Pakistan News : इमरान खान की सरकार गिराने वाले पाकिस्तान के नए हुक्मरान कौन हैं?

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Pakistan News : इमरान खान की सरकार गिराने वाले पाकिस्तान के नए हुक्मरान कौन हैं?

इस्लामाबाद: आखिरी बॉल तक खेलने का दंभ भरने वाला पाकिस्तान क्रिकेट का वह दिग्गज खिलाड़ी सियासत की पिच पर क्लीन बोल्ड हो चुका है। जी हां, पड़ोसी मुल्क में पिछले एक महीने में ऐसा पासा पलटा कि इमरान खान (Imran Khan) पीएम हाउस से निकलकर पैदल हो गए। अमेरिका की साजिश का आरोप लगाकर इमरान खान, संसद के स्पीकर और उनके पूरे सहयोगियों ने सरकार बचाने की तमाम कोशिशें कीं लेकिन सुप्रीम कोर्ट से झटका लगने के बाद गेम ओवर हो गया। 9 मार्च का दिन मुकर्रर हुआ और पाक संसद में दिनभर ड्रामा चला। अलग-अलग कारणों से तीन बार सदन की कार्यवाही स्थगित की गई, एक समय ऐसा लगा कि इमरान की टीम पूरी तैयारी से है कि वोटिंग नहीं कराई जाएगी। विपक्ष ने जब सुप्रीम कोर्ट के फैसला का हवाला देते हुए संसद में आवाज बुलंद की तो आधी रात के बाद मतदान कराना पड़ा। हुआ वही जिसका इमरान को डर था। अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान में वह हार गए। क्रिकेटर से नेता बने इमरान खान देश के इतिहास में पहले ऐसे प्रधानमंत्री बन गए हैं, जिन्हें अविश्वास प्रस्ताव के जरिए हटाया गया है। मतदान के समय वह निचले सदन में उपस्थित भी नहीं थे। रात में ही खबर आ गई थी कि वोटिंग से पहले ही इमरान ने आधिकारिक आवास छोड़ दिया है। संयुक्त रूप से विपक्ष ने पहले ही घोषणा कर दी थी कि पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज के अध्यक्ष शाहबाज शरीफ (70) उनके संयुक्त उम्मीदवार होंगे। पीएम भले ही शाहबाज (Shahbaz Sharif) बनें लेकिन नई सरकार में दो और प्रमुख किरदार होंगे। पाकिस्तान के नए सियासी घटनाक्रम को आइए समझते हैं।

पुराना पाकिस्तान लौटा!

69 साल के इमरान खान 2018 में ‘नया पाकिस्तान’ बनाने के वादे के साथ सत्ता में आए थे। हालांकि, वह वस्तुओं की कीमतों को नियंत्रण में रखने में नाकाम रहे और देशभर में उनके खिलाफ जबर्दस्त गुस्सा फूट पड़ा। आज कुर्सी जाने पर पाकिस्तान के शहरों में जश्न की तस्वीरें आ रही हैं, लोग नाच रहे हैं। तीन साल विपक्ष में बैठे रहे नेता आज ‘पुराना पाकिस्तान’ मिलने की बातें कर रहे हैं। पुराना पाकिस्तान के दिन लौटने वाले हैं तो नेता भी पुराने अब सत्ता के केंद्र में दिखाई देंगे। जी हां, नवाज शरीफ भी वनवास छोड़ स्वदेश लौट सकते हैं। पाकिस्तान की सत्ता उनके खानदान के पास फिर से आ गई है।

मैं अतीत की कड़वाहट में वापस नहीं जाना चाहता। हमें इसे भूलकर आगे बढ़ना होगा। हम कोई बदले की कार्रवाई या अन्याय नहीं करेंगे। हम बिना वजह किसी को जेल नहीं भेजेंगे।

शाहबाज शरीफ

भाई बनेगा पीएम तो नवाज का बढ़ेगा दबदबा
नवाज शरीफ तीन बार पीएम रह चुके हैं और उन्हें पीएम पद के लिए अयोग्य ठहरा दिया गया है और इस समय वह ब्रिटेन में निर्वासित जीवन बिता रहे हैं। उनके भाई शाहबाज शरीफ को पाकिस्तान की अंदरूनी राजनीति में एक प्रभावी प्रशासक के रूप में माना जाता है। नवाज के भले ही पाक फौज से रिश्ते ठीक न रहे हों लेकिन शाहबाज और सेना के बीच अच्छी केमिस्ट्री है। पाकिस्तान की सेना का देश की राजनीति पर सीधा हस्तक्षेप है।

