कोरोना से ग्रसित मरीजों के लिए खून के थक्के कैसे बन रहे है मुसीबत का सबब
कोरोना वायरस ने दुनियाभर में तबाही मचाई हुई है, इस घातक वायरस से दुनियाभर में 5,807,702 मामलें सामने आये है। कोरोना के कहर से बचने के लिए लोग अपने घरों में कैद है। बुखार खांसी सांस की तकलीफ या सांस लेने में कठिनाई थकान मांसपेशियों या शरीर में दर्द ,सरदर्द गले में खरास जैसे कोरोना के लक्ष्ण है लेकिन क्या आप जानते है , कोरोना का एक और भयानक रूप सामने आरहा है। कोरोना से ग्रसित तकरीबन 30 फीसदी मरीजों में खून के थक्कों के बनने की घातक स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। जो बेशक तौर पर एक विषय है। इन थक्कों के बनने के कारण से फ़ेफ़ड़ों में गंभीर सूजन पैदा होती है।
डॉक्टर्स के अनुसार यह ये खून के थक्के या क्लॉट्स काफी गंभीर मसला है और कई मरीजों के मरने की वजह हो सकते हैं। इन क्लॉट्स को थ्रोंबोसिस कहा जाता है। आपको यह भी बता दे की खून के थक्के के कारण ब्लड वेसल भी ब्लॉक हो सकता है। इस समस्य को डीप वेन थ्रोंबोसिस के तोर पर जाना जाता है। ऐसे खून के थक्के होते हैं जो कि आमतौर पर पैर में पाए जाते हैं. अगर इनके टुकड़े होकर शरीर के ऊपरी हिस्से फ़ेफ़ड़े में पहुंचने लगते हैं तो इससे जान को खतरनाक हो सकता है। वायरस से गंभीर रूप से संक्रमित मरीजों के खून में रसायनों का स्राव देख रहे हैं और इसकी वजह से खून के थक्के जमना शुरू हो जाते हैं।
कोरोना ने पहले ही दुनियाभर में आतंक मचा रखा था अब यह दिन प्रति दिन घातक रूप में तब्दील होता जा रहा है। अबतक दुनियाभर में कोरोना से जंग लड़ कर 2,511,143 लोग ठीक हो चुकें है और 357,807 लोगो को कोरोना के संक्रमण के कारण अपनी जान गावनि पड़ी। कोरोना से बचने का एक मात्र तरीका अभी तक लॉकडाउन ही सामने आया है।