CM Nitish Kumar पर अपनी आस्था जताई या किया अटैक! आखिर Upendra Kushwaha क्या चाहते हैं?

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CM Nitish Kumar पर अपनी आस्था जताई या  किया अटैक! आखिर Upendra Kushwaha क्या चाहते हैं?

CM Nitish Kumar पर अपनी आस्था जताई या किया अटैक! आखिर Upendra Kushwaha क्या चाहते हैं?


JDU Parliamentary Board President Upendra Kushwaha: जनता दल यूनाइटेड संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने एक बार फिर नीतीश कुमार में अपनी आस्था जताई है। हालांकि इसके साथ ही उन्होंने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिना ताज का राजा भी बनाकर एहसान भी जता रहे हैं।

 

पटना: बिहार के आरा में सोमवार की शाम जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा के काफिले पर कुछ लोगों ने हमला कर दिया। बताया गया कि हमला करने वाले उपेंद्र कुशवाहा के विरोध में नारेबाजी कर रहे थे। उनका कहना था कि उपेंद्र कुशवाहा एक बार फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को धोखा देने का काम कर रहे हैं। उपेंद्र कुशवाहा ने यह भी कहा कि पुलिस इस पूरे मामले में यह कह रही है कि उनके काफिले पर हमला ही नहीं किया गया। उपेंद्र कुशवाहा ने इसकी जांच डीजीपी और बिहार के चीफ सेक्रेटरी से करने की मांग की है।
आरा में अपने ऊपर हुए हमले के बाद मंगलवार को पटना में जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री बराबर कहते हैं कि उन्होंने उपेंद्र कुशवाहा को पार्टी संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष बनाया है। उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि यह जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष का ऐसा पद है जिसमें वह किसी सदस्य का चुनाव तक नहीं कर सकते। उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि नीतीश कुमार ने पार्टी के संविधान में बदलाव कर संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष चुनने का अधिकार राष्ट्रीय अध्यक्ष को दे दिया है। यहां तक कोई आपत्ति नहीं थी लेकिन पार्टी के संविधान में यह भी बदलाव कर दिया गया कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष को तो चुनेंगे ही इसके अलावा सदस्यों का चुनाव भी पार्टी अध्यक्ष की ओर से ही किया जाएगा। यानी जेडीयू संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष होने के बावजूद उपेंद्र कुशवाहा के पास किसी को सदस्य चुनने का अधिकार ही नहीं है। यह झुनझुना नहीं तो और क्या है।

राष्ट्रीय अध्यक्ष बोले तो इस्तीफा देने को तैयार

उपेंद्र कुशवाहा ने यह भी कहा कि नीतीश कुमार बराबर ये कहते हैं कि उन्होंने जनता दल यूनाइटेड में उन्हें पद दिया विधान परिषद का सदस्य भी बनाया। उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि वह किसी पद की लालसा में नहीं रहते बल्कि पार्टी कैसे आगे बढ़े और बिहार की जनता को सरकारी योजनाओं का लाभ कैसे मिले और हुए कैसे आगे बढ़े इसकी चिंता करते हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, राष्ट्रीय अध्यक्ष को कहे कि उपेंद्र कुशवाहा से इस्तीफा मांग लो। तो उन्होंने केंद्रीय मंत्री का पद और राज्यसभा का पद छोड़ने में देरी नहीं लगाई जो एमएलसी जैसे पद को छोड़ने के लिए उन्हें जरा भी वक्त नहीं लगेगा।

पार्टी में पिछड़ा अति पिछड़ा वर्ग का नहीं हो रहा है सम्मान

उपेंद्र कुशवाहा ने यह भी कहा कि जनता दल यूनाइटेड के भीतर पिछड़ा अति पिछड़ा वर्ग को इग्नोर करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि राज्य सभा विधान सभा विधान परिषद में पार्टी की स्थिति को देख कर स्थिति का अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है। जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष ने यह भी कहा कि इस विषय पर उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को कई बार बताया है लेकिन, वह अब अपने मर्जी से कोई फैसला भी नहीं ले पा रहे। यानी उपेंद्र कुशवाहा यह करने की कोशिश कर रहे थे कि नीतीश कुमार मुख्यमंत्री भले ही है लेकिन पार्टी और महागठबंधन सरकार को चलाने का काम कोई दूसरा कर रहा है।

जैसे लालू यादव से नीतीश ने हिस्सा मांगा था, उसी तरह की हिस्सेदारी चाहिए

जनता दल यूनाइटेड में हिस्सेदारी के सवाल पर उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि फरवरी 1994 में जिस तरह नीतीश कुमार ने पटना के गांधी मैदान में समता रैली कर लालू प्रसाद यादव से जनता दल में हिस्सेदारी की मांग की थी। उसी प्रकार उपेंद्र कुशवाहा को भी जनता दल यूनाइटेड में हिस्सेदारी चाहिए। गौरतलब है कि जनता दल में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव एक साथ हुआ करते थे। पटना के गांधी मैदान में रैली के बाद ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जनता दल यूनाइटेड का गठन किया था।

आखिर उपेंद्र कुशवाहा चाहते क्या है ?

अब सवाल यह उठता है कि आखिरकार पार्टी के भीतर रहकर हिस्सेदारी की मांग करने वाले उपेंद्र कुशवाहा आखिर चाहते क्या है? क्या उपेंद्र कुशवाहा संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष के तौर पर सदस्यों को नियुक्त करने की पावर चाहते हैं ? क्या उनकी ओर से ये कहा जाना कि नीतीश कुमार अब फैसला नहीं लेते ये बात कहकर वे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह पर तो निशाना नहीं साध रहे ? क्या जिस प्रकार 1994 में नीतीश कुमार ने पटना के गांधी मैदान में रैली का आयोजन करने के बाद हिस्सेदारी की मांग की थी और उसके बाद जेडीयू का गठन किया था, क्या इसी प्रकार उपेंद्र कुशवाहा भी निकट भविष्य में पार्टी में हिस्सेदारी की मांग को लेकर कोई रैली का आयोजन कर सकते हैं? बहरहाल आने वाले समय में क्या होगा यह देखना काफी दिलचस्प होने वाला है।

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