पाकिस्तानी नागरिकों को आरटीआई का जवाब न मिलने पर भारतीयों के साथ संबंध बिगड़ने की सम्भावना जताई

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भारतीय उच्चायोग ने पाकिस्तानी नागरिकों को मेडिकल वीजा से संबंधित एक आरटीआई का जवाब देने से इनकार कर दिया है. जवाब न देने के पीछे भारत-पाकिस्तान के संबंध खराब होने की दुहाई दी गई है.

पाकिस्तान के साथ संबंध काफी खराब हो जाने के बाद पिछले साल मई महीने में पाकिस्तानियों को मेडिकल वीजा देने के संबंध में नई नीति बनाई गई थी. जिसके तहत विदेशी मामलों में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के सलाहकार सरताज अजीज ने मेडिकल वीजा देने की सिफारिश की थी. यही कारण है कि पाकिस्तानी नागरिकों को मेडिकल वीजा दिए जाने का फैसला किया गया था.

मुंबई के आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली आरटीआई के जरिए जानना चाहते थे कि विदेश मंत्रालय इस नीति का पालन कर रहा है कि नहीं? गलगली ने 15 नवंबर 2017 को विदेश मंत्रालय से दो सवालों के जवाब मांगे थे. वे जानना चाहते थे कि 10 मई 2017 से 1 दिसंबर 2017 तक कितने पाकिस्तानी नागरिकों को मेडिकल वीजा दिया गया और इनमें से कितने मामलों में सरताज अजीज ने सिफारिश की थी. इसके अलावा मौजूदा वीजा नीति में बदलाव से जुड़ी जानकारी भी मांगी गई थी. विदेश मंत्रालय ने आरटीआई गृहमंत्रालय को भेज दिया था.

गृहमंत्रालय के विदेश विभाग ने जानकारी दी कि इस दौरान कुल 380 पाकिस्तानी नागरिकों को वीजा दिया गया. साथ ही वीजा नीति में किसी तरह के बदलाव की बात से भी इनकार किया गया. लेकिन कितने मेडिकल वीजा सरताज अजीज की रिफारिश पर दिए गए इसकी जानकारी साझा करने से इनकार कर दिया गया. इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग के द्वितीय राजकीय सचिव अविनाश कुमार सिंह ने यह जानकारी देने से इनकार करते हुए दलील दी है कि यह जानकारी देने से भारत-पाकिस्तान के आपसी संबंध बिगड़ेंगे.

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इसी बीच मंत्रालय का जवाब देते हुये गलगली का कहना है कि मैने नीति के पालन से जुड़ी जानकारी मांगी थी इससे संबंध कैसे खराब होंगे. उन्होंने कहा कि पॉलिसी सरकार ने खुद बनाई है. लिहाजा मैं उम्मीद करता हूं कि इन आंकडों को सरकार को खुद ही सार्वजनिक करे.