master plan मास्टर प्लान नहीं आया, 19 साल में 250 संसोधन हुए, इससे पूरा शहर परेशान | The plan did not come, 250 amendments were made in 19 years, the entir | News 4 Social

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master plan मास्टर प्लान नहीं आया, 19 साल में 250 संसोधन हुए, इससे पूरा शहर परेशान | The plan did not come, 250 amendments were made in 19 years, the entir | News 4 Social

master plan मास्टर प्लान नहीं आया, 19 साल में 250 संसोधन हुए, इससे पूरा शहर परेशान | The plan did not come, 250 amendments were made in 19 years, the entir | News 4 Social

नए प्लान में इन प्रावधानों की उम्मीद
– एम्स कटारा हिल्स से लेकर भेल एक्टेंशन और मिसरोद जैसे उपनगर जरूरी
– बड़ा तालाब एफटीएल से बफर जोन की दूरी बढ़ाई जाए। बफर जोन में कुल 10661 हेक्टेयर जमीन की स्थिति
– शहर के किनारे छह हजार हेक्टेयर के सघन वन के साथ छह हजार अतिरिक्त ग्रीन बेल्ट मिलाकर शहर में कुल 12 हजार हेक्टेयर ग्रीनलैंड जरूरी
– टीडीआर और टीओडी पॉलिसी के तहत मेट्रो लाइन किनारे करीब डेढ़ करोड़ वर्गमीटर का क्षेत्र व्यवसायिक
– शहर में प्रवेश किए बिना किनारों के क्षेत्रों को आपस में जोडऩे विशेष कॉरीडोर ताकि कोलार, बैरागढ़, करोद, भानपुर, अयोध्या
– वन क्षेत्र से पीएसपी खत्म हो ताकि जंगल बचें
– वन विहार के 500 मी तक निर्माण न हो। एक किमी तक के क्षेत्र में भी छह मीटर से ज्यादा ऊंचे भवन की अनुमति न दी जाए।
– भदभदा विश्रामघाट से लगी भूमि ग्रीन बेल्ट में हो, मिक्स लैंड यूज का विरोध किया था
– बड़े तालाब के जलग्रहण क्षेत्र में निर्माण व धार्मिक स्थलों पर पूरी तरह प्रतिबंध लगे
– झुग्गी विस्थापन की अलग योजना बने, नए स्लम एरिया को हतोत्साहित हो
– अरेरा कॉलोनी में व्यवसायिक क्षेत्र को लेकर प्रावधान हो
– ऐतिहासिक धरोहरों का प्लान में अलग उल्लेख हो। टूरिज्म प्लान बने।
– रिंगरोड किनारे व्यवसायिक, हेल्थ जोन विकसित
– मास्टर प्लान रोड 18 मीटर तक चौड़ाई की हो
– मंडीदीप, सीहोर, रायसेन, विदिशा जैसे पास के शहरों से कनेक्टिविटी
– आउटर रिंग रोड के साथ इनर रिंग रोड प्रस्तावित की जाए
– आबादी के अनुसार नए बाजार विकसित किए जाएं
– मास्टर प्लान की सडक़ें सरकारी जमीन पर ही तय की जाए, निजी जमीन पर अधिग्रहण की पुख्ता व्यवस्था हो
– बड़ा तालाब कैचमेंट एरिया को बफर जोन तय किया जाए।
– मास्टर प्लान लागू करने कोऑर्डिनेशन कमेटी बने ताकि प्रावधान समय पर लागू हो।
– बड़ा तालाब का एफटीएल व कैचमेंट अलग से चिन्हित हो।

ऐसे बना और रद्द हुआ हमारा मास्टर प्लान
– नौ अगस्त 2008 को तत्कालीन टीएंडसीपी डायरेक्टर दीपाली रस्तोगी ने प्लान प्रकाशित करवाया, हालांकि शासन ने संचालक बदलकर इसे तुरंत ही रोक दिया।
– सितंबर 2009 में नया प्लान बनवाया और ड्राफ्ट प्रकाशित किया। 1600 से अधिक आपत्तियों के बाद इसे भी ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
– 05 मार्च 2020 को 2031 के लिए प्लान का ड्राफ्ट जारी किया गया

