Guidelines for Screen Time: बच्चे कैसे और कितनी देर करें स्क्रीन का यूज़, एम्स बनाएगा गाइडलाइंस

61

Guidelines for Screen Time: बच्चे कैसे और कितनी देर करें स्क्रीन का यूज़, एम्स बनाएगा गाइडलाइंस

हाइलाइट्स

  • 1 सितंबर 2021 से आरपी सेंटर का कामकाज संभालेंगे डॉ. जीवन सिंह तितियाल
  • एनबीटी से बातचीत में बताईं चुनौतियां, आंखों के इलाज को पटरी पर लाने की जरूरत
  • कोरोना काल में बच्चों और बड़ों के आंखों की परेशानी बढ़ी, नहीं है कोई गाइडलाइन
  • सेंटर अब साइंटिफिक स्टडी कर जारी करेगा गाइडलाइन, स्क्रीन टाइम तय की जाएगी

नई दिल्ली: देश के जाने-माने कैटरैक्ट सर्जन व एम्स आरपी सेंटर (राजेंद्र प्रसाद सेंटर फॉर ऑप्थैल्मिक साइंसेस) के नवनियुक्त चीफ डॉक्टर जीवन सिंह तितियाल ने कहा है कि कोरोना की वजह से आंखों का इलाज बड़े स्तर पर प्रभावित हुआ है। इसे फिर से पटरी पर लाने की बड़ी चुनौती है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि आने वाले कुछ दिनों में ही आरपी सेंटर के वर्क फ्लो को बेहतर कर इलाज में तेजी लाई जाएगी। वहीं, कोविड काल में बच्चों से लेकर बड़ों तक के चश्मे के बढ़ते नंबर पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा कि अभी इसको लेकर कोई गाइडलाइन नहीं है। जल्द ही एम्स का आरपी सेंटर एक रिसर्च बेस्ड गाइडलाइन जारी करेगा, जिससे यह दुविधा कम हो सकेगी।

कोरोना वायरस से नहीं बचाते ये नीले मास्क? नई स्टडी में बताया, रोकते हैं सिर्फ 10% इन्फेक्शन
वर्क फ्लो बढ़ाने की चुनौती
एनबीटी से खास बातचीत में डॉ. तितियाल ने कहा कि कोविड से कई तरह की चुनौतियां पैदा हो गई हैं। डायबिटीज के मरीजों की आंखों की परेशानी बढ़ गई है। आंखों में स्ट्रेन, प्रेशर, चश्मे का नंबर बढ़ना, आंखों से पानी आना जैसी समस्याएं काफी बढ़ गई हैं। मोतिया की जो नॉर्मल सर्जरी होती थी, वह 40 पर्सेंट तक यह ज्यादा मुश्किल हो गई है। यही नहीं, समय पर इलाज नहीं मिलने से कुछ का मोतियाबिंद ग्लूकोमा में बदल गया है जिससे सर्जरी का लोड बढ़ रहा है। हम वर्क फ्लो और काम के घंटे बढ़ाएंगे, मेडिकल रिकॉर्ड को इलेक्ट्रॉनिक मेडिकल रिकॉर्ड में बदला जाएगा। इससे ओपीडी बेसिस पर काम पटरी पर लाने की कोशिश होगी। ऑपरेशन का बैकलॉग भी कम किया जाएगा।

navbharat times -Ghaziabad News: अधिकारियों का दावा- डेल्टा से कमजोर है डेल्टा प्लस वैरिएंट, जानिए वैक्सीन का कितना असर?
स्क्रीन टाइम के लिए बनेगी गाइडलाइन
डॉ. तितियाल ने कहा कि लंबे समय से ऑनलाइन एजुकेशन और वर्क फ्रॉम होम की वजह से बच्चों और बड़ों के चश्मे का नंबर बढ़ गया है। ओपीडी में ऐसे मरीजों की संख्या काफी ज्यादा है। इनकी काउंसलिंग भी करनी पड़ रही है कि कितना समय स्क्रीन पर दें और क्या-क्या सावधानियां अपनाएं। लेकिन यह पर्याप्त नहीं है, इसलिए गाइडलाइन की जरूरत है। इसके लिए एक कमिटी बनाएंगे, जो वैज्ञानिक रिसर्च आधारित गाइडलाइन बनाएगी। अभी हमें यह नहीं पता कि किस उम्र के बच्चे का कितने घंटे ऑनलाइन क्लास होता है, बच्चों के पास किस तरह के इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स हैं। कंप्यूटर पर हैं या मोबाइल, लैपटॉप या फिर टैब पर। स्क्रीन का साइज और उसका रेडिएशन कैसा है। अगर पीसी है तो इस पर लंबे समय तक काम किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए हर 20 मिनट पर 20 सेकंड का ब्रेक जरूरी है। इन तमाम पहलुओं को ध्यान में रखते हुए ऑनलाइन क्लास व वर्क फ्रॉम होम के लिए गाइडलाइन बनाई जाएगी।

navbharat times -Post Covid Problems : कोविड महामारी से उबरने वाले हो रहे डायबिटीज के शिकार
मास्क से भी होती है आंखों में ड्राइनेस
उन्होंने कहा कि लंबे समय तक मास्क पहनने से भी आंखों को नुकसान होता है। मास्क के ऊपरी हिस्से से छोड़ी गई सांस (कार्बन डाइऑक्साइड) लगातार आंखों में जाती है। यह सीधे आंखों को हिट करता है और यह आंसू को प्रभावित करता है, जिससे ड्राइनेस आती है। आजकल बहुत से ऐसे बच्चे और अडल्ट इलाज के लिए आ रहे हैं, जिन्हें लंबे समय तक मास्क की वजह से आंखों में ड्राइनेस हो रही है। इसके लिए भी जागरूकता जरूरी है। जिन लोगों की तुरंत मोतियाबिंद की सर्जरी हुई, उन्हें जब मास्क लगाना होता है तो उनकी आंखों में ड्राइनेस की दिक्कत ज्यादा हो रही है। अभी लोगों को मास्क कैसे लगाएं, कब लगाएं, इस बारे में सटीक जानकारी नहीं है। जो लोग चश्मा पहनते हैं, उन्हें भी मास्क लगाने पर दिक्कत हो रही है। चश्मे पर फॉग बन जाता है। अगर ऐसी दिक्कत हो रही है तो क्लिप वाला मास्क या फिर मास्क के ऊपर टेप चिपकाएं, ताकि छोड़ी हुई सांस ऊपर न जाए।

दिल्ली की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – Delhi News

Source link