लव जिहाद पर कपिल सिब्बल को सुप्रीम कोर्ट की नसीहत

530

दरअसल ये मामला है धर्म परिवर्तन का, धर्म परिवर्तन कर निकाह करने वाली हदिया उर्फ़ अखिला के मामले की जांच NIA करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी को मामला सौंपते हुए कहा कि जांच की निगरानी उसके पूर्व जज आर वी रवीन्द्रन करेंगे। केरल हाई कोर्ट ने हदिया के निकाह को रद्द घोषित कर उसे पिता के घर वापस भेज दिया था।

चीफ जस्टिस जे एस खेहर और डी वाई चंद्रचूड़ की बेंच ने हदिया से मिलने की मांग फ़िलहाल ठुकरा दी है। ये मांग उससे निकाह करने का दावा करने वाले शफीन जहां के वकील कपिल सिब्बल ने की थी। गौरतलब है कि केरल हाई कोर्ट के 2 जजों ने हदिया से मुलाकात की थी। उनका निष्कर्ष था कि उस पर कट्टरपंथ का गहरा असर है। इसके चलते वो सही-गलत सोचने की स्थिति में नहीं है।

चीफ जस्टिस ने दिया ब्लू व्हेल ऐप का हवाला

कपिल सिब्बल बार-बार ये कहते रहे कि हदिया की उम्र 25 साल है। वो बच्ची नहीं है। जजों को उससे मिलना चाहिए। चीफ जस्टिस जे एस खेहर ने उन्हें टोकते हुए कहा, “आपने ब्लू व्हेल गेम के बारे में सुना है? हमें ये मत बताइए कि कोई किसी के दिमाग पर काबू कर सकता है या नहीं।”

शफीन की तरफ से कोर्ट में पेश दूसरी वकील इंदिरा जय सिंह ने कोर्ट से इस तरह की धारणा न बनाने का अनुरोध किया। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा, “हम हाई कोर्ट के 2 ज़िम्मेदार जजों के निष्कर्ष को ही दोहरा रहे हैं। इसका मतलब ये नहीं है कि हम महिला से मुलाकात नहीं करेंगे। NIA की रिपोर्ट आने दीजिए। हम आखिरी फैसले से पहले उससे ज़रूर मिलेंगे।”

क्या है पूरा मामला

केरल के वाइकोम की रहने वाली अखिला तमिलनाडू के सलेम में होम्योपैथी की पढ़ाई कर रही थी। उसके पिता के एम अशोकन का आरोप है कि हॉस्टल में उसके साथ रहने वाली 2 मुस्लिम लड़कियों ने उसे धर्म परिवर्तन के लिए उकसाया। अखिला ने इस्लाम कबूल कर अपना नाम हदिया रख लिया और जनवरी 2016 में वो अपने परिवार से अलग हो गई।

दिसंबर 2016 में अशोकन ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की। उन्होंने दावा किया कि उनकी बेटी गलत हाथों में पड़ गई है। उसे आईएस का सदस्य बना कर सीरिया भेजा जा सकता है। उन्होंने बेटी को अपने पास वापस भेजने की मांग की।

19 दिसंबर को कोर्ट में पेश हुई थी हदिया

हाई कोर्ट के बुलाने पर हदिया 19 दिसंबर को शफीन जहां के साथ कोर्ट में पेश हुई। कोर्ट को बताया गया कि दोनों ने कुछ दिन पहले निकाह किया है। हाई कोर्ट ने पाया कि अशोकन की याचिका के बाद जल्दबाज़ी में शादी करवाई गई है। हदिया को अपने पति के बारे में ठीक से जानकारी भी नहीं थी।

सुनवाई के दौरान पति और हदिया का धर्म परिवर्तन कराने वाली महिला की संदिग्ध और आपराधिक गतिविधियों की बात भी कोर्ट के सामने आई। कोर्ट ने हदिया की मानसिक स्थिति जानने की भी कोशिश की। जज उससे व्यक्तिगत रूप से मिले और पाया कि कट्टरपंथ के गहरे असर के चलते उसका दिमाग अपने काबू में नहीं है।

हाई कोर्ट ने NIA की एक रिपोर्ट पर भी गौर किया। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि केरल में कट्टरपंथी समूह लोगों के धर्म परिवर्तन की कोशिश में लगे हैं। साथ ही वो ताज़ा मुसलमान बने लोगों को जिहाद के नाम पर अफगानिस्तान और सीरिया भी भेज रहे हैं।

इस साल 25 मई को हाई कोर्ट ने निकाह को अवैध घोषित करते हुए रद्द कर दिया। जजों ने अपने आदेश में लिखा है कि अगर कोई सोचने-समझने की स्थिति में न हो तो उसके अभिभावक की भूमिका निभाना हमारी कानूनी ज़िम्मेदारी है. इसी के तहत हम लड़की को उसके पिता के पास वापस भेज रहे हैं।

पति पहुंचा सुप्रीम कोर्ट

इसके खिलाफ हदिया से निकाह करने वाले शफीन जहां ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया। उसने कहा कि हदिया बालिग़ है। उसकी शादी रद्द करने का हाई कोर्ट को कोई अधिकार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केरल सरकार, NIA और हदिया के पिता को नोटिस जारी कर कर जवाब मांगा था।

NIA ने बताया कि अभी तक किसी भी कोर्ट ने उसे औपचारिक रूप से जांच नहीं सौंपी है। अगर कोर्ट आदेश करे तो वो जांच को तैयार है। NIA की तरफ से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल मनिंदर सिंह ने कहा कि केरल में हाल में इस तरह के कई मामले सामने आए हैं।

शफीन के वकीलों ने NIA को जांच सौंपने का विरोध किया। उन्होंने NIA पर उनके खिलाफ पूर्वाग्रह से भरे होने का आरोप लगाया। लेकिन जजों ने कहा कि जब एक रिटायर्ड जज को जांच की निगरानी का ज़िम्मा सौंपा जा रहा है तो उन्हें इस तरह से आशंकित नहीं होना चाहिए।