15 August: दिल्ली में खत्म हो रही है पतंगबाजी, साल में सिर्फ़ 15 दिन का रह गया पतंग कारोबार

25
15 August: दिल्ली में खत्म हो रही है पतंगबाजी, साल में सिर्फ़ 15 दिन का रह गया पतंग कारोबार

15 August: दिल्ली में खत्म हो रही है पतंगबाजी, साल में सिर्फ़ 15 दिन का रह गया पतंग कारोबार

नई दिल्लीः स्वतंत्रता दिवस आने वाला है लेकिन 15 अगस्त के आसपास हमेशा गुलजार रहने वाला दिल्ली का लाल कुआं पतंग बाजार सूना पड़ा है। इस साल पतंगों का कारोबार 80 प्रतिशत तक कम है और यह अब हर वर्ष कम ही होता जा रहा है। पतंगों के घटते बिजनेस के कारण कई व्यापारियों ने तो पतंगों का काम ही बंद कर दिया है। कारोबारियों का मानना है कि अगर इसी तरह चलता रहा तो आने वाले वर्षों में पतंगों का काम बिल्कुल खत्म हो जाएगा:

हर साल घट रहा है बिज़नेस

लाल कुआं पतंग बाजार के प्रधान और सचिन काइट सेंटर के मालिक सचिन गुप्ता ने बताया कि पिछले 4 वर्षों से मंदी झेल रहे हैं। हमारी मेन रोड पर भी दुकान है, लेकिन अब हमने उस दुकान में खाने-पीने के आइटम्स रख लिए हैं और पतंगों से जुड़ा माल अंदर गोदाम में शिफ्ट कर दिया है। हर वर्ष पतंगों का बिजनेस घटता ही जा रहा है। बाजार से ग्राहक बिल्कुल गायब हैं। एक समय था जब रोजाना पतंगों के 10 से 15 कार्टन माल जाता था, लेकिन अब 2 कार्टन माल जाना भी मुश्किल हो गया है। एक कार्टन में 4 हजार पतंगें आती हैं। पहले होली के बाद से ही पतंगें उड़नी शुरू हो जाती थीं और 15 अगस्त तक बिजनेस रहता था, लेकिन अब साल में सिर्फ 15 दिनों का ही काम रह गया है।

​‘दिल्ली में खत्म होती जा रही पतंगबाज़ी’

पतंग कारोबारी हिमांशु ने बताया कि दिल्ली में पतंगबाजी खत्म होती जा रही है। पहले बच्चों से लेकर बड़े तक सभी पतंगबाजी करते थे और यह सिलसिला लगभग 6 महीने तक चलता था। अब तो बच्चों को फोन से ही फुर्सत नहीं मिलती, ऐसे में उनकी आउटडोर एक्टिविटीज खत्म हो चुकी हैं। इसका असर कारोबार पर भी दिख रहा है। पतंगों का बिजनेस खत्म होने की कगार पर है। हम 3 पीढ़ी से पतंगों का बिजनेस कर रहे हैं, लेकिन अब हम अपनी अगली पीढ़ी को यह काम नहीं करने देंगे।

​‘चाइनीज़ मांझे के नाम पर पूरे बिज़नेस को टारगेट न करें’

​‘चाइनीज़ मांझे के नाम पर पूरे बिज़नेस को टारगेट न करें’

