गुजरात में ‘बाल डॉक्टर्स’ करेंगे अपनी उम्र के बच्चों का इलाज

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आजकल गुजरात के ग्रामीण इलाकों में डॉक्टरों की भारी कमी देखी जा रही है. इस परेशानी का हल निकालने के लिए गुजरात की सरकार एक नया आइडिया लेकर आई है. सरकार को उम्मीद है कि इस उपाय पर काम करने से काफी हद तक इस परेशानी से छुटकारा पाया जा सकता है. दरअसल सरकार यहाँ ‘बाल डॉक्टर्स’  का कांसेप्ट लेकर आ रही है.

ये होंगे बाल डॉक्टर्स

गुजरात सरकार राज्य स्कूल स्वास्थ्य प्रोग्राम के तहत बच्चों के बीच से ही कुछ बच्चों को बाल डॉक्टर्स बनाएगी. ये बच्चे अपने सहपाठियों के स्वास्थ्य की देखभाल करेंगे. सूत्रों से पता चला है कि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने अलवली जिले के नवग्राम गांव के सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले छठी क्लास के काजल भूपतभाई नाम के ‘बाल डॉक्टर’ को प्राइमरी स्कूल के पायलट प्रोजेक्ट के लिए नामांकित किया है. ये ‘बाल डॉक्टर्स’ सिर्फ नाम केर ही नहीं काम के भी डॉक्टर होंगे. सरकार ने तय किया है कि इन लोगों के पास स्टैथोस्कोप और आयुर्वेदिक दवाइयां होंगी. इन दवाइयों को वो अपने सहपाठियों को देंगे. स्वास्थ विभाग के अधिकारियों बताया कि इन डॉक्टर्स को आयुर्वेदिक दवाइयों की एक खेप दी जाएगी, ताकि वे किसी भी स्वास्थ्य संबंधी परेशानी से निपट सकें. फिलहाल ये तय हुआ है कि इस योजना के पहले चरण में हर प्राइमरी स्कूल में एक बाल डॉक्टर नियुक्त किया जाएगा, जिसके लिए राज्य का शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग संयुक्त रूप से काम करेगा.

Doctor kid -

इस तरह से काम करेंगे बाल डॉक्टर्स

बाल डॉक्टर्स छोटी बीमारियों में आयुर्वेदिक पद्धति के ज़रिए इलाज करेंगे. वे लोग मिड डे मील से पहले बाकी बच्चों को हाथ धोने के लिए प्रेरित करेंगे। इसके अलावा हर हफ्ते के बुधवार को होने वाले आयरन और फोलिक एसिड सप्लीमेंटेशन (WIFS) प्रोग्राम (राष्ट्रीय हेल्थ मिशन) को भी करीब से मॉनिटर करेंगे.  आदेश के मुताबिक़, वे अपने सहपाठियों को लत मुक्त बनाने और मौसम संबंधित बीमारियों के बारे में ज़रूरी जानकारी देंगे. एक स्वास्थ्य अधिकारी के हवाले से पता चला है कि हर बाल डॉक्टर को एक एप्रन और बैच दिया जाएगा, ताकि वह बिल्कुल डॉक्टर की तरह ही दिखे. इसके साथ ही उन्हें टॉर्च, आयुर्वेदिक दवाइयों की किट, बुकलेट और स्वास्थ्य संबंधी पोस्टर्स भी दिए जाएंगे.

पूरी ट्रेनिंग दी जाएगी

राज्य की हेल्थ कमिश्नर डॉ.जयंती रवि का कहना है कि पहले छात्रों को ट्रेनिंग दी जाएगी. स्वास्थ्य और शिक्षा विभाग द्वारा एक नोडल टीचर नियुक्त किया जाएगा, जो उनकी गतिविधियों पर नज़र रखेगा. उन्होंने कहा कि हम हर स्कूल में इस अवधारणा को लागू करने की कोशिश कर रहे हैं.

आईएमए को रास नही आ रहा ये उपाय

हालांकि गुजरात के इंडियन मेडिकल असोसिएशन (आईएमए) को यह आइडिया पसंद नहीं आ रहा है.  गुजरात के आईएमए ब्रांच के अध्यक्ष डॉ.योगेंद्र मोदी ने कहा कि मुझे इस पहल के बारे में जानकारी नहीं है, लेकिन अगर ये सच है तो ऐसा नहीं होना चाहिए. हम सिर्फ एलोपैथिक दवाइयों में भरोसा करते हैं और सिर्फ उसी को डॉक्टर माना जा सकता है, जिसने एमबीबीएस किया हो.