Madras High Court: ईसाई पादरी ने ‘भारत माता’ के खिलाफ उगला था जहर, मद्रास हाई कोर्ट ने भरी अदालत में लगाई फटकार

69


Madras High Court: ईसाई पादरी ने ‘भारत माता’ के खिलाफ उगला था जहर, मद्रास हाई कोर्ट ने भरी अदालत में लगाई फटकार

हाइलाइट्स

  • मद्रास हाई कोर्ट ने एक ईसाई पादरी को जमकर फटकार लगाई है
  • पादरी ने भारत माता को संक्रमण और गंदगी का स्रोत बताया था
  • पुलिस ने पादरी पोन्नैया के खिलाफ कई धाराओं में केस दर्ज किया था

मदुरै (तमिलनाडु)
मद्रास हाई कोर्ट (Madras High Court) ने हिंदुओं और उनके देवी-देवताओं के खिलाफ जहर उगलने वाले ईसाई पादरी को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि ईसाई धर्म प्रचारक दूसरों की धार्मिक मान्यताओं को चोट पहुंचाने के बाद छूट पाने का दावा नहीं कर सकता। कोर्ट ने कहा कि ऐसे धर्म प्रचारक की तुलना मुनव्वर फारूकी जैसे हास्य कलाकार से नहीं की जा सकती। दरअसल पुलिस ने पादरी जॉर्ज पोन्नैया के खिलाफ धार्मिक भावनाएं आहत करने समेत कई धाराओं में केस दर्ज किया था।

पादरी ने भूमा देवी, भारत माता के खिलाफ उगला था जहर

एफआईआर को आंशिक रूप से रद्द करते हुए जस्टिस जी. आर. स्वामीनाथन ने कहा कि इस तरह की छूट संविधान के तहत सिर्फ तर्कवादियों या व्यंग्यकारों या यहां तक कि शिक्षाविदों को ही उपलब्ध होगी। पोन्नैया ने अपने एक बयान में कहा था कि भूमा देवी और भारत माता संक्रमण और गंदगी के स्रोत थे। पादरी ने राज्य के कन्याकुमारी जिले में एक सभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और प्रदेश के एक मंत्री के खिलाफ भी टिप्पणी की थी। इसी को लेकर पुलिस ने उसके खिलाफ कई धाराओं में केस दर्ज किया था।

Madras High Court: निचली अदालत ने ‘भगवान’ को किया तलब, हाई कोर्ट नाराज, की ये टिप्पणी
जज ने कहा, ईसाई जूते पहनते हैं ताकि उनके पैरों में खुजली न हो
पोन्नैया की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस स्वामीनाथन ने कहा कि याचिकाकर्ता दूसरों के धर्म या धार्मिक मान्यताओं का अपमान नहीं कर सकता है। उन्होंने कहा, ‘हिंदुओं की धार्मिक मान्यताओं को चोट पहुंचाने की बिल्कुल ही कोई जरूरत नहीं थी। यह अवांछित था। यह इसे जानबूझकर की गई टिप्पणी और दुर्भावनापूर्ण बनाता है। याचिकाकर्ता ने उन लोगों का मजाक उड़ाया, जो नंगे पैर धरती मां (भूमा देवी) के लिए यात्रा करते हैं। उन्होंने कहा कि ईसाई जूते पहनते हैं ताकि उनके पैरों में खुजली न हो। उन्होंने (पादरी ने) भूमा देवी और भारत माता को संक्रमण और गंदगी का स्रोत बताया।’

‘याचिकाकर्ता ने बार-बार हिंदू समुदाय को नीचा दिखाया’

जस्टिस स्वामीनाथन ने कहा, ‘याचिकाकर्ता के पूरे भाषण को पढ़ने के बाद कोई भी व्यक्ति संदेह में नहीं रहेगा। उनका लक्ष्य हिंदू समुदाय है। वह उसे (हिंदू समुदाय को) एक ओर और दूसरी ओर ईसाई और मुसलमान को रख रहे हैं। वह स्पष्ट रूप से एक समूह को दूसरे के खिलाफ खड़ा कर रहे हैं। यह अंतर केवल धर्म के आधार पर किया गया है। याचिकाकर्ता ने बार-बार हिंदू समुदाय को नीचा दिखाया।’

‘धार्मिक भावनाएं आहत कर छूट नहीं मांग सकते’
अदालत ने कहा कि भारत का धर्म के आधार पर विभाजन हुआ था और उस दौरान दंगों में लाखों लोग मारे गए थे। न्यायाधीश ने कहा, ‘यही कारण है कि हमारे राष्ट्र निर्माताओं ने नए गणराज्य के मार्गदर्शक सिद्धांत के तौर पर धर्मनिरपेक्षता को अपनाया।’ उन्होंने कहा, ‘वह (पादरी) दूसरों के धर्म का अपमान नहीं कर सकते या उनकी धार्मिक मान्यताओं को चोट नहीं पहुंचा सकते और इसके बाद आईपीसी की धारा 295ए, 153ए, 505(2) को लागू किए जाने से छूट पाने का दावा नहीं कर सकते।’

madras high court



Source link