हिंदू धर्म में भगवान राम का विशेष महत्व है. जिसकी जीवन कथा के बारें में हमें रामायण से पता चलता है. ऐसा माना जाता है कि भगवान राम , विष्णु भगवान का अवतार थे तथा उनके भाई लक्ष्मण को शेषनाग का अवतार माना जाता है. रामाय़ण में लक्ष्मण का किरदार एक आदर्श भाई का था. जिसने अपने भाई राम के वनवास में जाने की खबर सुनकर खुद भी उनकी सेवा में वनवास में उनके साथ चले गए.
पिता के वचन को पूरा करने के लिए वनवास गए भगवान राम के वनवास जाने से ज्यादा महान् लक्ष्मण के भाई के प्यार में उनकी सेवा के लिए वन में जाने को माना जाता है. राम और लक्ष्मण के भातृ प्रेम की मिशाल दी जाती है. ऐसी भी मान्यता है कि जब तक लक्ष्मण भगवान राम के साथ वन में रहे वो उनकी सेवा करते रहे तथा वो एक रात भी नहीं सोए.
लक्ष्मण की पत्नि उर्मिला ने भी बहुत बढ़ा बलिदान दिया लेकिन उसके बारे में रामायण में हमें अधिक जानकारी नहीं मिल पाती है. जब लक्ष्मण ने अपने भाई के साथ 14 वर्ष के लिए वनवास जाने की बात अपनी पत्नि को बताई तो उनसे लक्ष्मण के हर फैसले में उसका साथ दिया. लक्ष्मण ने वनवास जाते हुए उससे वचन लिया था कि वह रोयेगी नहीं. उसका सबसे बड़ा कारण यह था कि राम के वनवास जाने के बाद उसको परिवार को संभालने की बड़ी जिम्मेदारी निभानी थी.
यह भी पढ़ें: शनि देव के अपने पिता सूर्य देव से झगड़े का क्या कारण था ?
ऐसी भी मान्यताएं हैं कि अगले जन्म में महाभारत काल में भगवान राम ने श्रीकृष्ण भगवान के रूप में जन्म लिया तथा लक्ष्मण ने बलराम के रूप में जन्म लिया. बलराम श्रीकृष्ण भगवान के बड़े भाई थे, जिनको दाऊ के नाम से जाना जाता था. श्रीकृष्ण ने महाभारत के युद्ध में बिना शस्त्र उठाए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.