कर्नाटक में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए खास तैयारियां की जा रही हैं. मई में होने वाले चुनाव के लिए चुनाव आयोग कोई कसार नहीं छोड़ना चाहता. कहबर है कि इस चुनाव के लिए नई EVM मशीनों का इस्तेमाल होगा.
बुधवार को चुनाव आयोग ने न्यू जेनरेशन ईवीएम को लॉन्च किया है. इस नयी वोटिंग मचीने को मार्क 3 नाम दिया गया है. चुनाव आयोग के मुताबिक नयी ईवीएम मशीन छेड़छाड़ प्रूफ है और इसमें कई खूबियां हैं. सूत्रों की मानें तो इस ईवीएम की चिप को दोबारा रिप्रोग्राम नहीं किया जा सकता है. यानी इसमें सिर्फ एक बार ही सॉफ्टवेयर कोड लिखे जाएंगे. इसके अलावा इस ईवीएम को इंटरनेट या किसी नेटवर्क से लिंक नहीं किया जा सकता है. अगर कोई इसे खोलना करना चाहे या छेड़छाड़ करना चाहे तो एक स्क्रू भी हटने पर यह ईवीएम ऑटोमैटिक शटडाउन हो जाएगी. ट्रायल के तौर पर कर्नाटक चुनाव में 1800 सेंटरों पर नए ईवीएम का इस्तेमाल होगा. 2019 के आम चुनाव में इसे हर सेंटर पर इसे इस्तेमाल करने की योजना है.
बता दें कि पुराने मार्क 2 ईवीएम में सिर्फ 4 बैलेट यूनिट और 64 कैंडिडेट की जानकारी सेव होती थी. लेकिन मार्क3 नाम के नए ईवीएम में 24 बैलेट यूनिट और 384 कैंडिडेट की जानकारी सेव की जा सकती है.
उल्लेखनीय अहि कि चुनाव में इस्तेमाल की जाने वाली ईवीएम मशीनें भारत में ही तैयार होती हैं. इसे भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और बेंगलुरु एंड इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया तैयार करती है. साथ ही ईवीएम के सॉफ्टवेयर भी भारत में ही लिखे जाते हैं. जिसके बाद इन मशीनों को चिप बनाने वाली अमेरिकी या जापानी कंपनियों को दिया जाता है.
आपको बता दें कि 1977 में ईवीएम का विचार आया था, वहीं नवंबर 1998 में मध्य प्रदेश, राजस्थान और नई दिल्ली के कुछ सेंटरों पर ईवीएम का पहली बार इस्तेमाल हुआ था. ईवीएम के पहले वर्जन मार्क 1 को 1989 से 2006 के बीच तैयार किया गया. इसका आखिरी इस्तेमाल 2014 के आम चुनाव में हुआ था. वहीं दूसरे वर्जन मार्क 2 कसे 2006 से 2012 के बीच तैयार किया गया. इसमें रियल टाइम क्लॉक और डायनमिक कोडिंग जैसे फीचर को शामिल किया गया था.