Delhi LG News: नए नियमों के तहत काम हो, LG ने विधासभा स्पीकर को लिखी चिट्ठी
विस, नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने पिछले साल संसद में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अधिनियम 2021 पास किया था, लेकिन इसके लागू होने के 14 महीने बाद भी दिल्ली विधानसभा ने अभी तक संशोधित अधिनियम के अनुरूप सदन में कामकाज संबंधी नियमों और प्रक्रियाओं में बदलाव नहीं किया है। इसकी वजह से आए दिन कार्यपालिका और विधायिका के बीच टकराव की स्थिति पैदा होती रहती है। इस समस्या के समाधान के लिए उप-राज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने दिल्ली विधानसभा के स्पीकर रामनिवास गोयल को संवैधानिक प्रक्रियाओं के अनुरूप कार्रवाई करते हुए नए नियमों को तुरंत लागू करने की सलाह दी है, ताकि किसी प्रकार के भ्रम की स्थिति ना रहे। एलजी ने बुधवार को इस संबंध में स्पीकर को एक संदेश भी भेजा है।
दरअसल, पिछले कुछ समय से दिल्ली सरकार के मंत्री और विधायक लगातार यह आरोप लगाते आ रहे हैं कि सरकारी अफसर उनकी बात नहीं सुनते हैं, जिसके कारण उन्हें जनता से जुड़े कामों को करवाने में काफी दिक्कत होती है। अधिकारियों की दलील रहती है कि सर्विसेज का विषय उप-राज्यपाल के अधीन आता है और इसलिए वह सक्षम अथॉरिटी से अनुमति लिए बिना सीधे कोई भी काम नहीं कर सकते। फाइलों के आदान प्रदान को लेकर भी अक्सर विवाद होते रहते हैं। हाल ही में विधानसभा की कई कमिटियों ने भी चीफ सेक्रेट्री से लेकर अलग-अलग विभागों के मुख्य सचिवों और अन्य सीनियर अधिकारियों को अलग-अलग मामलों में तलब किया था। इस पर भी अधिकारियों ने संशोधित नियमों का हवाला देते हुए आपत्ति जताई थी। उसी के बाद अब एलजी ने स्पीकर को यह सलाह दी है कि वह नए संशोधनों को तुरंत लागू करें।
एलजी ऑफिस के सूत्रों का कहना है कि दिल्ली की सरकार और प्रशासन संवैधानिक नियमों और कानूनों के हिसाब से चले, उसी को सुनिश्चित करने के लिए एलजी ने यह पहल की है। एलजी का मानना है कि सभी संस्थानों को संवैधानिक दायरे में रहकर ही अपने दायित्वों का निवर्हन करना चाहिए, लेकिन हाल ही में देखा गया है कि 27 अप्रैल 2021 से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अधिनियम 2021 लागू होने के बाद भी दिल्ली विधानसभा उसके प्रावधानों के अनुरूप काम नहीं कर रही है। खासकर सदन में कामकाज संबंधी नियमों और प्रक्रियाओं में बदलाव करने के प्रति दिल्ली विधानसभा के अतार्किक और अस्पष्ट रवैये पर एलजी ने हैरानी जताई है।
सूत्रों के मुताबिक, एलजी का मानना है कि संवैधानिक नियमों को लागू नहीं करना संविधान की अवमानना करने के समान है और इसलिए संवैधानिक नियमों के तहत मिली जिम्मेदारियों का निर्वाह करते हुए उन्होंने स्पीकर को इस संबंध में संदेश भेजा है। उन्होंने खासतौर से इस बात का जिक्र किया है कि किस तरह दिल्ली विधानसभा और उसकी कमिटियों ने संशोधित अधिनियम के प्रावधानों के खिलाफ जाकर रोजमर्रा के प्रशासनिक कामकाजों में हस्तक्षेप करने और प्रशासनिक निर्णयों को लेकर जांच बैठाने के लिए अपनी सहूलियत के अनुसार नए नियम बनाए। एलजी ने कहा है कि इस तरह के प्रयास संवैधानिक प्रावधानों के अनुरूप नहीं हैं और विधानसभा को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि संवैधानिक प्रक्रियाओं के तहत ही कामकाम हो।
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दरअसल, पिछले कुछ समय से दिल्ली सरकार के मंत्री और विधायक लगातार यह आरोप लगाते आ रहे हैं कि सरकारी अफसर उनकी बात नहीं सुनते हैं, जिसके कारण उन्हें जनता से जुड़े कामों को करवाने में काफी दिक्कत होती है। अधिकारियों की दलील रहती है कि सर्विसेज का विषय उप-राज्यपाल के अधीन आता है और इसलिए वह सक्षम अथॉरिटी से अनुमति लिए बिना सीधे कोई भी काम नहीं कर सकते। फाइलों के आदान प्रदान को लेकर भी अक्सर विवाद होते रहते हैं। हाल ही में विधानसभा की कई कमिटियों ने भी चीफ सेक्रेट्री से लेकर अलग-अलग विभागों के मुख्य सचिवों और अन्य सीनियर अधिकारियों को अलग-अलग मामलों में तलब किया था। इस पर भी अधिकारियों ने संशोधित नियमों का हवाला देते हुए आपत्ति जताई थी। उसी के बाद अब एलजी ने स्पीकर को यह सलाह दी है कि वह नए संशोधनों को तुरंत लागू करें।
एलजी ऑफिस के सूत्रों का कहना है कि दिल्ली की सरकार और प्रशासन संवैधानिक नियमों और कानूनों के हिसाब से चले, उसी को सुनिश्चित करने के लिए एलजी ने यह पहल की है। एलजी का मानना है कि सभी संस्थानों को संवैधानिक दायरे में रहकर ही अपने दायित्वों का निवर्हन करना चाहिए, लेकिन हाल ही में देखा गया है कि 27 अप्रैल 2021 से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अधिनियम 2021 लागू होने के बाद भी दिल्ली विधानसभा उसके प्रावधानों के अनुरूप काम नहीं कर रही है। खासकर सदन में कामकाज संबंधी नियमों और प्रक्रियाओं में बदलाव करने के प्रति दिल्ली विधानसभा के अतार्किक और अस्पष्ट रवैये पर एलजी ने हैरानी जताई है।
सूत्रों के मुताबिक, एलजी का मानना है कि संवैधानिक नियमों को लागू नहीं करना संविधान की अवमानना करने के समान है और इसलिए संवैधानिक नियमों के तहत मिली जिम्मेदारियों का निर्वाह करते हुए उन्होंने स्पीकर को इस संबंध में संदेश भेजा है। उन्होंने खासतौर से इस बात का जिक्र किया है कि किस तरह दिल्ली विधानसभा और उसकी कमिटियों ने संशोधित अधिनियम के प्रावधानों के खिलाफ जाकर रोजमर्रा के प्रशासनिक कामकाजों में हस्तक्षेप करने और प्रशासनिक निर्णयों को लेकर जांच बैठाने के लिए अपनी सहूलियत के अनुसार नए नियम बनाए। एलजी ने कहा है कि इस तरह के प्रयास संवैधानिक प्रावधानों के अनुरूप नहीं हैं और विधानसभा को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि संवैधानिक प्रक्रियाओं के तहत ही कामकाम हो।