IIT और IIM के स्टूडेंट्स के लिए मैट्रिमोनियल साइट, लोगों के निशाने पर आ गए हैं करण जौहर

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IIT और IIM के स्टूडेंट्स के लिए मैट्रिमोनियल साइट, लोगों के निशाने पर आ गए हैं करण जौहर

करण जौहर (karan johar), जिनकी फिल्में हाई क्लास की प्रेम कहानियां और किरदारों के उतार-चढ़ाव को दर्शाती हैं, अब आईआईटी और आईआईएम जैसे संस्थानों में पढ़ाई करने वालों के लिए एक स्पेशल वैवाहिक वेबसाइट (IITIIMShaadi.com) को प्रमोट करने की वजह से चर्चा में हैं। हालांकि नेपोटिज़म को लेकर लोगों के निशाने पर रहने वाले करण जौहर इस मेट्रिमोनियल वेबसाइट को लेकर अपने इस कदम की वजह से भी वह निशाने पर हैं और इस मुद्दे ने एक बार फिर से तीखी बहस छेड़ दी है।

इस मामले पर जौहर खुद चुप हैं, लेकिन लोगों ने एक विशेष वर्ग के लिए केंद्रित ऐसी साइट का उनके ब्रैंड एंबैसडर बनने का पता चलने के बाद से सोशल मीडिया और अन्य मंचों पर बातें शुरू हो गई हैं। ‘कुछ कुछ होता है’ और ‘कभी खुशी कभी गम’ जैसी फिल्मों के निर्देशक की ऐसे विचार को बढ़ावा देने के लिए आलोचना हो रहा है, जिसमें केवल एलीट वर्ग के लिए यह सुविधा है।


एक सोशल मीडिया यूजर ने लिखा, ‘आईआईटीआईआईएमशादी (IITIIMShaadi) नाम की किसी चीज की मौजूदगी शायद उस समाज की तार्किक अभिव्यक्ति है जो शिक्षा को निवेश, शादी को एक लेन-देन और वर्ग तथा जाति के वर्चस्व को जीवन के अंतिम उद्देश्य के रूप में देखता है।’

समाजशास्त्री संजय श्रीवास्तव ने कहा कि जौहर जो कह रहे हैं, वह सामान्य मान्यताओं के अनुरूप है क्योंकि अभिजात्यवाद यानी एलिटिज़म कोई ऐसी चीज नहीं है जिसे आम लोग नीची नजर से देखते हैं। श्रीवास्तव ने कहा, ‘जौहर कह रहे हैं एक ही वर्ग के भीतर रिश्तों को चुनना चाहिए और वह वर्ग किसी की पहचान का एक बहुत ही महत्वपूर्ण पहलू है। यह एक नई किस्म की आकांक्षा है जो उन विचारों को गहरा करने और उन्हें बढ़ावा देने का काम करती है।’

ट्विटर पर जौहर के लगभग 1.7 करोड़ फॉलोअर्स हैं और इंस्टाग्राम पर उनके 11.7 करोड़ फॉलोअर्स हैं, जहां उन्होंने 30 मार्च को विज्ञापन पोस्ट किया था, जिसकी शुरुआत ‘कुछ कुछ होता है’ के एक प्रसिद्ध संवाद से होती है , ‘हम एक बार जीते हैं, एक बार मरते हैं और शादी भी एक ही बार करते हैं।’

फिर वह सही जीवन साथी चुनने के महत्व के बारे में बात करते हैं। वह कहते हैं कि सही जीवन साथी चुनना आसान नहीं है, खासकर अधिक पढ़े-लिखे लोगों के लिए। विज्ञापन में जौहर कहते हैं, ‘अगर आप उच्च शिक्षित हैं, तो आप उम्र, जाति, ऊंचाई से पहले मानसिक अनुकूलता चाहते हैं और इस जरूरत को केवल एक कंपनी आईआईटीआईआईएमशादी डॉट कॉम समझती है, जो विशेष रूप से सभी क्षेत्रों के टॉप 10 से 15 कॉलेजों के पूर्व छात्रों के लिए वैवाहिक वेबसाइट है।’

करण जौहर से इस मसले पर के लिए सम्पर्क नहीं हो सका। ऐड के साथ फिल्म निर्माता के जुड़ाव ने कई लोगों को यह सवाल करने के लिए प्रेरित किया कि क्या यह विवाह में वर्ग की विशिष्टता बनाए रखने का एक और तरीका नहीं है।

