Niti Aayog: अब झट से बिक जाएंगी सरकारी कंपनियां, देरी रोकने के लिए नीति आयोग ने दिए सुझाव

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Niti Aayog: अब झट से बिक जाएंगी सरकारी कंपनियां, देरी रोकने के लिए नीति आयोग ने दिए सुझाव

हाइलाइट्स:

  • PSU में हिस्सेदारी बेचने (PSU Sale) की लंबी प्रक्रिया की वजह से कई बार देरी होती है।
  • PSU हिस्सेदारी बिक्री (stake sales) की मंजूरी प्रक्रिया के कई चरणों को कम करने की जरूरत है।
  • PSU Stake sale में देरी से संसाधन जुटाने की योजना में गड़बड़ी आती है।

नई दिल्ली
नीति आयोग ने सरकारी कंपनियों (PSU) के निजीकरण के लिए प्रक्रिया में कटौती करने की वकालत की है। मोदी सरकार के थिंक टैंक नीति आयोग (Niti Aayog) ने सुझाव दिया है कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में हिस्सेदारी बिक्री (stake sales) की मंजूरी प्रक्रिया के कई चरणों को कम करने की जरूरत है। नीति आयोग (Niti Aayog) ने कहा है कि ऐसा करने से सरकारी कंपनियों में हिस्सेदारी बेचने (PSU stake sales) के काम में तेजी आ सकती है।

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स्क्रूटनी के बाद कैबिनेट में हो पेश
भारत सरकार पैसे जुटाने के लिए पिछले काफी समय से सरकारी कंपनियों में हिस्सेदारी बेचने (disinvestment exercise) की कोशिश कर रही है। साल 2021 22 के यूनियन बजट में घोषित इस प्रावधान में कई दिक्कतें आ रही हैं। इस बारे में एक विचार यह है कि मोदी कैबिनेट ने पहले ही सार्वजनिक क्षेत्र (Psu) की कंपनियों में हिस्सेदारी बिक्री को मंजूरी दे दी है, इसमें देरी नहीं होनी चाहिए।

लंबी नहीं होगी प्रक्रिया
बजट में घोषित पीएसयू स्टेक सेल (disinvestment exercise) की इस योजना के हिसाब से अब नीति आयोग ने सुझाव दिया है कि हिस्सेदारी बिक्री की मंजूरी के सातचरणों को कम किए जाने की जरूरत है। पीएसयू (PSU) में हिस्सेदारी बिक्री (disinvestment exercise) के प्रस्ताव को कंप्लीट स्क्रूटनी के बाद सीधे कैबिनेट के सामने पेश किया जाना चाहिए।

उद्देश्य की पूर्ति नहीं
इस मामले से जुड़े सूत्रों ने बताया है कि पिछले कई सालों से सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में हिस्सेदारी बेचने (PSU Sale) की लंबी प्रक्रिया की वजह से कई बार देरी होती है। इससे फैसले लेने में भी बाधा पहुंचती है और संसाधन जुटाने की योजना में गड़बड़ी आती है। सूत्रों ने बताया है कि केंद्र सरकार ने आम बजट में रणनीतिक विनिवेश नीति की घोषणा की थी। इसका उद्देश्य पब्लिक सेक्टर की कंपनियों (PSU) में केंद्र सरकार का दखल कम करना है, इनमें वित्तीय संस्थान आदि भी शामिल हैं। केंद्र सरकार का उद्देश्य भी है कि इन कारोबार में निजी सेक्टर के निवेश करने के लिए गुंजाइश बनाई जाए।

किसका निजीकरण, किसकी बिक्री
केंद्र सरकार की विदेश नीति के हिसाब से रणनीतिक और गैर राजनीतिक सेक्टर की पहचान की गई है और उनका क्लासिफिकेशन किया गया है। रणनीतिक सेक्टर में पीएसयू में सरकार अपनी हिस्सेदारी कम से कम करना चाहती है। सीपीएसयू में केंद्र सरकार अपनी हिस्सेदारी का निजीकरण या उसमें अन्य सहयोगी इकाइयों का विलय करना चाहती है। गैर रणनीतिक सेक्टर में पीएसयू का निजीकरण किया जा सकता है या उन्हें बंद किया जाना है।

तय समय-सीमा में हो काम
इस बारे में एक सूत्र ने कहा, “हम इस बारे में बिल्कुल साफ है कि हम एक पारदर्शी प्रक्रिया अपनाना चाहते हैं। इसके साथ ही हम यह भी समझते हैं कि सरकारी कंपनियों को बेचने में (PSU Sale) कोई देरी नहीं होनी चाहिए। सरकारी कंपनियों को बेचने (PSU Sale) की प्रक्रिया तेज हो सकती है। एक बार कैबिनेट से अंतिम मंजूरी मिल जाने के बाद कंपनियों को बेचने (PSU Sale) की समय सीमा तय होनी चाहिए।”

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