Godhra Kand : संसद में अचानक क्यों हुई गोधरा कांड की चर्चा, जानें लालू यादव ने क्या ‘गलत’ किया था?

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Godhra Kand : संसद में अचानक क्यों हुई गोधरा कांड की चर्चा, जानें लालू यादव ने क्या ‘गलत’ किया था?

नई दिल्ली: संसद में बहस के दौरान बुधवार को अचानक गोधरा ट्रेन नरसंहार (Godhra Train Burning) का जिक्र हुआ। बात बढ़ी तो पुराने बयान भी चर्चा में आ गए। तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव का नाम उछला और वह सत्ता पक्ष के निशाने पर रहे। गृह मंत्री अमित शाह ने खुद कहा कि पूर्व रेल मंत्री ने इसे एक दुर्घटना के रूप में पेश करने की कोशिश की थी। आइए समझते हैं कि गोधरा कांड के समय लालू ने ऐसा क्या किया था और 20 साल बाद संसद में इसका जिक्र क्यों हुआ।

साल 2002 का गोधरा कांड आज भी लोगों के जेहन में है। आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) विधेयक पर राज्यसभा में चर्चा हो रही थी। भाजपा सांसद बृजलाल ने गोधरा मुद्दे का जिक्र किया। उन्होंने घटना की जांच के लिए सितंबर 2004 में तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव की ओर से यूसी बनर्जी आयोग के गठन पर सवाल उठाया। लाल ने कहा कि साबरमती एक्सप्रेस के एक डिब्बे में 27 फरवरी 2002 को आग लगा दी गई थी, जिसमें 59 लोग मारे गए थे। दरअसल, उस समय सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त एक पूर्व न्यायाधीश की जांच चल रही थी, लेकिन लालू यादव ने रेलवे अधिनियम का उपयोग करके एक नई कमेटी बना दी थी।
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उत्तर प्रदेश कैडर के पूर्व आईपीएस अधिकारी ने कहा कि RJD के तत्कालीन रेल मंत्री ने यूसी बनर्जी आयोग का गठन किया था जिसने 17 जनवरी 2005 को एक रिपोर्ट सौंपी थी। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि आग दुर्घटनावश लगी थी और कोच में किसी ने आग नहीं लगाई गई थी। इसी पर शाह ने भी लालू यादव को घेरा। लालू यादव द्वारा गठित आयोग की रिपोर्ट में कहा गया था कि कोच में साधु थे जो नशे वाली चीजों का धूम्रपान कर रहे थे और गलती से आग लग गई। शाह ने कहा, ‘इस कमेटी ने बताया था कि यह एक दुर्घटना थी और कोई साजिश नहीं थी। सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया था।’

बृजलाल ने कहा कि निचली अदालत ने मामले में 11 दोषियों को मौत की सजा सुनाई थी और कुछ विपक्षी दलों पर आतंकवादियों के साथ सहानुभूति रखने का आरोप लगाया था। बाद में हाई कोर्ट ने 11 दोषियों की मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया जबकि 20 अन्य की पहले दी गई उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा था।

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पूर्व आईपीएस अधिकारी के बयान पर सदन में काफी हंगामा हुआ। राजद सांसद मनोज झा ने कहा कि ऐसी कोई भी घटना, चाहे वह कश्मीर में हुई हो या गोधरा में या दिल्ली में, हम सभी सामूहिक रूप से इसके लिए जिम्मेदार हैं … आप इसके लिए किसी और को दोषी नहीं ठहरा सकते।

शाह ने कहा, ‘रेल मंत्री ने उस घटना को अलग ऐंगल देने की कोशिश की थी जिसमें लोगों को जिंदा जला दिया गया था।’ गृहमंत्री ने कहा कि इस कमेटी से कुछ भी निकलकर सामने नहीं आया। उन्होंने कहा, ‘अब सुप्रीम कोर्ट का फैसला है। यह उन सात आरोपियों को बचाने की कोशिश थी जिन्होंने लोगों की हत्या की थी…।’

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फैसला भी जान लीजिए
18 सितंबर 2008 को नानावती आयोग गोधरा कांड की जांच रिपोर्ट में बताया कि यह पूर्व नियोजित षड्यंत्र था और एस-6 कोच को भीड़ ने पेट्रोल डालकर जलाया। अयोध्या से करीब 2000 कारसेवक अहमदाबाद जाने के लिए 26 फरवरी 2002 को साबरमती एक्सप्रेस में सवार हुए थे। 27 फरवरी को ट्रेन गोधरा पहुंची तो साबरमती एक्सप्रेस की एस-6 बोगी में आग लगने से 59 लोगों की मौत हो गई थी। इस मामले में 1500 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी। इसके बाद सांप्रदायिक दंगे फैल गए थे। राज्य सरकार पर कई तरह के आरोप लगे लेकिन जांच रिपोर्ट में सरकार को क्लीन चिट दी गई थी।



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