इमरान ने जनता के बुनियादी मुद्दों की तरफ ध्यान दिए बगैर धार्मिक एजेंडे को हमेशा आगे बढ़ाया। उन्होंने बेवजह अमेरिका और भारत के साथ रिश्ते खराब किए। अब देश के रईस शरीफ खानदान से आने वाले शाहबाज अमेरिका और भारत से संबंधों को बेहतर कर सकते हैं। वह अपनी कड़क प्रशासनिक शैली के लिए जाने जाते हैं। पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री के रूप में उनके पास सरकार चलाने का लंबा अनुभव है। उनके चीन से भी अच्छे रिश्ते रहे हैं। उन्होंने कई शादियां की हैं और लंदन-दुबई में उनके कई लग्जरी फ्लैट अपार्टमेंट हैं।

शाहबाज शरीफ को तमाम सहयोगी दलों को भी साधना होगा। उनकी सरकार में नवाज शरीफ की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। उनका प्रभाव भी प्रशासन पर दिख सकता है। शाहबाज का जन्म लाहौर में एक पंजाबी भाषी परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम मोहम्मद शरीफ है, वह एक जानेमाने बिजनेसमैन थे। उनका परिवार कश्मीर के अनंतनाग से बिजनस के लिए आया था और अमृतसर गांव में ही बस गया। बंटवारे के बाद शाहबाज के माता-पिता अमृतसर से लाहौर चले गए।

आसिफ अली जरदारी
नई सरकार में दूसरे प्रमुख किरदार आसिफ अली जरदारी हैं। वह पाकिस्तान के राष्ट्रपति रहे हैं और प्रमुख विपक्षी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) के अध्यक्ष हैं। पाकिस्तान की पूर्व पीएम बेनजीर भुट्टो उनकी पत्नी थीं। बेटे बिलावल भुट्टो पाकिस्तान की सियासत में तेजी से उभरे हैं। नई सरकार में जरदारी भले ही पद न लें, लेकिन बिलावल को अहम भूमिका मिल सकती है। जरदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला काफी चर्चा में रहा था। इमरान नवाज और जरदारी दोनों परिवारों पर काफी आक्रामक रहे थे। ऐसे में जब सरकार के खिलाफ नाराजगी बढ़ने लगी तो प्रमुख विपक्षी दलों ने मिलकर पाकिस्तान डेमोक्रैटिक मूवमेंट नाम से गठबंधन बनाया था। इसमें जरदारी की बड़ी भूमिका थी।

इमरान को बेचैन करने वाले मौलाना
69 साल के मौलाना फजलुर रहमान विपक्ष के तीसरे बडे़ चेहरे हैं। वह पाकिस्तान की सबसे बड़ी धार्मिक पार्टी और सुन्नी कट्टरपंथी जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम के प्रमुख हैं। उनके पिता खैबर पख्तूनख्वा के सीएम रह चुके हैं। वह तालिबान समर्थक माने जाते हैं लेकिन हाल के वर्षों में वह उदारवादी बनकर सामने आए हैं। वह इमरान के प्रबल विरोधी रहे हैं और वह राष्ट्रपति चुनाव भी लड़ चुके हैं। उनके सियासी कद का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि नवाज शरीफ की सरकार ने मौलाना को केंद्रीय मंत्री का दर्जा दिया था।

एक समय जब बेनजीर भुट्टो पाकिस्तान की प्रधानमंत्री बन थीं तो मौलाना ने एक महिला के देश का नेतृत्व करने का विरोध किया था। हालांकि बेनजीर से मुलाकात के बाद वह शांत हो गए थे। वह तालिबान के खिलाफ अमेरिकी ऑपरेशन के विरोधी रहे हैं। परवेज मुशर्रफ ने मौलाना को नजरबंद कर दिया था। खबर यह भी थी कि 2007 में मुशर्रफ के सत्ता से बेदखल करने के लिए मौलाना ने अमेरिकी राजदूत के साथ सीक्रेट डिनर किया था। वह पाकिस्तान के पीएम भले ही नहीं बन पाए लेकिन नई सरकार में उनका भी कद बढ़ेगा।

नेशनल असेंबली का वर्तमान कार्यकाल अगस्त, 2023 में समाप्त होना था। शाहबाज शरीफ देश के नए प्रधानमंत्री चुने जा सकते हैं। शाहबाज ने कहा है कि नई सरकार प्रतिशोध की राजनीति में शामिल नहीं होगी। विश्वास मत की घोषणा के बाद शहबाज ने कहा, ‘मैं अतीत की कड़वाहट में वापस नहीं जाना चाहता। हमें इसे भूलकर आगे बढ़ना होगा। हम कोई बदले की कार्रवाई या अन्याय नहीं करेंगे। हम बिना वजह किसी को जेल नहीं भेजेंगे।’

विश्वास मत के नतीजे के बाद पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी ने देश के इतिहास में पहली बार किसी प्रधानमंत्री के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित होने पर सदन को बधाई दी। शनिवार को देर रात को मतदान में संयुक्त विपक्ष को 342-सदस्यीय नेशनल असेंबली में 174 सदस्यों का समर्थन मिला, जो प्रधानमंत्री को अपदस्थ करने के लिए आवश्यक बहुमत 172 से अधिक रहा। किसी भी पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं किया है।



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