भारतीय सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत के बयान पर शुरु हुई राजनीति, सेना ने दी सफाई

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उत्तर भारत के दौरे के दौरान भारतीय सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने असम में राजनीतिक पार्टियों को लेकर एक बड़ा बयान दिया है. उनके बयान में दो राजनीतिक दलों की तुलना की गयी है. जिसके बाद इस बयान को लेकर राजनीति शुरू हो गयी है. भारतीय सेना ने एआईयूडीएफ पर जनरल रावत द्वारा दिए गए बयान के सिलसिले में विवाद बढ़ता देख गुरुवार को अपना स्पष्टकीरण दिया.

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तो ये कह गए सेना प्रमुख

सेना प्रमुख ने अपने विवादित बयान में असम के राजनीतिक दल एआईयूडीएफ (ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट) और बीजेपी की तुलना की है. बताते चलें कि एआईयूडीएफ मुस्लिमों के पैरोकार के रुप में 2005 में बना था और फिलहाल लोकसभा में उसके तीन सांसद और असम विधानसभा में 13 विधायक हैं. दोनों दलों की तुलना करते हुए जनरल बिपिन रावत ने कहा कि  असम में एआईयूडीएफ नाम का राजनीतिक संगठन तेज़ी से बढ़ रहा है. उनके मुताबिक इस पार्टी का विकास बीजेपी के मुकाबले ज़्यादा तेज़ी से हुआ है. जनरल रावत ने कहा जनसंघ का आज तक का जो सफर रहा है उसके मुकाबले एआईयूडीएफ का विकास तेजी से हुआ है.

राजनैतिक बयान पर राजनीती

सेना प्रमुख के इस बयान पर एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन औवैसी ने आपत्ति जताई और उनके बयान पर टिप्पणी देते हुये कहा ‘सेना प्रमुख को राजनीतिक मामलों में दखल नहीं देना चाहिए. ये उनका काम नहीं है कि वो किसी पार्टी के विकास लोकतंत्र पर बोलें. लोकतंत्र पर बोलने की इजाज़त सिर्फ संविधान देता है.’

असदुद्दीन औवैसी के साथ ही दूसरी राजनैतिक पार्टियों के नेता भी सेना प्रमुख के बयान का विरोध कर रहे हैं. कांग्रेस नेता वीरप्पा मोइली ने कहा कि सेना प्रमुख को इन सब बातों से दूर रहना चाहिए और उन्हें बस अपना काम करना चाहिए.

AIUDF प्रमुख बदरुद्दीन अजमल ने भी सेना प्रमुख बिपिन रावत पर निशाना साधते हुये बोला है कि  उन्हें समझना चाहिए कि AIUDF या आप जैसी पार्टियां बड़ी-बड़ी पार्टियों की नाकामी के कारण आगे बढ़ती हैं.”

सेना का रुख

जनरल रावत के बयान पर विवाद बढ़ने के बाद सेना ने सफाई देने की कोशिश की है. सेना ने कहा कि  ‘सेना प्रमुख के बयान में कुछ भी राजनीतिक एवं धार्मिक नहीं था. जनरल रावत के बयान का सियासी मतलब नहीं निकाला जाना चाहिये. 22 फरवरी को डीआरडीओ भवन में आयोजित समारोह में सेना प्रमुख केवल पूर्वोत्तर के विकास पर अपनी बात रख रहे थे. वो बस राज्य में विकास को लेकर बात करना चाहते थे.’

समर्थन के सुर

हालांकि कुछ ऐसे भी लोग हैं जनरल रावत का समर्थन कर रहे हैं.  सेना प्रमुख के बयान का तरफदारी करते हुए एआईयूडीएफ के विधायक अमीनुल इस्लाम ने कहा, ‘एआईयूडीएफ वंचितों के लिए काम कर रहा है और इसलिए हमारी लोकप्रियता भाजपा की तुलना में तेज़ी से बढ़ रही है. हमें उम्मीद है कि असम के लोग जाति और धर्म से ऊपर उठकर एआईयूडीएफ को स्वीकार करेंगे और हमारी पार्टी शीघ्र ही सत्ता में आएगी.’’