AirIndia की बिक्री से खत्म हुई बड़ी बाधा, सरकार के लिए क्यों जरूरी थी ये डील?

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AirIndia की बिक्री से खत्म हुई बड़ी बाधा, सरकार के लिए क्यों जरूरी थी ये डील?

तमाम अड़चनों के बाद कर्ज में डूबी सरकारी एयरलाइन कंपनी एयर इंडिया अब टाटा समूह की हो गई है। इस एयरलाइन में सरकार ने अपनी समूची हिस्सेदारी बेच दी है। इसी के साथ अब सरकार के लिए विनिवेश लक्ष्य को हासिल करने की राह भी आसान हो गई है। दो साल बाद ऐसा लग रहा है कि सरकार विनिवेश के लक्ष्य को हासिल कर लेगी।

कितना है लक्ष्य: दरअसल, वित्त वर्ष 2021-22 में केंद्र सरकार ने विनिवेश से 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है। इसका मतलब ये हुआ कि वित्त वर्ष के आखिरी महीने यानी मार्च 2022 तक सरकार कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बेचकर 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाएगी। इसकी शुरुआत एयर इंडिया से हो गई है। अब सरकार बीपीसीएल, शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, आईडीबीआई बैंक, बीईएमएल, पवन हंस और नीलांचल इस्पात निगम लिमिटेड सहित सार्वजनिक क्षेत्र के कई उद्यमों में अपनी हिस्सेदारी बेचने की तैयारी में है। 

एलआईसी का आईपीओ: सरकार का आईडीबीआई बैंक के अलावा सार्वजनिक क्षेत्र के दो अन्य बैंकों और एक साधारण बीमा कंपनी का निजीकरण भी वर्ष 2021-22 में पूरा करने का प्रस्ताव है। यही नहीं, सरकार 2021-22 में जीवन बीमा निगम यानी एलआईसी का आईपीओ भी लाएगी। एलआईसी के आईपीओ के जरिए सरकार अपनी 10 फीसदी तक हिस्सेदारी बेच सकती है।

बीते दिनों बतौर मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम ने बताया था कि 1.75 लाख करोड़ रुपये का एक बड़ा हिस्सा एलआईसी के आईपीओ से आएगा। दूसरा बीपीसीएल का निजीकरण है। ऐसा माना जा रहा है कि इन दोनों से सरकार 1.25 लाख करोड़ रुपए जुटा सकती है। 

18 हजार करोड़ में एयर इंडिया की डील: केंद्र सरकार ने एयर इंडिया की डील 18 हजार करोड़ रुपए में पूरी की है। टाटा की 18,000 करोड़ रुपये की बोली में 15,300 करोड़ रुपये का कर्ज लेना और बाकी का नकद भुगतान करना शामिल है।

दो साल से चूक रही सरकार: आपको बता दें कि लगातार दो साल से केंद्र सरकार विनिवेश लक्ष्य से दूर है। बीते वित्त वर्ष में केंद्र सरकार ने विनिवेश के जरिये 2.10 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा था। कोरोना की वजह से सरकार इसका 10 फीसदी भी नहीं जुटा सकी। इससे एक साल पहले विनिवेश से 1.05 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा गया था।

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हालांकि, बाद में लक्ष्य में संशोधन कर सरकार ने 65,000 करोड़ रुपये कर दिया लेकिन इससे भी हासिल नहीं किया जा सका। इस साल, सरकार ने विनिवेश के जरिये सिर्फ 50,298.64 करोड़ रुपये जुटाए थे।

विनिवेश के पैसे का क्या होगा: विनिवेश के जरिए सरकार खजाना भरकर विदेशी व्यापार, सोशल स्कीम्स आदि खर्च के लिए रकम का इस्तेमाल कर सकती है। इसके अलावा इंफ्रास्ट्रक्चर आदि कार्य के लिए भी इस रकम का इस्तेमाल होता है। वहीं, विनिवेश के बाद सरकार बाजार से लिए कर्ज का आकलन कर इसमें कटौती भी कर सकती है। आपको बता दें कि चालू वित्त वर्ष में कर्ज के जरिये 12.05 लाख करोड़ रुपये जुटाने का बजट लक्ष्य रखा है। अब तक सरकार निर्धारित राशि का 58 प्रतिशत कर्ज ले चुकी है।



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