बैंकिंग सेक्टर के सबसे बड़े घोटालों में से एक में जांच एजेंसियों ने हीरा व्यवसायी नीरव मोदी के खिलाफ शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुवार (15 फरवरी) को 11 हजार करोड़ रुपये से भी ज्यादा के घोटाले में मुख्य आरोपी नीरव मोदी, गीतांजलि जेम्स और पंजाब नेशनल बैंक (PNB) के 21 ठिकानों पर छापे मारे हैं। इनमें दिल्ली के डिफेंस कॉलोनी और मुंबई के काला घोड़ा स्थित शोरूम और कार्यालय भी शामिल हैं। वहीं, PNB द्वारा एफआईआर दर्ज कराने से पहले ही नीरव मोदी देश छोड़ कर स्विट्जरलैंड पहुंच गए। गृह मंत्रालय ने बताया कि उसे नीरव के देश छोड़ने की जानकारी नहीं है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, नीरव ने बैंक के समक्ष अपनी फ्लैगशिप कंपनी फायरस्टार डायमंड को बेचकर भुगतान करने का लिखित में प्रस्ताव रखा था। इस पूरी प्रक्रिया में तीन से छह महीने का वक्त लग सकता है। कंपनी का कुल बाजार मूल्य 6 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा आंका गया है। इससे पहले, वित्त मंत्रालय ने एक एडवायजरी जारी कर सभी बैंकों को लार्ज एक्सपोजर (एक कस्टमर को दिया गया लोन) की समीक्षा करने का निर्देश दिया था। साथ ही ईडी को भी जांच शुरू करने को कहा था। बता दें कि ईडी विदेशी मुद्रा या विदेशी वित्तीय लेनदेन से जुड़े मामलों की जांच करता है। PNB द्वारा नीरव मोदी के पक्ष में 281 करोड़ रुपये मूल्य का लोन गारंटी जारी करने के मामले में सीबीआई ने पहले से ही एक एफआईआर दर्ज कर रखी है।
बैंकों की 30 शाखाओं ने फर्जी गारंटी पर दिया है कर्ज: ‘मिंट’ की रिपोर्ट के अनुसार, PNB द्वारा फर्जी दस्तावेज के आधार पर जारी लोन गारंटी पर भारतीय बैंकों की कम से कम 30 शाखाओं (अंतरराष्ट्रीय ब्रांच समेत) ने नीरव मोदी को कर्ज दिया था। इनमें इलाहाबाद बैंक (2,000 करोड़ रुपये), यूनियन बैंक (2,300 करोड़ रुपये), एसबीआई (960 करोड़ रुपये), एक्सिस बैंक और कुछ विदेशी बैंकों ने आरोपी हीरा व्यवसायी को कर्ज दे रखे हैं। बैंकों के बीच घोटाले की जिम्मेदारी को लेकर भी आरोप-प्रत्यारोप को दौर शुरू हो गया है। फर्जी गारंटी पर लोन देने वाले अन्य बैंकों ने इसके लिए PNB को जिम्मेदार ठहराया है। वहीं, PNB इससे अपना पीछा छुड़ाने में जुटा है। इलाहाबाद बैंक, एसबीआई और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने PNB से लोन की रकम लौटाने को कहा है।
PNB Fraud Case: ED team at Nirav Modi's showroom & office in Mumbai's Kala Ghoda. pic.twitter.com/3YQq4lyKNj
— ANI (@ANI) February 15, 2018
2011 में हुई थी घोटाले की शुरुआत: घोटाले की शुरुआत सात साल पहले वर्ष 2011 में हुई थी। PNB इस मामले में अपने 10 कर्मचारियों को पहले ही निलंबित कर चुका है। बताया जाता है कि PNB के कर्मचारियों ने नीरव मोदी और अन्य के साथ मिलीभगत कर कोर बैंकिंग सिस्टम (सीबीएस) को नजरअंदाज करते हुए लोन की स्वीकृति दी थी। इससे फर्जीवाड़े का पता सही समय पर नहीं चल सका। घोटाले के सामने आने के बाद PNB के शेयरों में गिरावट का दौर जारी है।