भारतीय राजनीति में वंशवाद; इस हमाम में सब नंगे हैं!

855

भारतीय राजनीति की अगर बात की जाय तो, शुरूआती दौर से ही इसपर वंशवाद का लांछन लगता रहा है. भारत के पहले प्रधानमंत्री ‘पंडित नेहरु’ हो या फिर आज के दौर में राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह. हालांकि राजनाथ सिंह इस बात की दुहाई देते रहते हैं कि पंकज ने एक कार्यकर्ता के तौर पर भाजपा ज्वाइन किया था, लेकिन फिर भी राजनीति में तो सब संभव है. हम अगर प्रमुख पार्टीयों का लेखा-जोखा देखें तो कुछ नज़ारा साफ़ हो जायेगा.

Nehru ji -

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

कांग्रेस पार्टी की बात करें तो नेहरु परिवार ही इसकी विरासत संभालता चला आ रहा है. मोतीलाल नेहरु से शुरू हुई पार्टी और अब राहुल-प्रियंका की जोड़ी भी मैदान में उतर चुकी है. शुरूआती दौर की अगर बात की जाय तो नेहरु उसके बाद इन्दिरा और फिर राजीव गाँधी. इन सब का ताल्लुक नेहरु/गाँधी परिवार से है. बाद में सोनिया गाँधी के हाथ में कांग्रेस पार्टी की कमान 1998 से लेकर 2017 तक थी, और 2017 में फिर राहुल गाँधी को पार्टी अध्यक्ष बनाया गया. हालाँकि इंदिरा के समय कामराज और लाल बहादुर शास्त्री जैसे नेता भी इसी पार्टी में थे.

Rajnath singh 4 -

भारतीय जनता पार्टी

भारतीय जनता पार्टी में भी नेपोटिज्म माने वंशवाद कम नही है. हम राजनाथ सिंह,सुषमा स्वराज, पीयूष गोयल, रविशंकर प्रसाद, विजय गोयल या फिर किरण रिजिजू की बात करे तो इनका पारिवारिक लिंक कही न कही मिल ही जायेगा. जैसे राजनाथ सिंह अपनी विरासत को पंकज के सहारे बढ़ा रहे हैं. सुषमा स्वराज की बात करें इनके पिता हरदेव शर्मा आरएसएस के स्वयंसेवक और हरियाणा में नेता थे. इनके पति भी राज्यपाल और राज्यसभा सदस्य जैसे राजनीतिक पदों पर रह चुके हैं. पीयूष गोयल के पिता वेदप्रकाश गोयल अटल जी की सरकार में केन्द्रीय मंत्री थे.

अब अगर हम और खोज-बीन करें तो नाम बहुत से सामने आयेंगे. कुछ पार्टियों की राजनीति ही वंशवाद के भरोसे चल रही है. क्षेत्रीय पार्टियों की बात करें तो लिस्ट बहुत लम्बी होगी. बाकी आगे देखते हैं, क्या होता है?