हाई कोर्ट ने कहा किस अधिकार से भगत सिंह को शहीद कह दें?

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दिल्ली हाईकोर्ट ने भारत देश के स्वतंत्रता आन्दोलन में जांबाज़ क्रांतिकारी रहे भगत सिंह, और उनके दो साथियों सुखदेव और राजगुरु को शहीद का दर्जा दिए जाने की मांग करने वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता से सवाल किया कि “क्या कानून में ऐसा कोई प्रावधान है जिसके तहत कोर्ट को ये निर्देश देने का अधिकार दिया गया हो?”

कोर्ट के इस सवाल का याचिकाकर्ता के पास कोई जवाब नही था. जिस पर कोर्ट ने कहा कि हमारे पास ऐसा कोई भी क़ानूनी अधिकार नहीं है, जिसके तहत हम इस तरह के दिशा-निर्देश जारी कर सकें. आपको बता दें कि ये याचिका वकील बिजेंद्र सांगवान की तरफ से दायर की गई थी.

सांगवान ने कोर्ट से अनुरोध किया था कि स्वतंत्रता आन्दोलन के जांबाज़ सिपाहियों भगत सिंह , सुखदेव और राजगुरु को शहीद का दर्जा दिया जाए. उन्होंने याचिका में कहा था कि तीनों को 1931 में अंग्रेजों द्वारा फांसी दे दी गई थी. शहीदों का कानूनी अधिकार है कि उन्हें शहीद का दर्जा दिया जाए और देश की तरफ से यही शहीदों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी.

भगत सिंह 2 -

याचिका में उस घटना का ख़ास तौर पर ज़िक्र किया गया है जब 1928  में भगत सिंह और राजगुरु ने पाकिस्तान के लाहौर में एक ब्रिटिश पुलिस अफसर को गोली मार दी थी और इसी के बाद लॉर्ड इरविन की कमेटी की सिफारिशों पर स्पेशल ट्रिब्यूनल ने भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को लाहौर की जेल में फांसी पर चढ़ा दिया था.