Delhi Air Quality: दिल्ली-NCR की हवा इमर्जेंसी के स्तर पर! लोगों को घर से बाहर कम निकलने की सलाह

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Delhi Air Quality: दिल्ली-NCR की हवा इमर्जेंसी के स्तर पर! लोगों को घर से बाहर कम निकलने की सलाह

हाइलाइट्स

  • दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर गंभीर श्रेणी में
  • 4 हजार से अधिक खेतों में पराली जलाए जाने से खराब हुई हवा
  • आंखों में जलन की शिकायत, शुक्रवार शाम 471 रहा AQI

नई दिल्ली
दिल्ली-एनसीआर की हवा काफी खराब हो गई है। इसे इमर्जेंसी स्तर का माना जा रहा है। ऐसे में लोगों को घर से बाहर निकलकर कामकाज वाली गतिविधियों को सीमित करने की सलाह दी जा रही है। हवा की खराब गुणवत्ता को देखते हुए सरकारी और प्राइवेट कार्यालयों को गाड़ी का इस्तेमाल कम से कम 30 प्रतिशत घटाने को कहा गया है। शुक्रवार शाम में एयर क्वालिटी इंडेक्स इस सीजन में सबसे खराब रहा। दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में आंखों में जलन पैदा करने वाला कोहरा शुक्रवार को और घना हो गया। कई जगहों पर दृश्यता 200 मीटर रही।

इस मौसम की सबसे खराब हवा
दरअसल, राजधानी में नवंबर की शुरुआत से ही प्रदूषण के स्तर में वृद्धि देखने को मिल रही है। चार हजार से अधिक खेतों में पराली जलाए जाने के कारण दिल्ली के प्रदूषण में शुक्रवार को इसका योगदान 35 प्रतिशत रहा और शाम चार बजे तक 24 घंटे के औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) का स्तर 471 दर्ज किए जाने में पराली जलाए जाने का अहम योगदान रहा। यह इस मौसम में एक्यूआई का सबसे खराब स्तर है। एक्यूआई बृहस्पतिवार को 411 था।
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दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के एक विश्लेषण के अनुसार, हर साल एक नवंबर से 15 नवंबर के बीच दिल्ली में लोगों को बेहद दूषित हवा में सांस लेनी पड़ती है। फरीदाबाद (460), गाजियाबाद (486), ग्रेटर नोएडा (478), गुरुग्राम (448) और नोएडा (488) में भी शाम चार बजे गंभीर वायु गुणवत्ता दर्ज की गई।

AQI का फॉर्मूला भी समझ लीजिए
शून्य से 50 के बीच एक्यूआई को “अच्छा”, 51 से 100 के बीच में “संतोषजनक”, 101 से 200 के बीच “मध्यम”, 201 से 300 तक “खराब”, 301 से 400 के बीच में “बेहद खराब” तथा 401 से 500 के बीच “गंभीर” माना जाता है।
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केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण समिति (सीपीसीबी) के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण कारक कण पीएम 2.5 की मात्रा का 24 घंटे का औसत रात में 300 का आंकड़ा पार कर गया और इसकी मात्रा शुक्रवार को शाम चार बजे 381 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रही। पीएम 2.5 की मात्रा 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की सुरक्षित सीमा से लगभग छह गुना अधिक रही।

पीएम 10 का स्तर 577 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया। ‘ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान’ (जीआरएपी) के अनुसार, 48 घंटे या इससे ज्यादा अवधि के दौरान, पीएम 2.5 का स्तर 300 माइक्रोग्राम से अधिक और पीएम 10 का स्तर 500 माइक्रोग्राम से अधिक होने पर वायु गुणवत्ता को आपातकालीन श्रेणी में माना जाता है। भारत मौसम विज्ञान विभाग के अधिकारियों ने बताया कि दिल्ली में सुबह मध्यम स्तर का कोहरा छाया था और ठंड थी।

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दिल्ली में शुक्रवार को न्यूनतम तापमान 12.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया और हवा की गति कम होने के चलते प्रदूषण कारक तत्वों की मात्रा अधिक रही। एक अधिकारी ने कहा, “इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे और सफदरजंग हवाई अड्डे पर कोहरे के कारण दृश्यता 200-500 मीटर रही। आर्द्रता अधिक होने की वजह से शुक्रवार को कोहरा और घना हो गया ।”

हरित थिंक टैंक विज्ञान एवं पर्यावरण केंद्र (सीएसई) ने बुधवार को कहा था कि यह कोहरा जन स्वास्थ्य आपातकाल की स्थिति है और यह स्थिति पिछले चार साल में सबसे लंबी अवधि हो सकती है। उसने कहा था कि अपेक्षाकृत तेज हवाओं की स्थानीय परिस्थितियों के बावजूद इस साल कोहरे की लंबी अवधि का कारण शहर में प्रदूषण नियंत्रण उपायों की कमी हो सकती है।

उसने एक अन्य रिपोर्ट में बताया कि 24 अक्टूबर से आठ नवंबर तक इस साल सर्दियों के शुरुआती चरण में दिल्ली के प्रदूषण में वाहनों का योगदान 50 प्रतिशत रहा है।

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान एजेंसी ‘सफर’ ने बताया कि दिल्ली में पीएम 2.5 उत्पन्न करने में पराली जलाए जाने का योगदान चार नवंबर से लगातार कम से कम 25 प्रतिशत दर्ज किया किया जा रहा है।

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