सचिन ने बताया कि चाइनीज मांझे के कारण भी पतंगों का बिजनेस खराब हुआ है। सरकार ने चाइनीज मांझे पर बैन लगाया है, लेकिन कई जगहों पर बरेली का नॉर्मल मांझा भी नहीं बेचने दिया जा रहा। ऐसे में छोटे पतंग कारोबारी पतंगें रखने से ही बच रहे हैं। चाइनीज मांझे के नाम पर पूरे पतंग के ही बिजनेस को टारगेट किया जाना गलत है। जो लोग चाइनीज मांझा बेज रहे हैं, उन्हें पकड़ना चाहिए और निर्दोष लोगों को परेशान करना बंद होना चाहिए। सरकार और पुलिस को चाइनीज मांझा बनाने वाली फैक्ट्रियों पर छापा मारना चाहिए। जब मांझा बनेगा ही नहीं तो बाजार में बिक्री अपने आप ही बंद हो जाएगी। कई मीडिया रिपोर्ट्स में भी चाइनीज मांझे की खबर में बरेली के मांझे की फोटो लगा दी जाती है। इससे भी बाजार में भ्रम की स्थिति पैदा होती है। लोग समझते हैं कि बरेली का मांझा बेचना भी गलत है, जबकि ऐसा नहीं है। नॉर्मल सद्दी और धागे से किसी को क्या चोट पहुंच सकती है। ऐसे में प्लास्टिक मांझे के नाम पर आम धागा बेचने वालों को टारगेट करना गलत है।

​रामपुर-बरेली में भी कम हुआ काम

​रामपुर-बरेली में भी कम हुआ काम

पतंग के कारोबार से कई छोटे कारीगर जुड़े होते हैं। यूपी के रामपुर, बरेली आदि जगहों पर पतंगें और मांझा बनता है, जो दिल्ली और आसपास के इलाकों में बिकता है। सचिन ने बताया कि बाजार में काम ना होने की वजह से उन्हें भी ऑर्डर नहीं मिल रहा है, जिससे उनमें से भी ज्यादातर लोगों ने पतंगें बनाना बंद कर दिया है। काम ही नहीं होगा तो कोई क्यों अपना पैसा और समय खराब करेगा।

नहीं बढ़े पतंगों के दाम

नहीं बढ़े पतंगों के दाम

बाजार में डिमांड ना होने के कारण पतंगों के दाम में भी बढ़ोतरी नहीं हुई है। बाजार में पतंगों के थोक रेट 100 रुपये प्रति सैकड़े से शुरू हैं जो 1,000 रुपये सैकड़े तक जाते हैं। यूं तो बाजार में पतंगों के दुकानदार कम ही हैं, लेकिन इन दुकानों पर मौजूद पतंगों में स्वर्गीय पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला का क्रेज दिख रहा है। कई पतंगों पर सिद्धू मूसेवाला के फोटोज दिखे। इसके अलावा तिरंगा पतंगें भी खूब बिक रही थीं। दुकानदारों ने बताया कि जैसे-जैसे 15 अगस्त पास आएगा, तिरंगा पतंगों की सेल बढ़ती जाएगी।

​चाइनीज़ मांझे से पक्षियों को भी नुकसान

​चाइनीज़ मांझे से पक्षियों को भी नुकसान

बैन होने के बावजूद कई जगहों पर चाइनीज मांझा बिक रहा है। पुलिस की ओर से आए दिन छापा मारकर चाइनीज मांझा बेचने वालों को गिरफ्तार किया जा रहा है। इस मांझे से लोगों की जान को तो खतरा रहता ही है, साथ ही पक्षियों की भी इसकी चपेट में आने से मौत हो जाती है। चांदनी चौक स्थित चैरिटी बर्ड हॉस्पिटल-श्री दिगंबर जैन लाल मंदिर के डॉक्टर हरअवतार सिंह ने बताया कि 25 जुलाई से मांझे से घायल हुए पक्षियों की संख्या बढ़ने लगी है। अभी रोज 5-7 मामले आ रहे हैं, जिनकी संख्या आने वाले दिनों में बढ़ती ही जाएगी। मांझा पक्षियों के पैरों में या गले में फंस जाता है, जिसे वे जितना निकालने की कोशिश करते हैं, उतना ही उसमें फंसते जाते हैं। संख्या में ज्यादा होने के कारण चाइनीज मांझे से सबसे ज्यादा कबूतर घायल होते हैं। 15 अगस्त के आसपास अस्पताल लाए जाने वाले घायल पक्षियों की संख्या 80 तक पहुंच जाती है।

दिल्ली की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – Delhi News