हरिद्वार और दिल्‍ली में नफरत भरे बयानों पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई, पक्ष रखने देहरादून से आएंगे संत

58


हरिद्वार और दिल्‍ली में नफरत भरे बयानों पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई, पक्ष रखने देहरादून से आएंगे संत

हाइलाइट्स

  • धर्म संसद के दौरान मुसलमानों के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने के आरोप
  • यति नरसिम्हानंद, संत धरमदास महाराज, साध्वी अन्नपूर्णा व अन्‍य पर केस
  • सुप्रीम कोर्ट में पटना हाई कोर्ट की पूर्व जज अंजना प्रकाश ने दायर की याचिका
  • धर्म संसद जैसे कार्यक्रमों में मुस्लिम विरोधी भाषणों पर रोक लगाने का अनुरोध

नई दिल्‍ली
हरिद्वार और दिल्‍ली में दो कार्यक्रमों के दौरान कथित तौर पर नफरत भरे भाषण के मसले पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। याचिका में भाषण देने वालों के खिलाफ जांच एवं कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए निर्देश जारी करने का अनुरोध किया गया है। यह याचिका सुनवाई के लिए प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एन. वी. रमण और न्यायमूर्ति सूर्यकांत तथा न्यायमूर्ति हीमा कोहली की पीठ के समक्ष आने वाली है। वहीं, संतों के एक समूह ने उच्चतम न्यायालय जाकर अपना पक्ष रखने का निर्णय किया है।

सिब्‍बल ने कोर्ट से दखल देने को कहा था
याचिका, पत्रकार कुर्बान अली और पटना उच्च न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश एवं वरिष्ठ अधिवक्ता अंजना प्रकाश ने दायर की है। उन्होंने मुस्लिम समुदाय के खिलाफ नफरत भरे भाषणों की घटनाओं की एक विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा ‘स्वतंत्र, विश्वसनीय और निष्पक्ष जांच’ कराने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया है। सोमवार को सीजेआई ने वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल की इन दलीलों का संज्ञान लिया था कि उत्तराखंड पुलिस द्वारा प्राथमिकी दर्ज किए जाने के बावजूद नफरत भरे भाषण देने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

सिब्बल ने कहा था, ‘मैंने, (पिछले साल) 17 और 19 दिसंबर को धर्म संसद में जो कुछ हुआ था, उसे लेकर यह जनहित याचिका दायर की थी।। हम मुश्किल समय में रह रहे है, जब देश में नारा सत्यमेव जयते से बदल कर शस्त्रमेव जयते हो गया है।’ उन्होंने कहा था कि प्राथमिकी दर्ज की गई है, लेकिन कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है। उन्होंने कहा था कि इस न्यायालय के हस्तक्षेप के बगैर कोई कार्रवाई संभव नहीं है। पीठ ने कहा था कि वह इस मामले में सुनवाई करेगी।

धार्मिक सम्मेलन में हेट स्पीच से लेकर खुले में नमाज तक, अल्पसंख्यक आयोग ने संबंधित राज्यों से मांगी रिपोर्ट
किन-किन के खिलाफ है केस?
उत्तराखंड पुलिस ने 23 दिसंबर को भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत संत धरमदास महाराज, साध्वी अन्नपूर्णा उर्फ पूजा शकुन पांडे, यति नरसिम्हानंद और सागर सिंधु महाराज सहित कुछ लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। वहीं, राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित दूसरे कार्यक्रम को लेकर दिल्ली पुलिस में भी इसी तरह की एक शिकायत दर्ज कराई गई थी। याचिका में कहा गया है कि उत्तराखंड और दिल्ली पुलिस द्वारा कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया गया है। इसमें कहा गया है कि दिल्ली पुलिस ने यहां आयोजित कार्यक्रम के सिलसिले में अब तक प्राथमिकी दर्ज नहीं की है।

इस याचिका के अलावा, जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने भी शीर्ष न्यायालय में एक याचिका दायर कर धर्म संसद जैसे कार्यक्रमों में मुस्लिम विरोधी भाषणों पर रोक लगाने का अनुरोध किया है। याचिका में कहा गया है, ‘मुसलमानों के खिलाफ नफरत भरे भाषण और बयान हाल के समय में देश में बढ़ गये हैं।’

navbharat times -‘हमें खतरा मस्जिदों और चर्चों से है’ पिंकी चौधरी का वीडियो वायरल, सोशल मीडिया पर उठी ऐक्शन की मांग
अपना पक्ष रखने न्यायालय जाएंगे संत
संतों के एक समूह ने उच्चतम न्यायालय जाकर अपना पक्ष रखने का निर्णय किया है। बैठक में हिस्सा लेने वाले समूह की कोर समिति के सदस्य स्वामी दर्शन भारती ने बताया कि जल्द ही उच्चतम न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर हमारा पक्ष सुनने की प्रार्थना की जाएगी। धर्म संसद में घृणा भाषण के आरोपों से इंकार करते हुए भारती ने कहा, ‘हम मुसलमानों के खिलाफ नहीं हैं। आयोजन में दिए गए भाषण इस्लामिक जिहाद के खिलाफ थे।’ इस बीच, समूह ने 17 से 19 दिसंबर तक हरिद्वार में आयोजित धर्म संसद में भाग लेने वाले संतों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के विरोध में हरिद्वार में 16 जनवरी को प्रस्तावित ‘प्रतिकार यज्ञ’ को संपन्न करने का निश्चय भी दोहराया।

haridraw-dharm-sansad

हरिद्वार में लगी थी धर्म संसद (फाइल)



Source link