गुजरात चुनाव : सेल्फी मूड में युवाओं के बीच मुद्दे कहीं गुम ना हो जाए

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गुजरात में जबरदस्त चुनावी माहौल है। जहां एक ओर 22 साल से सत्ता के नशे में चूर बीजेपी में डर का महौल है वहीं दूसरी ओर कांग्रेसी टीम अपने नेता राहुल गांधी को सोशल मीडिया के जरिये एक क्षमतावान व्यक्तित्व के रूप में स्थापित करने में लगी हुई है। चुनाव मैदान में भले ही भाजपा और कांग्रेस पक्ष और विपक्ष के रूप में डटी हुई है लेकिन गुजरात में तीसरा पक्ष भी काफी मजबूत दिखता है और वो है युवाओं का पक्ष।

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गुजरात चुनाव मैदान में आने से पहले हार्दिक, जिग्नेश और अल्पेश ठाकोर जैसे युवा नेताओं ने जिस तरह से जनता को आंदोलित किया है। उसे देखते हुए निश्चित रूप से लग रहा था कि गुजरात का इस चुनाव में वाकई मुद्दों की लड़ाई होगी। नरेंद्र मोदी के गृह राज्य गुजरात में भाजपा अगर आज बेचैन है तो ये युवाओं के ही बदोलत। वरना कांग्रेस में वो दम कहां कि तंगी के इस माहौल में वो भाजपा का कुछ बिगाड़ पाती।

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युवा नेताओं का झुकाव कांग्रेस की तरफ

अल्पेश ठाकोर पहले ही कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं, वहीं जिग्नेश और हार्दिक भी राहुल गांधी से मिलकर कांग्रेस को समर्थन देने की बात कर चुके हैं। आंदोलन के कुछ लोग बीजेपी में भी शामिल हुए थे जिनमें से कुछ अब भी हैं और कुछ आरोप लगाकर बाहर हो गए। लेकिन अब भी ये साफ नहीं हो पा रहा है कि वाकई इन नेताओं के कांग्रेस को समर्थन के बाद भी गुजरात की युवा आबादी कांग्रेस के लिए मतदान करेगी।

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पार्टी की राजनीति में गुजरात के वो युवा नेता भी केवल सरकार बनाने और बिगाड़ने में मशगूल ना हो जाए जिन्होंने बीजेपी सरकार का विकास और अलग-अलग मुद्दों पर नाक में दम कर दिया था। अगर ऐसा होता है तो निश्चित रूप में बीजेपी वापसी करेगी।

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युवाओं का सेल्फी विद नेता

गुजरात चुनाव अहम है, केंद्र और राज्य में मौजूदा बीजेपी सरकार की आलोचना चारो तरफ हो रही है लेकिन इस बीच बड़ी बात ये है कि अब भी मोदी का खुमार लोगों और युवाओं के ऊपर चढ़कर बोल रहा है। ऐसे में सोचने वाली बात है कि क्या गुजरात के युवाओं को ये विश्वास हो पाएगा कि वाकई मोदी से बेहतर विकास पुरूष हमारे बीच कोई है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो सेल्फी विद नेता वाले ये युवा कहीं मोदी के “मैं हूं विकास, मैं हूं गुजरात।” को राहुल के “विकास पागल हो गया है।” से बेहतर जुमला समझकर वोट ना कर दे।