Ahmedabad Blast Case: गवाह पहचान न सकें, इसलिए हुलिया बदलते रहते थे अहमदाबाद ब्लास्ट के आरोपी

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Ahmedabad Blast Case: गवाह पहचान न सकें, इसलिए हुलिया बदलते रहते थे अहमदाबाद ब्लास्ट के आरोपी

अहमदाबाद: अहमदाबाद ब्लास्ट (Ahmedabad Blast Judgement) के आरोपी अपना हुलिया बदलते रहते थे। अहमदाबाद की एक विशेष अदालत ने कहा है कि 2008 में शहर में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के आरोपी अपना हुलिया बदलते रहते थे ताकि गवाहों को उन्हें पहचानने में परेशानी हो। विशेष न्यायाधीश ए.आर. पटेल की अदालत ने शुक्रवार को अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट के मामले में आतंकवादी संगठन इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) के 38 आतंकियों को मौत की सजा सुनाई थी।

ब्लास्ट में में 56 लोगों की हुई थी मौत, 200 से ज्यादा हुए थे घायल

इन ब्लास्ट में 56 लोगों की मौत हुई थी और 200 से अधिक लोग घायल हो गए थे। अदालत ने इस मामले में आईएम से जुड़े 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। विशेष अदालत की ओर से 49 लोगों को दोषी ठहराए जाने के 10 दिन बाद सजा सुनाई गई थी। 28 अन्य को बरी कर दिया गया था।

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देश में पहली बार इतने लोगों को एक साथ हुए सजा-ए-मौत

देश में ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी अदालत ने एक साथ इतने लोगों को मौत की सजा सुनाई। अदालत की वेबसाइट पर शनिवार को अपलोड किए गए 7,015 पन्नों के फैसले में अदालत ने कहा कि उसने सुनवाई के दौरान पाया कि गवाह आरोपियों को पहचान न सकें, इसके लिए आरोपी अलग-अलग हथकंडे अपना रहे थे। सितंबर 2021 तक चली मामले की सुनवाई के दौरान 1,163 गवाहों से पूछताछ की गई।

गवाह पहचान न सकें, इसके लिए तमाम हथकंडे अपनाए
अदालत ने कहा कि गवाह पहचान सकें, इसके लिए आरोपियों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए छोटे-छोटे समूहों में अदालत में पेश किया जाता था। अदालत ने कहा कि इस दौरान आरोपी कई तरह के हथकंडे अपनाते थे, जैसे कि अपने हाव-भाव बदलना, अलग-अलग पोशाक पहनना, टोपी या चश्मा पहनना या हटाना और अपनी दाढ़ी का आकार बदलना आदि।

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काम न आया कोई तरीका, ज्यादातर गवाहों ने की शिनाख्त

अदालत ने कहा कि इन प्रयासों के बावजूद कई गवाह कई आरोपियों की पहचान करने में कामयाब रहे और जो लोग अदालत के सामने ऐसा नहीं कर सके, उन्होंने कार्यकारी मजिस्ट्रेट के सामने पहचान परेड के दौरान उन्हें पहचान लिया। अदालत ने कहा कि 10-12 गवाहों को छोड़कर, अन्य सभी ने घटना के बारे में जो कुछ भी पता था, उसका विवरण दिया। अदालत ने कहा कि कई गवाह लंबे अंतराल के कारण आरोपियों की पहचान नहीं कर सके। दोषी फिलहाल देशभर की अलग-अलग जेलों में बंद हैं, जिनमें अहमदाबाद की साबरमती सेंट्रल जेल, दिल्ली की तिहाड़ जेल और भोपाल, गया, बेंगलुरु, केरल और मुंबई की जेलें शामिल हैं।

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