Asthama In School Kids: दिल्ली में स्कूल जाने वाले हर तीसरे बच्चे में अस्थमा के लक्षण

147

Asthama In School Kids: दिल्ली में स्कूल जाने वाले हर तीसरे बच्चे में अस्थमा के लक्षण

नई दिल्ली
दिल्ली में स्कूल जाने वाले लगभग हर तीसरे बच्चे में अस्थमा के लक्षण पाए गए हैं। 29.3 फीसदी स्कूली बच्चों में अस्थमा के लक्षण मिले हैं। लड़कियों की तुलना में लड़के दो गुना अधिक प्रभावित हैं। चिंता की बात यह है कि सिर्फ 12 फीसदी बच्चों को अपनी बीमारी के बारे में पता था और उसमें से सिर्फ 3 फीसदी बच्चे ही किसी प्रकार का इनहेलर ले रहे थे।

देश के तीन शहरों में 3157 बच्चों पर हुई इस स्टडी में पहली बार प्रदूषण, मोटापा और अस्थमा का त्रिकोणीय संबंध भी पाया गया। वर्तमान हालात को देखते हुए एक्सपर्ट टीम ने स्कूलों को अस्थमा पॉलिसी बनाने और उस पर अमल करने की मांग की है, ताकि स्कूली बच्चों में ऐसे लक्षण दिखें, तो समय पर इलाज मिल सके और मौत के खतरे को रोका जा सके। दिल्ली, कोट्टायम और मैसूर के 12 स्कूलों के बच्चों पर यह स्टडी हुई है। लंग केयर फाउंडेशन और पलमोकेयर रिसर्च एंड एजुकेशन फाउंडेशन की अगुवाई में इस स्टडी में दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों को शामिल किया गया।

Delhi School Open: DoE ने कहा, डीडीएमए की SOP का हर स्कूल करे पालन
सवालों के ये जवाब मिले
स्टडी के दौरान तीनों शहरों के बच्चों से कुछ सवाल पूछे गए, जिनके चौंकाने वाले जवाब मिले।

दिल्ली: दिल्ली के 52.8 फीसदी बच्चों ने छींक आने, 44 फीसदी बच्चों ने आंखों में खुजली के साथ पानी आने, 38.4 फीसदी ने खांसी, 33 फीसदी ने खुजली वाले निशान पड़ने, 31.5 फीसदी बच्चों ने पूरी सांस नहीं ले पाने और 11.2 फीसदी बच्चों ने सीने में जकड़न की शिकायत की। दिल्ली के स्कूली बच्चों में बाकी दोनों शहरों के बच्चों की तुलना में अस्थमा और एलर्जी के लक्षण ज्यादा पाए गए।

29% बच्चों में अस्थमा के लक्षण
स्टडी में पाया गया कि दिल्ली के 29.3 फीसदी स्कूली बच्चों में स्पायरोमेट्री पर सांस लेने में रुकावट या अस्थमा के लक्षण पाए गए। इनमें से सिर्फ 12 फीसदी बच्चों को ही पता था कि उन्हें यह बीमारी है और मात्र फीसदी बच्चों का इलाज चल रहा था या वो इनहेलर ले रहे थे। कोट्टायम और मैसूर में 22.6 फीसदी बच्चों में अस्थमा पाया गया, जिसमें से 27 फीसदी को इस बीमारी के बारे में पता नहीं था।

navbharat times -Delhi School Reopen: लंच, बुक्स, डेस्क… बदली-बदली होगी आपके बच्चे की क्लास
लड़के दो गुना तक अधिक प्रभावित
इस स्टडी में लड़कों में लड़कियों की तुलना में अस्थमा दो गुना अधिक पाया गया। दिल्ली में 37.2 फीसदी लड़के, जबकि 19.9 फीसदी लड़कियों में अस्थमा के लक्षण मिले। लड़कों में सिर्फ 4.3 फीसदी को ही अपनी बीमारी के बारे में पता था, जबकि एक पर्सेंट से भी कम बच्चे इलाज करा रहे थे। लड़कियों में 2.6 फीसदी को पता था और 1.2 फीसदी का इलाज हो रहा था। पलमोकेयर रिसर्च एंड एजुकेशन फाउंडेशन के डायरेक्टर डॉक्टर संदीप सालवी ने कहा कि इसकी वजह पता नहीं है, लेकिन अनुमान के अनुसार, लड़के ज्यादा बाहर निकलते हैं, ज्यादा एक्टिव रहते हैं। लड़कियों को हॉर्मोनल प्रोटेक्शन की वजह से यह बीमारी कम होने की वजह हो सकती है।

मोटापे, अस्थमा और प्रदूषण का संबंध
दिल्ली में बच्चों में मोटापे का अधिक होना उनमें अस्थमा के ज्यादा होने का एक कारण है। स्टडी में 39.8 फीसदी बच्चे मोटापे के शिकार थे, जबकि कोट्टायम और मैसूर में इसका औसत 16.4 फीसदी है। बच्चों में मोटापे और अधिक वजन के साथ अस्थमा का यह संबंध पहली बार देखा गया है। दिल्ली के बच्चों में मोटापा व वजन अधिक होने के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन इसमें से एक कारण एयर पॉल्यूशन भी हो सकता है।

navbharat times -Delhi School Open: स्कूल में बने सर्कल और आइसोलेशन सेंटर, आधी सीटों पर लगाया क्रॉस
डॉक्टर्स ने कहा- आंखें खोलने वाली है यह स्टडी
लंग केयर फाउंडेशन के संस्थापक ट्रस्टी डॉक्टर अरविंद कुमार ने कहा कि यह स्टडी आंखें खोलने वाली है। दिल्ली के बच्चों में सांस, एलर्जी, स्पायरोमेट्री बेस्ड अस्थमा, मोटापे का स्तर सबसे अधिक है। इन तीनों बीमारियों का संबंध प्रदूषण से जुड़ा हो सकता है। डॉक्टर संदीप सालवी ने कहा कि यह स्टडी स्कूल जाने वाले बच्चों पर की गई स्टडी में से एक है, जो मोटापे और अस्थमा के बीच मजबूत रिश्ते को जाहिर कर रही है। उन्होंने कहा कि प्रदूषित हवा में सांस लेने से बच्चों में मोटापा हो सकता है और उनमें अस्थमा का खतरा बढ़ जाता है।

SARVODAYASCHOOLROHINI

स्कूल शुरू

दिल्ली की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – Delhi News

Source link