Lata Mangeshkar अपने पहले म्यूजिकल शो में पिता की गोद में सो गई थीं, सामने आई थी यह तस्वीर

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Lata Mangeshkar अपने पहले म्यूजिकल शो में पिता की गोद में सो गई थीं, सामने आई थी यह तस्वीर

लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) हमारे बीच अब भले नहीं, लेकिन वह हमेशा हर दिल में जिंदा रहेंगी। लता मंगेशकर नाम ही अपने में एक पूरा ऐसा परिचय है जिनके बारे में कुछ कहने की जरूरत नहीं। लता मंगेशकर का कुछ ऐसा ही परिचय जावेद अख्तर ने एक शो पर दिया था। जावेद अख्तर ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था, ‘आज जिनसे हम बात कर रहे हैं, जिनसे मिलने का सौभाग्य मिला है उनका नाम ही उनकी तारीफ है, आप किसी दिग्गज की इससे ज्यादा क्या तारीफ कर सकते हैं कि आप कहें कि वो लता मंगेशकर हैं।’ यहां भारत रत्न लता मंगेशकर की लाइफ से जुड़ा एक मजेदार किस्सा खुद सिंगर ने सुनाया था, जो उनके पहले शो का था यानी दुनिया के सामने जब लता मंगेशकर पहली बार गाने पहुंची थीं।

लता मंगेशकर ने जावेद अख्तर से बातचीत में अपने बचपन का पूरा किस्सा सुनाया। उन्होंने कहा, ‘मेरे पिताजी की ड्रामा कंपनी थी तो घर में लोगों का आना-जाना और खासकर गाना-बजाना चलता रहता था। मैं सब सुनती रहती थी, लेकिन पिताजी के सामने कभी नहीं गाती थी। हमारा किचन बहुत बड़ा था और वहां बर्तन रखने का एक स्टैंड था और मैं उसपर चढ़ के बैठती थी। जब मां कुछ बनाती रहती तो मं उन्हें अपना गाना सुनाया करती थी। मुझे सहगल साहब का गाना बहुत पसंद था तो वो गाया करती थी तो मां कहा करतीं- तू मेरा सिर मत खा, चली जा यहां से। बस इतना ही मैं गाया करती थी।’

लता ने आगे बताया, ‘एक दिन मेरे पिताजी किसी को गाना सिखा रहे थे और शाम का वक्त था तो वह थोड़ी देर के लिए नीचे गए। मैं गैलरी में खेल रही थी, तब करीब 5 साल की थी। वो जो गा रहा था, मैंने सुना वो मुझे अच्छा नहीं लगा। मैं अंदर गई, मैंने उनसे कहा- बाबा ऐसा नहीं गाते और गाकर बताया कि वो ऐसा गाते हैं। तभी मेरे पिताजी वहां अंदर आए और उन्होंने मुझे सुन लिया। मैं वहां से भागी। तब पिताजी ने मां से कहा- घर में गवैया बैठा है तो मैं बाहर क्यों सिखा रहा हूं लोगों को। दूसरे दिन उन्होंने मुझे सुबह 6 बजे उठाया और कहने लगे तानपुरा उठाओ और बैठो मेरे सामने। जो राग मैंने उसे सिखाया था वही उन्होंने तब स्टार्ट किया। हालांकि वो शाम का राग था- पूरिया धनाश्री, लेकिन वही उन्होंने सुबह किया और मैंने तब से उनसे सीखना शुरू किया।’

लता ने बताया कि उन्होंने 9 साल की उम्र में गाना शुरू किया था। उन्होंने कहा कि उस समय उनका परिवार सोलापूर में रहता था। तब कुछ लोग उनके पिताजी के पास आए और उनके कहा कि वे उनका एक क्लासिकल प्रोग्राम थिऐटर में रखना चाहते हैं। इसपर उनके पिताजी ने हामी भर दी। लता ने पिताजी और और उनलोगों की बातें सुनीं। बाद में उन्होंने अपने पिताजी से कहा कि वह भी गाना चाहती हैं।

लता जी की बातें सुनकर उनके पिताजी ने कहा कि वह तो अभी छोटी हैं, वो क्या गाएंगी। लेकिन लता मंगेशकर ने अपनी जिद रख दी और कहा कि मैं भी गाऊंगी। पिताजी ने उनसे पूछा- कौन सा राग गाएगी? इसपर लता मंगेशकर बोलीं- मैं खंबावती गाऊंगी, जो आप सिखा रहे थे।

लता मंगेशकर ने बताया, ‘शो रात को था तो पिताजी ने कहा- तू पहले गा। मैं गाने के लिए बैठी और गाया मैंने।लोगों को बहुत अच्छा लगा। फिर पिताजी आए और उन्होंने गाया। वो जब गा रहे थे तो मैं पिताजी की गोद में सिर रखकर सो गई। तो ये मेरा पहला प्रोग्राम था।’

लता मंगेशकर ने ट्विटर पर अपने इस शो की तस्वीर भी शेयर की थी। लता मंगेशकर ने अपनी यह तस्वीर पोस्ट करते हुए लिखा था, ‘आज हमारे परिचित उपेन्द्र जी का फोन आया उन्होंने मुझे बताया कि आपने अपना पहला क्लासिकल परफॉर्मेंस पिताजी के साथ 9 सितम्बर 1938 को सोलापुर में दिया था। यह फोटो उस वक्त शो पब्लिलिटी के लिए खिंचवाई थी। यकीन नहीं होता कि गाते हुए 83 साल हो गए।’



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