भोपाल की ये प्राकृति स्थिति बनी रहे
भोपाल पहाड़ी क्षेत्र पर बसा है। ये उत्तर व दक्षिणपूर्व की ओर ढलान पर है। पहाड़ी का उभरा हिस्सा दक्षिण पश्चिम व उत्तर-पश्चिम की ओर है। तीन प्राकृतिक ड्रेनेज हैं। निर्माण में इस्लामिक, राजपूताना कला का उपयोग किया गया। यहां संकरी सडक़ें हैं। अंदर की तरफ खुला स्थान। यह विशुद्ध भोपाली तरीका है। रंपरागत तौर पर यहां मिक्स लैंडयूज का प्रावधान है। नया भोपाल इसके विपरित चित्र बनाता है। यह आधुनिक आर्किटेक्चरल स्टाइल में है। हरियाली के साथ चौड़ी सडक़ें। यहां कर्मचारी वर्ग का वास है। भेल कॉरपोरेट टाउनशिप है। यह नए भोपाल से मिलता- जुलता क्षेत्र है।
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प्रस्तावित लैंडयूज
– 872 हेक्टेयर व्यवसायिक क्षेत्रफल
– 1484 हेक्टेयर पीएसपी
– 9342 आवासीय
– 114 हेक्टेयर ट्रांसपोर्ट के लिए
– 27786 हेक्टेयर कृषि
– 13914 हेक्टेयर बिल्डअप एरिया
– 12019 ग्रीन लैंड इसमें 6962 ग्रीन स्पेस व 5057 प्रोटेक्टेड फॉरेस्ट
– 14006 हेक्टेयर खाली जमीन
– 4476 हेक्टेयर वाटर बॉडी
नोट- एक लाख हेक्टेयर से अधिक की प्लानिंग की गई है।
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ऐसे बढ़ा प्लानिंग एरिया
– 240.87 वर्गकिमी प्लानिंग एरिया 1991 के प्लान में
– 601.06 वर्गकिमी प्लानिंग एरिया 2005 के प्लान में
– 813.92 वर्गकिमी प्लानिंग एरिया 2021 के ड्राफ्ट में
– 1016.90 वर्गकिमी प्लानिंग एरिया 2031 के ड्राफ्ट में

———————————————————— वेटलैंड रूल्स 2017 के तहत ये नियम- प्रावधान करने होंगे
– अतिक्रमण से पूरी तरह मुक्त
– किसी भी तरह का उद्यम न हो
– किसी भी तरह का निर्माण न हा
े- सोलिड वेस्ट की डंपिग व अनट्रीटेड वेस्ट न हो
– बोट, जेट्टी को छोडक़र कोई भी निर्माण न हो
– मछलीपालन हो सकता है
– नान मॉटराइज्ड बोट का ही संचालन
– गहरीकरण यदि गाद जमा हो रही हो तो ही हो
– नेशनल एनवायनमेंट पॉलिसी 2006
– सिटी बायोडायर्सिटी इंडेक्ट देना था, इसका पालन कराना था
– फॉरेस्ट कंजरवेशन एक्ट 1980
– एनवायरनमेंट इंपेक्ट असेसमेंट 2006
– एनवायरनमेंट प्रोटेक्टशन एक्ट 1986
– एनवायरनमेंट सेंसेटिव जोन तय करने थे
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मौजूदा मास्टर प्लान टेबल
एफएआर की स्थिति
उपयोग क्षेत्र- बेस एफएआर- प्रीमियम एफएआर
आरजी एक-दो- 1.25- 1.25
आरजी तीन- 0.75- 0.25
आरजी चार- 0.25- 2.25
आरजी पांच- 0.06 – 0.06
टीओडी- 00- 3.00
ओल्ड सिटी जोन- 1.25- 1.75
व्यवसायिक एक- 2.50- 0.50
व्यवसायिक दो- 2.00- 1.00
व्यवसायिक तीन- 0.25- 2.75
नोट- इस तरह 31 श्रेणियों एफएआर तय है। फ्लोर एरिया रेशियों का अर्थ है उपलब्ध जमीन से कितना गुना निर्माण हो सकता है। एफएआर सवा है तो 1000 वर्गफीट भूखंड पर 1250 वर्गफीट तक निर्माण हो सकता है।
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एक्सपर्ट्स कोट्स
आपको प्लान बनाने के पहले ये तय करना होगा कि भोपाल के लिए प्लान बना रहे हैं या फिर किसी खास विशेष के लिए। यदि भोपाल के लिए प्लान बना रहे हैं तो भोपाल के प्राकृतिक रंगों को बचाने के प्रावधान करने होंगे। प्लान ही यहां की प्राकृतिक और एतिहासिक वस्तुओं को संरक्षित करने के लिए बनाना चाहिए न कि अन्य किसी को विकास के लिए। यदि ये बची रहेगी तो भोपाल खुद ही विकास के रास्ते पर बढ़ेगा। यदि किसी खास के लिए प्लान होगा तो फिर भोपाल की प्रकृति से छेड़छाड़ करना होगी।
– शीतल शर्मा, टाउन प्लानर
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भोपाल में तमाम शहरीकरण और बढ़ते शोर शराबे के बीच भी बाघ इस क्षेत्र को अपनी उपस्थिति से जीवंत बनाए हुए हैं। हमें समझना चाहिए कि भोपाल वाइल्ड लाइफ के लिए कितना वाइब्रेंट है। मास्टर प्लान में हम इन्हें भूला नहीं सकते। बाघ होने का मतलब है पूरी पर्यावरणीय चेन बनी हुई है। वन्य प्राणियों के साथ नदी, पानी, पहाड़, वन सब भोपाल में ही है। मास्टर प्लान इन्हीं को ध्यान में रखकर बनाना चाहिए। इनका संरक्षण किया जा रहा है, ये बेहतर है।
– एसपी तिवारी, रिटायर्ड सीसीएफ

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