India-China Dispute: अरुणाचल में आखिर भारत को क्यों तैनात करनी पड़ी बोफोर्स…कुछ बड़ा होने वाला है?

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India-China Dispute: अरुणाचल में आखिर भारत को क्यों तैनात करनी पड़ी बोफोर्स…कुछ बड़ा होने वाला है?

Curated by | नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated: Oct 20, 2021, 8:17 PM

भारत ने अरुणाचल प्रदेश में चीन से लगती सीमा पर बोफोर्स तोपों की तैनाती कर दी हैं। इससे पहले पूर्वी लद्दाख की तरफ भी बोफोर्स तोपें तैनात की जा चुकी हैं। भारतीय सीमा में चीनी सेना की तैनाती और सैन्‍य अभ्‍यास बढ़ाने की खबरों के बीच भारत ने यह कदम उठाया है।

 

ईटानगर
अरुणाचल प्रदेश को लेकर चीन और भारत का विवाद (India-China Dispute) थमता नजर नहीं आ रहा है। कुछ दिन पहले चीन के विदेश विभाग के प्रवक्‍ता झाओ लिजियान ने विवादित बयान दिया था कि चीन अवैध रूप से बने तथाकथित अरुणाचल प्रदेश को मान्‍यता नहीं देता है। दरअसल, चीन अरुणाचल पर अपना दावा पेश करते हुए इसे दक्षिण तिब्‍बत का हिस्‍सा बताता है। अब, पूर्वी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे ने बताया है कि चीन ने अरुणाचल प्रदेश के सामने अपने अंदरूनी इलाकों में तैनाती और सैन्य अभ्यास बढ़ा दिए हैं।

जनरल मनोज पांडे के मुताबिक, सीमा के पास चीन ऐसे मॉडल गांव बना रहा है जो सैन्य गतिविधियों के लिए भी इस्तेमाल किए जा सकते हैं। इन सबको देखते हुए भारत ने बुधवार को अरुणाचल सीमा पर बोफोर्स तोपों की तैनाती कर दी है ताकि चीन की गलत हरकतों का माकूल जवाब दिया जा सके। बोफोर्स गन की खासियत है कि इसे किसी भी जगह इस्तेमाल कर सकते हैं, खासकर पहाड़ी इलाकों में। इसका वजन 12 हजार किलो है। इस गन में ऑक्जिलरी पावर यूनिट है, जिसकी मदद से ये एक पॉइंट से दूसरे पॉइंट पर अपने इंजन की मदद से जा सकता है। यह अलग अलग तरह के एम्युनेशन फायर कर सकता है। बोफोर्स तोप तैनात किए जाने के बाद सोशल मीडिया पर यूजर्स तरह-तरह की बातें कर रहे हैं। अधिकतर लोग कुछ बड़ा होने का अंदेशा जता रहे हैं।

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पिछले महीने चीनी सैनिकों से हुई थी झड़प

गौरतलब है कि अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में पिछले महीने चीनी सेना से भारतीय जवानों की झड़प हो गई थी। बताया गया कि अरुणाचल प्रदेश में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर चीन के 200 सैनिक तिब्बत की तरफ से भारतीय सीमा में घुस आए थे, जिन्हें भारतीय जवानों ने खदेड़ दिया।

चीन ने अरुणाचल प्रदेश के सामने अपने अंदरूनी इलाकों में तैनाती और सैन्य अभ्यास बढ़ा दिए हैं।

पूर्वी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे

अरुणाचल की सीमा में चीन ने बसाया मॉडल गांव
इस साल जनवरी में कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि चीन ने अरुणाचल में भारत की सीमा से साढ़े चार किलोमीटर अंदर एक गांव बसा लिया है। इसमें 100 से ज्यादा घर बनाए गए हैं। यह गांव सुबनसिरी जिले में सारी चु नदी के किनारे बसाया गया है। यह LAC के पास का एरिया है। US बेस्ड इमेजिंग कंपनी प्लेनेट लैब्स ने इसकी तस्वीरें जारी की थीं। पूर्वी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे ने इन खबरों को सही बताया है।

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एयर डिफेंस गन भी तैनात, एम-777 तोप की बन रही चौथी रेजिमेंट
मॉडर्न हवाई खतरों से निपटने के लिए एलएसी पर एयर डिफेंस गन भी तैनात की गई हैं। पुरानी एल-70 गन को इस तरह मॉडिफाई किया गया है जिससे अब यह ड्रोन से लेकर अटैक हेलिकॉप्टर तक किसी भी मॉर्डन हवाई खतरे से निपट सकती है। इसके अलावा हाल ही में एम-777 गन भी तैनात की गई है। ये 30 किलोमीटर तक के टारगेट को ध्वस्त कर सकती हैं। हल्की होने की वजह से कम वक्त में एक जगह से दूसरी जगह ले जाई जा सकती है। इसके लिए सड़क की जरूरत भी नहीं, इसे चिनूक से भी पहुंचाया जा सकता है। अमेरिका से ली जा रही एम-777 तोप की कुल 7 रेजिमेंट बननी है। तीन रेजिमेंट बन गई है। चौथी रेजिमेंट बनने की प्रक्रिया में है।

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LAC पर हेलीकाप्टर रुद्र और ध्रुव पहले से मौजूद

इससे पहले, भारतीय सेना ने अरुणाचल सीमा पर हेरान आई ड्रोन, हथियारबंद अटैक हेलीकाप्टर रुद्र और ध्रुव की तैनाती की थी। यहां पहले से ही एविएशन विंग में बड़े पैमाने पर चीता हेलीकाप्टर तैनात थे। सेना ने स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित उन्नत हल्के हेलीकाप्टर ध्रुव के स्क्वाड्रन को खड़ा किया है। साथ ही, रुद्र लड़ाकू हेलीकाप्टरों का पहला स्क्वाड्रन भी तैयार किया है।

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भारत और चीन के बीच चल रही चौथी हॉटलाइन
चीन लगातार विभिन्न सीमा समझौतों और प्रोटोकॉल का उल्लंघन कर रहा है। एक दिन पहले लेफ्टिनेंट जनरल पांडे ने बताया था कि इस मामले पर शीर्ष स्तर पर वार्ता चल रही है। दोनों पक्षों के बीच चौथी हॉटलाइन हाल में सक्रिय हो गई है। इसके अलावा, भारतीय सेना ने एकीकृत युद्ध समूह (आईबीजी) नामक नई लड़ाकू संरचनाओं को सैद्धांतिक मंजूरी दी है। ये समूह अधिक प्रभावी और तेजी से काम करने में समक्ष हैं। आईबीजी में पैदल सेना, तोपखाने, वायु रक्षा, टैंक और रसद इकाइयां शामिल होंगी। इस नई व्यवस्था से खासकर चीन और पाकिस्तान के साथ सीमाओं पर सेना की युद्ध लड़ने की क्षमताओं में सुधार की उम्मीद है।



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