Indian Army: आखिर गोरखा रेजिमेंट में क्यों हो रही कुमाऊंनी-गढ़वाली युवकों की भर्ती!

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Indian Army: आखिर गोरखा रेजिमेंट में क्यों हो रही कुमाऊंनी-गढ़वाली युवकों की भर्ती!

हाइलाइट्स

  • 200 पुराने रेजिमेंट में है गोरखा जवानों की कमी
  • सेना में इस वक्त करीब 4500 गोरखा जवानों की कमी
  • हर बटालियन में करीब 100 गोरखा जवानों की कमी

नई दिल्ली
इंडियन आर्मी की 200 साल से भी ज्यादा पुरानी गोरखा रेजिमेंट के बहादुरी के किस्से दुनिया भर में मशहूर हैं। आजादी से पहले से लेकर आजादी के बाद तक। फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ ने कहा था कि अगर कोई व्यक्ति यह कह रहा है कि वह मौत से नहीं डरता, तो या तो वह झूठ बोल रहा है या फिर वह गोरखा है। गोरखा रेजिमेंट में नेपाल मूल के गोरखा या फिर भारतीय मूल के गोरखा ही होते हैं। लेकिन अब गोरखा रेजिमेंट में कुमाऊंनी और गढ़वाली युवकों की भर्ती हो रही है? आखिर क्यों?

गोरखा जवानों की कमी

भारतीय सेना में इस वक्त गोरखा जवानों की कमी है। भारतीय सेना की हर इंफ्रेट्री (पैदल सेना) बटालियन में करीब 800 जवान और जेसीओ गोरखा होते हैं। लेकिन इस वक्त भारतीय सेना में हर बटालियन में करीब 100 गोरखा जवानों की कमी चल रही है। अगर कुल देखें तो भारतीय सेना में इस वक्त करीब 4500 गोरखा जवानों की कमी है। यह कमी पिछले एक-दो साल से आई है। इस कमी को कुछ हद तक पूरा करने के लिए भारतीय सेना में जवानों की भर्ती में एक बार की छूट दी गई और गोरखा रेजिमेंट में उत्तराखंड के कुमांऊ और गढ़वाल के युवकों को भर्ती किया गया।

कुमांऊ और गढ़वाल के युवक काफी हद तक गोरखा के समान

कुमांऊ और गढ़वाल के युवकों को इसलिए भी भर्ती क‍िया जा रहा है, क्योंकि यह काफी हद तक गोरखा के समान हैं। कल्चर से लेकर खान पान में और भौगोलिक स्थितियों में, जिसमें वह रहते हैं, काफी समानता है। भारतीय सेना को उम्मीद है कि जल्द ही गोरखा जवानों की कमी दूर होगी। सेना के एक अधिकारी ने बताया कि गोरखा रेजिमेंट में नेपाल के गोरखा की कमी नहीं है बल्कि भारत के गोरखा जवानों की कमी है।


भारतीय गोरखा नहीं मिल रहे

भारतीय सेना में गोरखा की 7 रेजिमेंट हैं। आजादी के वक्त 10 गोरखा रेजिमेंट थी उनका भारत और ब्रिटेन के बीच बंटवारा हुआ। 6 भारत के हिस्से आई, 3 ब्रिटेन के पास गई और एक डिसबैंड कर दी गई। आजादी के बाद भारतीय सेना ने एक और गोरखा रेजिमेंट बनाई। आजादी के वक्त तक गोरखा रेजिमेंट में करीब 90 पर्सेंट तक गोरखा जवान नेपाल के होते थे और भारतीय गोरखा जवानों की संख्या करीब 10 पर्सेंट थी। लेकिन धीरे धीरे इस रेशियो को बदलने की कोशिश हुई। पहले नेपाल के गोरखा और भारतीय गोरखा के बीच रेशियो 80 और 20 का किया गया। फिर धीरे धीरे भारतीय गोरखा की संख्या और बढ़ाई गई। अभी भारतीय सेना में गोरखा रेजिमेंट में 60 पर्सेंट गोरखा नेपाल डोमेसाइल के (एनडीजी यानी नेपाल डोमेसाइल गोरखा) और 40 पर्सेंट आईडीजी यानी इंडियन डोमेसाइल गोरखा होते हैं।

नेपाल डोमेसाइल गोरखा की संख्या में कोई कमी नहीं

सेना के एक अधिकारी के मुताबिक नेपाल डोमेसाइल गोरखा की संख्या में कोई कमी नहीं आई है लेकिन पिछले एक- दो साल से इंडियन डोमेसाइल गोरखा की कमी हुई है। रिक्रूटमेंट रैली में भारतीय गोरखा की संख्या में कमी नहीं है लेकिन उनमें से मानकों पर खरे उतरने वालों की संख्या धीरे धीरे कम होती जा रही है। भारतीय सेना कभी अपने भर्ती मानकों से समझौता नहीं करती। मानकों पर खरे उतरने वाले भारतीय गोरखा की कमी की वजह से अभी भारतीय सेना को 25-30 पर्सेंट ही भारतीय गोरखा मिल पा रहे हैं। जबकि चाहिए 40 पर्सेंट भारतीय गोरखा।

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गोरखा रेजिमेंटल सेंटर में कुमाऊंनी-गढ़वाली

इस वक्त भारतीय सेना के गोरखा रेजिमेंटल सेंटर में करीब 600 कुमाऊंनी-गढ़वाली युवक ट्रेनिंग ले रहे हैं। इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ। गोरखा रेजिमेंट में गोरखा ही होते हैं, चाहे वह नेपाल के गोरखा हों या भारतीय गोरखा। भारतीय सेना में 7 गोरखा रेजिमेंट हैं और 4 गोरखा रेजिमेंटल सेंटर, जहां गोरखा जवानों की ट्रेनिंग होती है। 5 वीं और 8 वीं गोरखा रेजिमेंट की ट्रेनिंग शिलांग के सेंटर में, पहली और चौथी गोरखा रेजिमेंट की ट्रेनिंग हिमाचल प्रदेश के सबातू सेंटर में, तीसरी और 9 वीं गोरखा रेजिमेंट की ट्रेनिंग वाराणसी में होती है। ये सभी गोरखा रेजिमेंट आजादी से पहले की हैं। आजादी के बाद 11 वीं गोरखा रेजिमेंट बनाई गई जिसका रेजिमेंटल सेंटर लखनऊ में है।

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