Govt Banks Privatisation: कहां तक पहुंची है 2 सरकारी बैंकों के निजीकरण की प्रक्रिया, जानिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने क्या बताया

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Govt Banks Privatisation: कहां तक पहुंची है 2 सरकारी बैंकों के निजीकरण की प्रक्रिया, जानिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने क्या बताया

हाइलाइट्स

  • सरकार ने चालू वित्त वर्ष में दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण और सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के रणनीतिक विनिवेश की घोषणा की थी
  • उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल ने दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण पर कोई निर्णय नहीं लिया है
  • सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के निजीकरण का रास्ता आसान करने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है

नई दिल्ली
Govt Banks Privatisation: मंत्रिमंडल ने दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) के निजीकरण पर कोई निर्णय (Govt decision on banks privatisation) नहीं लिया है। यह जानकारी मंगलवार को संसद को दी गई। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक लिखित उत्तर में मंगलवार को कहा कि वित्तवर्ष 2021-22 के केंद्रीय बजट में, सरकार ने चालू वित्त वर्ष में दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण (govt banks disinvestment) और सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के रणनीतिक विनिवेश की घोषणा की थी।

उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल ने दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण पर कोई निर्णय नहीं लिया है। वह राज्यसभा में दो पीएसबी के निजीकरण पर एक सवाल का जवाब दे रही थीं। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण से संबंधित विधेयक को संसद के चल रहे शीतकालीन सत्र के लिए सूचीबद्ध किया गया है जो 23 दिसंबर को समाप्त हो रहा है।

सरकार कर रही ये कोशिशें
सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के निजीकरण का रास्ता आसान करने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है। इसी के चलते सोमवार से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक लाने की तैयारी में है। इससे सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के निजीकरण में सरकार को आसानी होगी।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस साल फरवरी में 2021-22 का बजट पेश करते हुए विनिवेश कार्यक्रम के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों (पीएसबी) के निजीकरण की घोषणा की थी। चालू वित्त वर्ष में विनिवेश से 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा गया है।

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बदले जा सकते हैं कुछ बैंकिंग कानून
सूत्रों ने कहा कि सत्र के दौरान पेश किए जाने वाले बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक, 2021 के जरिये पीएसबी में न्यूनतम सरकारी हिस्सेदारी 51 प्रतिशत से घटाकर 26 प्रतिशत किये जाने की संभावना है। हालांकि उसने कहा कि इस विधेयक को पेश करने के समय के बारे में अंतिम निर्णय मंत्रिमंडल ही करेगा।

निजीकरण से पहले ला सकते हैं वीआरएस
विनिवेश पर गठित सचिवों के मुख्य समूह की तरफ से संभवत: सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और बैंक ऑफ इंडिया कुछ नाम हैं जिनके निजीकरण पर विचार किया जा सकता है। सूत्रों का कहना है कि निजीकरण से पहले ये बैंक अपने कर्मचारियों के लिए आकर्षक स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) ला सकते हैं।

एआईबीओसी करेगा निजीकरण का विरोध
ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कन्फेडरेशन (एआईबीओसी) ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की निजीकरण योजना के खिलाफ संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान दिल्ली में विरोध-प्रदर्शन की घोषणा की है। एआईबीओसी के महासचिव सौम्य दत्ता ने इस विरोध-प्रदर्शन की घोषणा करते हुए कहा था कि सरकार 29 नवंबर से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में बैंकों के निजीकरण का विधेयक पेश कर सकती है।

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