Liquor Ban: बिहार सरकार से शराब बेचने की इजाजत मांग रही हैं CIABC, मंगलवार को नीतीश करेंगे बैठक
नई दिल्ली
Liquor Sale: भारतीय मादक पेय कंपनियों के परिसंघ ने बिहार सरकार से राज्य में शराबबंदी समाप्त करने का आग्रह किया है। परिसंघ ने एक बयान में कहा, ‘‘भारतीय मादक पेय कंपनियों के परिसंघ (सीआईएबीसी) ने बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार से राज्य में शराबबंदी समाप्त करने पर फिर से विचार करने का आग्रह किया है।’’
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शराब की बिक्री खोलने की मांग
परिसंघ ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को शराबबंदी के बिना महिलाओं की मदद करने के उनके घोषित लक्ष्यों को सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठाने का सुझाव दिया है। राजग के घटक दलों- जनता दल (यूनाइटेड), भारतीय जनता पार्टी, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) और विकासशील इंसान पार्टी के नेताओं को लिखे अपने पत्र में सीआईएबीसी ने कहा है कि बिहार शराबबंदी नीति की भारी कीमत चुका रहा है।
नकली शराब से मची तबाही
राज्य में अवैध और नकली शराब बिक रही है, इस अवैध धंधे में शामिल अपराध गिरोह का उभार हुआ है और सरकार को भारी राजस्व का नुकसान हो रहा है।परिसंघ ने कहा कि ऐसे में बिहार का विकास और प्रगति प्रभावित हुई है, क्योंकि राज्य को वैध शराब व्यापार बंद होने से राजस्व का नुकसान हो रहा है, जो प्रति वर्ष लगभग 10,000 करोड़ रुपये है।
16 नवंबर को बैठक
सीआईएबीसी का पत्र हाल ही में जहरीली शराब की घटनाओं के मद्देनजर आया है, जिसमें चार जिलों में 40 से अधिक लोगों की जान चली गई थी। अप्रैल 2016 में नीतीश कुमार सरकार द्वारा राज्य में शराब पर प्रतिबंध लगाने के बाद से, विभिन्न शराब त्रासदियों में लगभग 150 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। राज्य में शराबबंदी को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 16 नवंबर को उच्च स्तरीय बैठक बुलाई है।
पांच साल से बंद है शराब
बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने साल 2016 से राज्य में शराब की बिक्री, सेवन और निर्माण पर पूरी तरह से रोक लगाई हुई है। शराब को लेकर सरकार ने बेशक कड़ा कानून बनाया है लेकिन इसकी हकीकत उलट है। राज्य का आलम ये है कि आए-दिन शराब जब्त और तस्कर गिरफ्तार किए जाते हैं। तस्कर भी स्मार्ट हो गए हैं। वो पुलिस से बचने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाकर तस्करी में लिप्त हैं।
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शराब की बिक्री खोलने की मांग
परिसंघ ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को शराबबंदी के बिना महिलाओं की मदद करने के उनके घोषित लक्ष्यों को सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठाने का सुझाव दिया है। राजग के घटक दलों- जनता दल (यूनाइटेड), भारतीय जनता पार्टी, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) और विकासशील इंसान पार्टी के नेताओं को लिखे अपने पत्र में सीआईएबीसी ने कहा है कि बिहार शराबबंदी नीति की भारी कीमत चुका रहा है।
नकली शराब से मची तबाही
राज्य में अवैध और नकली शराब बिक रही है, इस अवैध धंधे में शामिल अपराध गिरोह का उभार हुआ है और सरकार को भारी राजस्व का नुकसान हो रहा है।परिसंघ ने कहा कि ऐसे में बिहार का विकास और प्रगति प्रभावित हुई है, क्योंकि राज्य को वैध शराब व्यापार बंद होने से राजस्व का नुकसान हो रहा है, जो प्रति वर्ष लगभग 10,000 करोड़ रुपये है।
16 नवंबर को बैठक
सीआईएबीसी का पत्र हाल ही में जहरीली शराब की घटनाओं के मद्देनजर आया है, जिसमें चार जिलों में 40 से अधिक लोगों की जान चली गई थी। अप्रैल 2016 में नीतीश कुमार सरकार द्वारा राज्य में शराब पर प्रतिबंध लगाने के बाद से, विभिन्न शराब त्रासदियों में लगभग 150 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। राज्य में शराबबंदी को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 16 नवंबर को उच्च स्तरीय बैठक बुलाई है।
पांच साल से बंद है शराब
बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने साल 2016 से राज्य में शराब की बिक्री, सेवन और निर्माण पर पूरी तरह से रोक लगाई हुई है। शराब को लेकर सरकार ने बेशक कड़ा कानून बनाया है लेकिन इसकी हकीकत उलट है। राज्य का आलम ये है कि आए-दिन शराब जब्त और तस्कर गिरफ्तार किए जाते हैं। तस्कर भी स्मार्ट हो गए हैं। वो पुलिस से बचने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाकर तस्करी में लिप्त हैं।
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