मोर एक चिड़िया है जो अंडे नहीं देता, तो मोर के बच्चे कैसे जन्म लेते हैं?

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मोर एक चिड़िया है जो अंडे नहीं देता, तो मोर के बच्चे कैसे जन्म लेते हैं?
मोर एक चिड़िया है जो अंडे नहीं देता, तो मोर के बच्चे कैसे जन्म लेते हैं?मोर एक चिड़िया है जो अंडे नहीं देता, तो मोर के बच्चे कैसे जन्म लेते हैं?

वैज्ञानिकों के अनुसार मोर और मोरनी में एवियन प्रजनन अंग होता है जिसे ‘क्लोअका’ कहा जाता है. जिस माध्यम से दोनो ही संबंध बनाते है. मोर और मोरनी का संभोग महज चंद सेकेंड्स के लिए होता है. मोर-मोरनी के संबंध बनने के बाद ही मोरनी गर्भवती होती है. मोर के पास शुक्राणु होते है और मोरनी के पास अंडे. मोर के शुक्राणु मोरनी के क्लोअका में जाकर अंडों को निषेचित करते हैं.

राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश महेश चंद शर्मा द्वारा मोर के ब्रह्मचर्य को लेकर किए दावे को भारत के पक्षी विशेषज्ञों ने ख़ारिज कर दिया है. दरअसल बुधवार को अपने कार्यकाल के आख़िरी दिन जस्टिस शर्मा ने कोर्ट के बाहर मीडिया से बातचीत में कहा, ‘हमने मोर को राष्ट्रीय पक्षी इसलिए घोषित किया है क्योंकि वह आजीवन ब्रह्मचारी रहता है. उसके जो आंसू निकलते हैं, मोरनी उसे चुगकर गर्भवती होती है. मोर कभी भी मोरनी के साथ सेक्स नहीं करता.

इतना ही नहीं जस्टिस शर्मा के अनुसार, ‘मोर पंख को भगवान कृष्ण ने इसलिए लगाया क्योंकि वह ब्रह्मचारी है. साधु-संत भी इसलिए मोर पंख का इस्तेमाल करते हैं. मंदिरों में इसलिए मोर पंख लगाया जाता है. ठीक इसी तरह गाय के अंदर भी इतने गुण हैं कि उसे राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाना चाहिए.

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मोर सभी सामान्य पक्षियों की तरह ही प्रजनन करता है. इस तरह के बयान के पीछे किसी भी तरह का वैज्ञानिक तर्क नहीं है. जस्टिस शर्मा के इसी बयान को लेकर काफी चर्चा हुई थी. सोशल मीडिया पर आलोचना कर इसका मजाक भी उड़ाया है.

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वहीं वैज्ञानिकों ने इस पर रिसर्च किया है. जिसमें यह दर्शाया गया है कि मोर और मोरनी में एवियन प्रजनन अंग होता है, जिसे ‘क्लोअका’ कहा जाता है. जो भागीदारों के बीच शुक्राणुओं को स्थानांतरित करता है. जिससे यह बात साफ होती है कि मोर और मोरनी भी अन्य पक्षियों की तरह ही प्रजनन करते हैं. उनके बीच संभोग का वक़्त महज़ कुछ पलों का होता है इसलिए पक्षियों पर शोध करने वाले भी इस प्रक्रिया को देख नहीं पाते.