पश्चिम बंगाल राज्य आधिकारिक का नाम ‘बांग्ला’ रखने की मांग को केन्द्र सरकार ने ठुकरा दिया है। दरअसल, पश्चिम बंगाल सरकार की तरफ़ से राज्य का नाम बदलकर ‘बांग्ला’ रखने का प्रस्ताव दिया गया था।
केन्द्र की भाजपा नेतृत्व मोदी सरकार ने पश्चिम बंगाल का मौजूदा नाम हटाकर ‘बांग्ला’ रखने की राज्य सरकार की मांग को अस्वीकार कर दिया है। आज संसद में एक सवाल का जवाब देते हुए सरकार की ओर से केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि राज्य के नाम में परिवर्तन के लिए संवैधानिक संशोधन की जरूरत होती है। पश्चिम बंगाल की ममता सरकार ने राज्य का नाम बदलने का प्रस्ताव दिया था। 26 जुलाई 2018 को पश्चिम बंगाल विधानसभा ने राज्य का नाम ‘बांग्ला’ करने का प्रस्ताव पास किया था। इस प्रस्ताव को मंजूरी के लिए गृह मंत्रालय के पास भेजा गया था।
पश्चिम बंगाल सरकार में शहरी विकास मंत्री फिरहाद हकीम ने कहा, ”नाम बदलने की प्रक्रिया पहली बार साल 2016 में शुरू हुई थी, जब राज्य सरकार ने तीन अलग-अलग भाषाओं में नाम प्रस्तावित किए थे। ये नाम थे- बंगाली में बांग्ला, अंग्रेजी में बंगाल और हिंदी में बंगाल, लेकिन सरकार ने इस प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया और एक नाम मांगा गया। हमने प्रस्ताव में संशोधन किया और एक नाम भेजा।”
इस मामले पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि वह नहीं चाहतीं कि अंग्रेज़ी वर्णमाला के हिसाब से उनके राज्य का नाम सबसे नीचे हो। नाम बांग्ला करने से यह समस्या हल हो जाएगी।