Muzaffarpur Shelter Home Case : सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार से मांगी कार्रवाई की रिपोर्ट, जानिए पूरा मामला

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Muzaffarpur Shelter Home Case : सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार से मांगी कार्रवाई की रिपोर्ट, जानिए पूरा मामला

नई दिल्ली/पटना : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बुधवार को बिहार सरकार को मुजफ्फरपुर आश्रय गृह (Muzaffarpur Shelter Home Case) यौन उत्पीड़न मामले में की गई कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता शोएब आलम ने प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमना की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष पेश किया कि सीबीआई ने कुछ अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की थी और यह स्पष्ट नहीं है कि अब तक कोई कार्रवाई की गई है या नहीं। उन्होंने कहा, ‘मैं केवल कार्रवाई की रिपोर्ट मांग रहा हूं। सरकार ने कार्रवाई नहीं की है।’

शीर्ष अदालत बिहार की पत्रकार निवेदिता झा की ओर से दायर एक याचिका पर विचार कर रही है, जिसमें मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस की मीडिया रिपोर्टिंग पर पटना उच्च न्यायालय की ओर से लगाए गए पूर्ण प्रतिबंध को चुनौती दी गई है। पीठ में न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी भी शामिल हैं। पीठ ने कहा कि मामले में जांच पूरी हो गई है और कुछ आरोपियों को दोषी ठहराया गया है।

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बिहार सरकार के वकील ने कहा कि एक मामले में दोष सिद्धि हो चुकी है और अब अपील दिल्ली उच्च न्यायालय में लंबित है। वकील ने शीर्ष कोर्ट को यह भी बताया कि संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। सीबीआई की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल माधवी दीवान ने पेश किया कि मामले में जांच पूरी हो गई है और कुछ अधिकारियों को कोर्ट की अनुमति के बाद मूल कैडर में वापस कर दिया गया था।

माधवी दीवान ने कहा कि ऐसी कोई जांच नहीं है जो लंबित है और मुख्य मामले में मुकदमा चल रहा है। पीठ ने कहा, ‘सीबीआई ने अधिकारियों के मूल कैडर में प्रत्यावर्तन के संबंध में भी एक आवेदन दायर किया है। सीबीआई की ओर से एक आश्रय गृह और फिर अन्य के खिलाफ भी जांच की गई।’ मामले में दलीलें सुनने के बाद, पीठ ने कहा, ‘राज्य को कार्रवाई की गई रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया जाता है। यह सीबीआई के लिए खुला है कि वह ट्रायल कोर्ट के सामने पेश हुए वकीलों से सहायता लें। दो हफ्ते के बाद सूची बनाएं।’

मुजफ्फरपुर में एक एनजीओ की ओर से संचालित शेल्टर होम में कई लड़कियों के साथ कथित तौर पर दुष्कर्म और उनका यौन शोषण किया गया था। टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टिस) की एक रिपोर्ट ने इस मुद्दे को सामने लाया था। मामले की जांच सीबीआई ने की थी। शीर्ष अदालत ने सीबीआई को मुजफ्फरपुर मामले में अप्राकृतिक यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच करने का भी निर्देश दिया था।

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