Medicine Baba : 85 साल के मेडिसिन बाबा की कहानी, जरूरतमंद लोगों को फ्री में बांटते हैं दवाई

99

Medicine Baba : 85 साल के मेडिसिन बाबा की कहानी, जरूरतमंद लोगों को फ्री में बांटते हैं दवाई

ललित वर्मा, नई दिल्ली
कोरोना मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सका। ओमीक्रोन भी क्या बिगाड़ेगा। मेरा रास्ता लोगों की सेवा करने का है। मैं इस पर चलता रहूंगा। न पहले कभी रुका और न अब रुकूंगा… यह कहना है 85 साल के ओंकारनाथ का, जिन्हें लोग मेडिसिन बाबा के नाम से जानते हैं। पांव में दिक्कत है, फिर भी कई किलोमीटर रोज चलकर लोगों से घर में बची दवाइयां देने के लिए माइक पर आवाज लगाता यह शख्स अब परिचय का मोहताज नहीं है।

न्यूयॉर्क टाइम्स में भी छपी बाबा की कहानी
मेडिसिन बाबा का नाम लेते ही हर कोई इनके बारे में बता सकता है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि न्यू यॉर्क टाइम्स से लेकर वॉल स्ट्रीट जर्नल तक शायद ही कोई ऐसा अखबार या मीडिया संस्थान दुनिया में होगा, जहां मेडिसिन बाबा के बारे में न छपा हो। वह कहते हैं, 65 से ज्यादा देशों की मीडिया मुझे कवर कर चुकी है। रीडर डाइजेस्ट में छपता हूं इसलिए लोग अब पूरी दुनिया में जानने लगे हैं।

उन्होंने बताया कि यूपी-बिहार में 8वीं की क्लास की बुक में तो मेरे बारे में पढ़ाया ही जाता था। अब छत्तीसगढ़ सरकार के एजुकेशन बोर्ड ने मेरे बारे में 10वीं की इंग्लिश की बुक में चैप्टर जोड़ दिया है। इसका फायदा यह हुआ है कि तमाम देशों से हेल्प के लिए मुझे लोग कुरियर से दवाएं या दूसरे मेडिकल सामान भेज देते हैं जो मैं आगे किसी जरूरतमंद को फ्री में दे देता हूं।

मेडिसिन बाबा

15 साल से दे रहे फ्री में दवाई
ओंकारनाथ का लोगों से बची-खुची दवाइयां इकट्ठा कर जरूरतमंद लोगों में बांटने का सिलसिला करीब 15 साल से चल रहा है। लक्ष्मीनगर में मेट्रो हादसे के बाद से वह यह सफर जारी रखे हुए हैं। कोरोना काल में बिना छुट्टी किए उन्होंने यह काम जारी रखा। खुद जाकर दवाइयां नहीं दे सके तो लोगों से अपने वॉट्सऐप पर एड्रेस भेजने को कहने लगे ताकि कुरियर से दवा भेज सकें। कुरियर के पैसे कहां से आते हैं? इसका जवाब देते हुए वह कहते हैं, ‘न तो किसी से पैसे लेता हूं न देता हूं। कूरियर कराने हों तो बहुत से लोग हैं जो मदद करते हैं। उनसे कह देता हूं।’

इसके बाद वह एक किस्सा साझा करते हैं, ‘एक बार मेरे पास फोन आया कि विदेश से किसी ने 500 यूरिन बैग भेजे हैं। कस्टम क्लियर करवाना है इसलिए 1450 रुपये दे दीजिए। मैंने कहा, एक रुपया भी नहीं है मेरे पास, जहां से आया है वहीं वापस भेज दो। तीन महीने बाद फिर फोन आया कि वही सामान फिर आया है। कस्टम क्लीयरेंस भी हो चुका है। ले जाइए।’ फिर वह कहते हैं, ‘एक वक्त तो मेरे घर के राशन तक के पैसे नहीं थे। तब भी ऐसे लोग ही मदद करते रहे। पैसे कभी नहीं लिए। वे मुझसे राशन की लिस्ट मंगवा लेते और राशन भेज देते।’

वह बताते हैं, ‘पहले जिस संस्था के साथ काम करता था, वे मुझसे अलग हो चुके। मेरा नाम चल रहा है। मैंने अब मेडिसिन बाबा फाउंडेशन के नाम से संस्था रजिस्टर करवाई है। इसी के लिए सुबह 9 से दोपहर 3 बजे तक दवाइयां कलेक्ट करता हूं। मेरी टीम में अब फार्मासिस्ट भी हैं और दो और लड़के भी, जिनको सैलरी दी जाती है। उत्तम नगर में 80 गज के प्लॉट में परिवार के साथ रहते हैं। अब एक गोदाम भी बनाया है जहां मेडिसिन रखते हैं। अब बहु मीनू शर्मा भी स्कूटी पर बिठाकर इन्हें दवाइयां कलेक्ट करने ले जाने लगी हैं।

दिल्ली की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – Delhi News

Source link