funds for centre sponsored schemes CSS to Bihar by RBI E Kuber Portal news SPARSH system January – बिहार को अब नए सिस्टम से पैसा देगा केंद्र, नीतीश को फायदा या नुकसान?, बिहार न्यूज

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funds for centre sponsored schemes CSS to Bihar by RBI E Kuber Portal news SPARSH system January – बिहार को अब नए सिस्टम से पैसा देगा केंद्र, नीतीश को फायदा या नुकसान?, बिहार न्यूज

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केंद्र प्रायोजित योजनाओं के लिए दिल्ली से आने वाले पैसे का इस्तेमाल दूसरे काम में ना हो और पैसा बैंक में ही ना पड़ा रह जाए, इसके लिए केंद्र सरकार राज्यों को केंद्रीय मद का पैसा भेजने का तरीका बदलने जा रही है। जनवरी से भारतीय रिजर्व बैंक के ई कुबेर पोर्टल पर स्पर्श नाम की तकनीक से एक क्लिक से पैसा राज्य सरकार के खाते में पहुंच जाएगा। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू में छह मंत्रालयों की योजनाओं का पैसा नए सिस्टम से भेजा जाएगा। आगे दूसरे मंत्रालयों की योजनाओं का भी आवंटन इसी तरीके से होगा। नए सिस्टम को चालू करने का काम युद्ध स्तर पर चल रहा है। इसके लिए दिल्ली से एक टीम पटना आई थी और संबंधित अधिकारियों के साथ एक ट्रेनिंग वर्कशॉप भी किया। 

इस समय केंद्र प्रायोजित योजनाओं का पैसा राज्य सरकार के सिंगल नोडल खाते में आता है जिसमें राज्य सरकार भी अपना हिस्सा डालती है और फिर काम होता है। इस प्रोजेक्ट से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि राज्य सरकार की समेकित वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (इंटीग्रेटेड फिनांसियल मैनेजमेंट सिस्टम) को केंद्र सरकार के लोक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (पब्लिक फिनांसियल मैनेजमेंट सिस्टम) से जोड़ने का काम एक महीने में पूरा हो जाएगा। अधिकारी को उम्मीद है कि जनवरी से नए सिस्टम से राज्यों को पैसा मिलेगा। नए तरीके से जनवरी में छह मंत्रालय ही जोड़े जाएंगे जिनमें शिक्षा, ग्रामीण विकास, स्वास्थ्य, पशुपालन व मत्स्यपालन, समाज कल्याण और वन पर्यावरण जलवायु परिवर्तन विभाग शामिल हैं। 

नीतीश सरकार को केंद्र के नए सिस्टम से फायदा या नुकसान?

अधिकारियों के मुताबिक स्पर्श (SPARSH) सिस्टम के तहत राज्य सरकार के विभागों को पहले केंद्र की योजनाओं में केंद्रीय अंशदान के लिए डिमांड भेजना होगा। इसके बाद केंद्र सरकार केंद्र प्रायोजित योजना में अपना हिस्सा आरबीआई के जरिए भेज देगी। इस सिस्टम में हर केंद्र प्रायोजित योजना के लिए अलग खाता होगा जिसमें केंद्र और राज्य दोनों को अपना-अपना हिस्सा देना होगा। इस सिस्टम में केंद्र और राज्य दोनों के अधिकारियों को 24 घंटे यह दिखेगा कि किस स्कीम में किसने कितना पैसा दिया है और उसे सही से खर्च किया जा रहा है या नहीं।

रीयल टाइम निगरानी से योजनाओं के पैसे को किसी और काम में लगाना या खाते में ही छोड़ देना पकड़ में आ जाएगा। केंद्र की तैयारी है कि पैसा जिस काम के लिए दिया गया हो, उसी पर खर्च हो और हर हाल में खर्च हो जाए। इस तरह की शिकायतें आती रहती हैं कि योजना का पैसा रहते हुए भी काम नहीं हुआ। केंद्र इसको खत्म करना चाहता है।

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केंद्र से पैसा आने की नई व्यवस्था लागू होने के बाद राज्य की नीतीश कुमार सरकार पर दवाब बढ़ेगा कि वो अपने हिस्से का पैसा समय पर जमा करे और योजनाओं को पूरा करे। राज्य सरकार कुछ साल से केंद्र की प्रायोजित योजनाओं में केंद्र की हिस्सेदारी 75 परसेंट से घटाकर 60 परसेंट करने से नाराज है और लगातार इसको उठा रही है। राज्य सरकार का कहना है कि केंद्र प्रायोजित योजनाएं लागू करने में राज्य सरकार पर बोझ बढ़ रहा है जो कई स्कीम में 40 परसेंट हिस्सेदारी तक चला गया है। इससे राज्य के पास अपनी योजना के लिए पैसा घट रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार को भी उद्योग विभाग के एक कार्यक्रम में इस मसले को उठाया। 

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सीएम नीतीश ने बताया कि किस तरह केंद्र सरकार ने केंद्र प्रायोजित योजनाओं में अपनी हिस्सेदारी घटाकर 60 परसेंट कर लिया है जिसकी वजह से राज्यों को अब 25 परसेंट के बदले 40 परसेंट खर्च उठाना पड़ रहा है। नीतीश ने एक बार फिर से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग उठाते हुए कहा कि अगर बिहार को स्पेशल स्टेट्स मिल जाता है तो केंद्र प्रायोजित योजनाओं को लागू करने में राज्य सरकार पर पड़ने वाला बोझ एक हद तक कम हो जाएगा। केंद्र प्रायोजित योजनाओं पर बिहार हर साल लगभग 15 हजार करोड़ जबकि केंद्र 30-32 हजार करोड़ खर्च करता है।

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