राजस्थान में किसान 1 से 10 जून तक करेंगे देशव्यापी आंदोलन, जानिए क्या है वजह

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राजस्थान: राजस्थान में एक बार फिर से किसान संगठन जल्द ही आंदोलन शुरू करने जा रहें है. किसानों की मांग है कि सरकार कर्ज को माफ करें और फसल उत्पादन को बढ़े. जानकारी के अनुसार, किसान संगठन अपनी मांगों को लेकर 1 से 10 जून तक मंडियों का बहिष्कार करेंगे और गांव के किसान फसलों को अपनी कीमतों के अनुसार बेचने गे. वहीं राजस्थान विधानसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी किसानों को इसमें पूरा समर्थन देने जा रहा है. इस समर्थन का मुख्य उद्देश्य यह है कि आम आदमी पार्टी किसान आंदोलन के जरिए केंद्र की मोदी सरकार को घेरना चाहती है. इस मसले को लेकर आप नेताओं ने मोदी सरकार पर किसानों को ठगने का आरोप भी लगाया है.

क्या है विवाद

आपको बता दें कि 69 किसान संगठनों द्वारा समर्थित ‘किसान महापंचायत’ और 103 संगठनों द्वारा समर्थित ‘आम किसान संघ’ 1 से लेकर 10 जून तक राजस्थान में विरोध प्रदर्शन करने जा रहे हैं. किसानों की मांग है कि कर्ज को पूरी तरह माफ करें और फसल के उत्पादन में 50 फीसदी मुनाफा किया जाए. किसानों का यह भी कहना है कि सरकार स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट को लागू करें.

ऐसे में विपक्षी पार्टी भी कहा पीछे रहने वालों में से है, आप प्रवक्ता आशीष खेतान ने मोदी सरकार पर आरोप लगते हुए कहा कि मेनिफेस्टो में बड़े-बड़े वादे करने से कुछ नहीं होता, केंद्र की बीजेपी सरकार ने स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट को अभी तक लागू नहीं किया. इसके विपरीत कोर्ट में जाकर इसे लागू करने से मना जरुरु कर दिया है. वहीं उन्होंने बताया कि आम आदमी पार्टी के लोग राजस्थान के कार्यकर्ता किसान आंदोलन का हिस्सा भी बनेंग.

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इस द्वारा पम्पलेट बांटकर ग्रामीणों और किसानों को आंदोलन को लेकर ओर ज्यादा जागरूक भी किया जाएगा. किसान के प्रवक्त ओम जांगू ने पंजाब से राजस्थान की नहरों में आ रहें जहरीले पानी का मुद्दा उठाकर, केंद्र सरकार से इस समस्या का समाधान निकालने की अपील की है. उन्होंने यह भी कहा कि राजस्थान के नौ जिलों में गंदा पानी सप्लाई किया जा रहा है. नदी में 16 नालों का गंद पानी जा रहा है जिससे आसपास के लोगों को कई प्रकार की बीमारियाँ हो रहीं है.

किसान संगठन ने चार सदस्यों की एक कमेटी बनाई है. जो अन्य किसानों को इस आंदोलन से जोड़ने का कार्य करेंगी. किसानों ने अपील किया है कि इन आंदोलन के वक्त वहां छुट्टी पर रहेंगे, ऐसे में मंडी और शहर के लोग गांव की हाट पर आकर ही फसल खरीदें.