India China Border News : भारत-चीन सेना की फिर होगी बात, लद्दाख में चीन से क्या वापस लेना बाकी है?

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India China Border News : भारत-चीन सेना की फिर होगी बात, लद्दाख में चीन से क्या वापस लेना बाकी है?

हाइलाइट्स

  • भारत और चीन एलएसी पर संघर्ष खत्म करने के लिए फिर बातचीत करेंगे
  • दोनों देशों के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन कुछ जगहों पर संघर्ष बरकरार है
  • चीन अब किसी इलाके से पीछे नहीं जाना चाहता है जबकि देपसांग में भारत का रास्ता रोक रखा है

नई दिल्ली
वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तैनात भारी-भरकम फौज की वापसी को लेकर भारत-चीन के बीच पिछले महीने हुई 13वें दौर की सैन्य वार्ता तल्खी के साथ खत्म हुई। हालांकि, दोनों देश फिर से बातचीत की मेज पर आने को तैयार हो गए हैं। सवाल है कि क्या भारत इस बार की मीटिंग में चीन से अपनी मांगें मनवाने में कामयाब हो सकेगा?

रक्षा विशेषज्ञों की मानें तो भारत ने कैलाश रेंज पर अपने कब्जे को छोड़कर बड़ी रणनीतिक गलती कर दी है। कैलाश रेंज पर भारतीय सेना के कब्जे से चीन का कमजोर नस दब गया था। यही कारण है कि चीन ने कई इलाकों में डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया शुरू की और पूरी भी कर डाली। लेकिन, जब कैलाश रेंज खाली हो गया तो वह फिर से अपने रंग में लौट गया। भारत के सामने चीन को देपसांग एरिया में पीछे धकेलने की चुनौती बनी हुई है।

देपसांग पर पेच फंसा रहा है चीन

दरअसल, देपसांग बुल्ज एरिया में कई जगहों पर भारत और चीन के सैनिक अड़े हुए हैं। पीएलए भारतीय सैनिकों को पिछले साल से ही अपने पारंपरिक पेट्रोलिंग पॉइंट्स पीपी-10, 11, 11ए, 12 और 13 के साथ-साथ देमचॉक सेक्टर में ट्रैक जंक्शन चार्डिंग निंगलुंग नाला (CNN) तक जाने नहीं दे रही है। चीनी सैनिकों ने इन इलाकों के रास्ते रोक रखे हैं। भारत चाहता है कि देपसांग पठार में उसे पेट्रोलिंग के पुराने अधिकार मिलें जहां चीनी सैनिक अभी उसे पैट्रोलिंग पॉइंट्स 10 से 13 तक जाने नहीं दे रहे।

भारत इस बात पर जोर दे रहा है कि देपसांग समेत टकराव के सभी बिंदुओं पर लंबित मुद्दों का समाधान दोनों देशों के बीच संबंधों के समग्र सुधार के लिए जरूरी है। समझा जाता है कि भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने वार्ता के 13वें चरण में देपसांग में तनाव कम करने पर जोर देते हुए अपना रुख पुरजोर तरीके से रखा था। ध्यान रहे कि करीब तीन महीने पहले हुई पिछले दौर की वार्ता के बाद गोगरा (पेट्रोलिंग प्वाइंट-17ए) से सैनिकों की वापसी हुई थी।

India China Border Row : कैलाश रेंज से हटकर भारत ने कर दी गलती? फिर से आंखें दिखाने लगा चीन
रिश्तों में नहीं आ पाई नरमी
चीनी सैनिकों की ओर से घुसपैठ की कोशिश की दो घटनाओं की पृष्ठभूमि में 13वें दौर की बातचीत हुई थी। पहला मामला उत्तराखंड के बाराहोती सेक्टर में और दूसरा अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में सामने आया था। पिछले महीने की शुरुआत में अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में यांगत्से के पास भारतीय और चीनी सैनिकों का कुछ देर के लिए आमना-सामना हुआ था।

हालांकि, स्थापित प्रक्रिया के अनुसार दोनों पक्षों के कमांडरों के बीच वार्ता के बाद कुछ घंटे में मामले को सुलझा लिया गया। चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के करीब 100 जवान 30 अगस्त को उत्तराखंड के बाराहोती सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) को पार कर आए थे और कुछ घंटे बिताने के बाद लौट गए थे।

ये इलाके हुए खाली
अब तक पेंगोंग झील, हॉट स्प्रिंग्स एरिया के पीपी 14 और पीपी 15 से दोनों देशों के सैनिकों की वापसी हो चुकी है। सैन्य वार्ता के एक दौर में दोनों सेनाओं के पेट्रोल प्वाइंट 17-ए के पास गोगरा क्षेत्र से पीछे हटने पर सहमति बनी थी। इस समझौते पर अमल हुआ और दोनों सेनाएं वापस हटने लगी थीं और अब यह प्रक्रिया पूरी हो गई है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा था कि गलवान घाटी, हॉट स्प्रिंग्स और गोगरा इलाकों से चीनी सैनिकों की वापसी हो गई है।

75 साल में पहली बार जानलेवा झड़प

पिछले वर्ष 5-6 अप्रैल को एलएसी के पेंगों झील से सटे फिंगर एरिया में दोनों देशों के बीच पहली बार झड़प हुई थी। फिर 15-16 जून को गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई जिसमें भारत के 20 जबकि चीन के 40 से अधिक सैनिक मारे गए। 1975 के बाद एलएसी पर जान जाने की यह पहली घटना थी।



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