राजनीति में बाहुबलियों का दबदबा हमेशा रहता है। कहते हैं राजनीति उसी के बस की बात होती जो धन और बल में मजबूत होता है। भारतीय राजनीति में यह बात तो बहुत सही सिद्ध होती है। 2019 लोकसभा चुनाव की बात करें तो इस बार जनता ने साफ़ छवि वाले उम्मीदारों की बजाय दागी सांसदों को चुना है। द हिन्दू में छपी रिपोर्ट के मुताबिक इस साल चुने गए 43% सांसदों पर आपराधिक मुक़दमे हैं।
एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) के अनुसार, इस बार की लोकसभा में नवनिर्वाचित सांसदों में से लगभग आधे पर आपराधिक आरोप हैं। इस साल दागी सांसदों की संख्या में 2014 की तुलना में 26% की वृद्धि हुई है।
ADR द्वारा विश्लेषण किए गए 539 विजयी उम्मीदवारों में से 233 सांसदों मतलब 43% पर आपराधिक आरोप हैं।
आपराधिक मामलों के साथ भाजपा के कुल विजयी सांसदों में से 116 सांसद मतलब 39%पर आपराधिक आरोप है। इसके बाद नंबर आता है कांग्रेस का, जिसके 29 सांसद (57%), JDU से 13 (81%), DMK से 10 (43%) और टीएमसी के नौ (41%) जीतने वाले उम्मीदवार पर अपराध करने का आरोप हैं।
2014 में 185 लोकसभा सदस्यों (34%) पर आपराधिक आरोप थे और 112 सांसदों के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले थे। 2009 में 543 लोकसभा सांसदों में से 162 (लगभग 30%) पर आपराधिक आरोप थे और 14% पर गंभीर आपराधिक आरोप थे।
गैर-सरकारी संगठन ADR ने कहा कि नई लोकसभा में लगभग 29% मामले बलात्कार, हत्या, हत्या के प्रयास या महिलाओं के खिलाफ अपराध से संबंधित हैं।
2009 के बाद से घोषित गंभीर आपराधिक मामलों वाले सांसदों की संख्या में 2019 में 109% की वृद्धि हुई है।
ADR के मुताबिक भाजपा से पांच, बसपा से दो, कांग्रेस, राकांपा और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी में से एक,और एक निर्दलीय सांसद के खिलाफ हत्या के आरोप हैं।
2019 के लोकसभा चुनाव में भोपाल की सीट सबसे ज्यादा चर्चा में रही। क्योंकि यह से साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर चुनाव लड़ रही थी। उनपर सबसे गंभीर आरोप बम ब्लास्ट करवाने का का था। हालांकि वह चुनाव जीत गयी है। उन पर अब भी केस चल रहा है।
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इसके अलावा 29 विजयी सांसदों पर अभद्र भाषा से संबंधित मामलें दर्ज़ है।
केरल के इडुक्की निर्वाचन क्षेत्र से जीतने वाले कांग्रेस के डीन कुरीकोकोस के खिलाफ 204 आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें दोषी गृहिणी, घर में अत्याचार, डकैती, आपराधिक धमकी शामिल है।