दिल्ली हाईकोर्ट में वकील ने जज को बताया ‘नारी है नर्क का द्वार

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दिल्ली उच्च न्यायालय में रोहिणी के विवादित बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित के केस की सुनवाई के दौरान उसके वकील ने महिलाओं के लिए बेहद अभद्र भाषा का प्रयोग किया है . दरअसल न्यायधीश गीता मित्तल और सी. हरीशंकर ने आश्रम के वकील से आश्रम में औरतों और लड़कियों को बंधक बना कर रखने पर Delhi court -स्पष्टीकरण मांगा था.इस पर बाबा के अधिवक्ता ने प्रश्न का जवाब देते हुये कहा ‘नारी नरक का द्वार है’. वकील का बयान सुनकर न्यायधीश काफ़ी नाराज हुये और उन्होंने वकील को कोर्ट से बहार जाने के आदेश दे दिया. साथ ही न्यायधीश ने वीरेंद्र देव के वकील को अपनी भाषा पर भी नियंत्रण रखने की सलाह दी.

दिल्ली हाईकोर्ट के जज द्वारा आश्रम के वकील से आध्यात्मिक संस्थान के लिए ‘विश्वविद्यालय’ नाम का उपयोग करने के लिए जबाब मांगा था. कोर्ट ने ‘विश्वविद्यालय’ शब्द के उपयोग की वैधता पर सवाल उठाते हुए कहा कि ‘विश्वविद्यालय’ का मतलब केंद्रीय अधिनियम, प्रांतीय अधिनियम या राज्य अधिनियम के आदेशानुसार गठित शिक्षण संस्थान से है. न्यायालय ने पूछा कि क्या आश्रम इन नियमों का पालन करता है?  इस पर आश्रम के अधिवक्ता कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सके. उन्होंने और समय मांगा. इसके बाद न्यायालय ने अगली सुनवाई आठ मार्च को करने का आदेश दे दिया और आश्रम से आध्यात्मिक संस्थान के लिए ‘विश्वविद्यालय’ नाम का उपयोग करने के लिए अगली सुनवाई तक जबाब मांगा है.

इस बीच दिल्ली हाई कोर्ट की टिप्पणी एक बार फिर से सामने आई कि आखिर यह कैसा आश्रम है जहां पर महिलाओं और छोटी बच्चियों को बंधक बनाकर रखा जाता है? पुरुष गिने ही होते हैं. कोर्ट ने पूछा कि ये आश्रम कैसे हो सकता है जहां पर किसी को अपने ही परिवार से मिलने से रोक दिया जाए?

कौन है वीरेंद्र देव दीक्षित

गौरतलब है कि वीरेंद्र देव दीक्षित को अध्यात्मिक बाबा के नाम से जाना जाता है. वीरेंद्र देव के अमेरिका, राजस्थान, यूपी, हरियाणा और दिल्ली में करीब 200 आश्रम बताए जाते हैं, जिनमें से 8 राजधानी में हैं. पुलिस ने बाबा के आश्रम में छापे-मारी की थी. बाबा के ऊपर नाबालिग लड़कियों और महिलाओं को आश्रम में कैद करने का आरोप लगाया था. बाबा के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट  में कार्यवाही चल रही थी. अध्यात्मिक गुरु का दावा करने वाले बाबा को ५ जनवरी को उच्च न्यायालय में पेश होना था. लेकिन बाबा फरार था. काफ़ी जांच-पड़ताल और वारेंट के बाद बाबा को तारीख़ ५ फ़रवरी में दिल्ली हाई कोर्ट में पेश किया गया. कोर्ट में कार्यवाही के दौरान बाबा के वकील ने बेहद आपत्ति –जनक बयान  दिया.