विज्ञापन पेशेवर अभिजीत प्रसाद के मुताबिक, बॉलिवुड ने प्यार की पैरवी की है, लेकिन कभी-कभार ही वर्गविहीन प्यार को विजेता बनाया है। प्रसाद ने कहा, ‘आप सभी राहुल मल्होत्रा और रायचंद को देखते हैं। जाति का पहलू हमेशा से रहा है, कुछ फिल्मों में कभी खुशी कभी गम जैसा टकराव होता है… लेकिन यह वास्तव में इसके केंद्र में नहीं होता है। करण जौहर हमेशा एक कुलीन वर्ग का प्रतिनिधित्व करते रहे हैं, इसलिए मुझे यहां कोई बदलाव नहीं दिख रहा है…।’

जौहर की फिल्म ‘कुछ कुछ होता है’ में राहुल खन्ना और ‘कभी खुशी कभी गम’ में राहुल रायचंद की भूमिका निभाते हुए शाहरुख खान का कई फिल्मों में ‘राहुल’ नाम रहा है। वह यश चोपड़ा की फिल्म ‘डर’ में राहुल मेहरा, रमेश सिप्पी की ‘जमाना दीवाना’ में राहुल मल्होत्रा, अजीज मिर्जा की ‘यस बॉस’ में राहुल जोशी और कई अन्य फिल्मों में राहुल के किरदार में दिखे।

श्रीवास्तव ने कहा, ‘इसके अलावा, जौहर के विज्ञापन का निहित संदेश यह है कि अगर आप इस वेबसाइट के माध्यम से जीवन साथी चुनते हैं तो आप न केवल अपने वर्ग की पृष्ठभूमि से किसी को चुनते हैं बल्कि जाति से भी चुनते हैं। इन संस्थानों में अध्ययन करने वालों में से अधिकांश वास्तव में उच्च वर्ग के हैं। इसलिए, विज्ञापन में वर्ग विशेष की बात कही गई है लेकिन जो बात साफ तौर पर नहीं कही गई है वह है, जाति महत्वपूर्ण है।’

श्रीवास्तव के विचार में जौहर को विज्ञापन से जोड़ कर, पारंपरिक संदेश को आधुनिकता का आवरण दिया गया है। उन्होंने कहा, ‘इसे किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा प्रचारित किया जा रहा है जो स्वयं पहचान के पुराने रूपों से बंधा नहीं है।’

प्रसाद का यह भी मानना है कि विज्ञापन बिना किसी शब्द का उच्चारण किए जातिगत विवाहों को बढ़ावा देता है। उन्होंने कहा, ‘भयावह बात यह है कि हमने बिना शब्द का उपयोग किए भी जाति कहने का एक और तरीका खोज लिया है। उच्च जाति ने जातिविहीन होने के नए तरीके खोजे हैं…क्या आप स्टार्ट-अप में भरोसा करते हैं?’, ‘क्या आप यात्रा करते हैं?’, धन और हैसियत के वे सभी नए सांस्कृतिक प्रतीक यहां चलन में हैं…।’’

यह पहली बार नहीं है जब मशहूर हस्तियों ने खुद को वैवाहिक वेबसाइट से जोड़ा है। भारत मैट्रिमोनी नामक बेवसाइट ने भारतीय क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी को अपना ब्रैंड एंबैसडर बनाया था। इसी तरह, जीवन साथी डॉट कॉम के ‘वी मैच बेटर’ अभियान के लिए तेलुगु सिनेमा के सुपरस्टार महेश बाबू को शामिल किया गया।

‘आईआईटीआईआईएम शादी इस खेल में पहला नहीं है। भारत मैट्रिमोनी ने इलीट मैट्रिमोनी की शुरूआत की थी। इलीट मैट्रिमोनी का उद्देश्य यह था कि या तो आपकी एक निश्चित घरेलू आय है या आप एक शीर्ष स्तरीय कॉलेज से हैं।’’

जौहर के विज्ञापन पर कई अन्य लोगों ने भी टिप्पणी की है। कुछ ने कहा कि यह इस वास्तविकता की अनदेखी करता है कि उच्च शिक्षा तक पहुंच भारत जैसे समाज में केवल अमीर उच्च जाति/वर्ग के लोगों की है। एक ट्विटर यूजर ने लिखा, ‘वाह। मुझे लगता है कि वे आपको एलीट वर्ग के लिए ब्रैंड मैनेजर बनाने में सफल रहे हैं।’

एक अन्य यूजर ने उच्च शिक्षितों के मैट्रिमोनी ऐप के लिए जौहर के ब्रैंड एंबैसडर बनने की विडंबना की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘मैं भ्रमित हूं। करण सर ने हमें केवल इश्क वाला लव (‘स्टूडेंट ऑफ द ईयर’ फिल्म का लोकप्रिय गीत) सिखाया।’





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