहा कि कमेटी ने पैनल के साथ बैठक के लिए आने वाले फेसबुक अधिकारियों के लिए टीकाकरण का भी प्रस्ताव रखा है। बता दें कि इस बैठक को लेकर अभी तक तारीख का ऐलान नहीं हुआ है। कमेटी ने यह भी निर्णय लिया है कि अन्य सभी सोशल मीडिया और वेब प्लेटफॉर्म जैसे YouTube, Google, आदि को पैनल के समक्ष कंपनी के प्रतिनिधियों को शारीरिक रूप से शामिल होना होगा।

फेसबुक ने दिया कंपनी के कोरोना नियमों का हवाला
कमेटी को जवाब देते हुए फेसबुक ने कहा कि उसके अधिकारी शारीरिक रूप समिति के सामने पेश नहीं हो सकते क्योंकि कंपनी के नियम अधिकारियों को कोविड महामारी की दूसरी लहर की अवधि के दौरान किसी भी बैठक में व्यक्तिगत रूप से शामिल होने की इजाजत नहीं देते हैं। इसी वजह से फेसबुक के अधिकारी वर्चुअली शामिल होने का फैसला किया है। फेसबुक के इस जवाब को देखते हुए कमेटी ने अब सख्त रुख अपनाया है। कमेटी के सभी सदस्यों ने स्पष्ट किया कि कोई भी बैठक ऑनलाइन नहीं की जा सकती है और फेसबुक के अधिकारियों को उपस्थित रहना होगा। 

समिति ने दिया टीकाकरण का प्रस्ताव
न्यूज एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि फेसबुक के जवाब पर संज्ञान लेते हुए, अब कमेटी के अध्यक्ष ने फेसबुक के उन अधिकारियों की सूची मांगी, जिन्हें कंपनी समिति के समक्ष भेजना चाहती है। अध्यक्ष ने कहा कि कमेटी ऐसे अधिकारियों का टीकाकरण करेगी और कमेटी के सामने आने के लिए पर्याप्त समय भी देंगे। संसदीय पैनल के फैसले पर फेसबुक के रुख के बारे में पूछे जाने पर कंपनी के अधिकारियों ने जवाब देने से इनकार कर दिया। 

शारीरिक रूप से शामिल हुए ट्विटर के अधिकारी
समिति ने शुक्रवार को भी इसी तरह के मुद्दों पर ट्विटर के अधिकारियों को बुलाया था और उनके दो वरिष्ठ अधिकारी भी शारीरिक रूप से समिति के सामने पेश हुए थे। बता दें कि संसदीय कमेटी ने इस बात का संज्ञान लिया है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को देश के बाहर से हैंडल किया जा रहा है और सरकार द्वारा बनाए गए नियमों की भी अनदेखी की जा रही है।

शुक्रवार को हुई बैठक में ट्विटर ने क्या कहा?
शुक्रवार की बैठक में ट्विटर के दोनों अधिकारियों ने कमेटी से कहा कि वे अपनी कंपनी के नियमों को प्राथमिकता देते हैं न कि देश के कानून को। इसके बाद समिति ने ट्विटर के अधिकारियों से अपने सभी जवाब लिखित में देने को कहा। हालांकि, पैनल की बैठक की तारीख इस महीने के अंत में फैसला किया जाएगा।
 



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