PM Kisan Yojna: पात्र किसान की मौत के बाद किसे और कैसे मिलेगा लाभ, यहां जानें | What process to get benefits of Kisan Samman Nidhi after death | Patrika News
ये है नियम प्रकिया आपको बता दें कि उप्र राजस्व संहिता 2006 की धारा 33 के मुताबिक, उत्तराधिकारी द्वारा किसी भूमि पर कब्जा प्राप्त करने वाला प्रत्येक व्यक्ति उस हल्के के, जिसमें भूमि स्थित है, राजस्व निरीक्षक को ऐसे उत्तराधिकार के संबंध में यथाविहित प्रपत्र में रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा। वहीं उपधारा (1) के अधीन रिपोर्ट प्राप्त करने पर उसपर संज्ञान या फिर अन्यथा तथ्य आने पर राजस्व निरीक्षक यदि मामला विवादग्रस्त नहीं है तो ऐसे उत्तराधिकारी को अधिकारी अभिलेख यानी खतौनी में अभिलिखित किया जाएगा।
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कार्य क्षेत्र का विवरण निर्धारित यदि किसान निधि पाने वाले पात्र व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है कि कृषि विभाग के फील्ड अधिकारियों को उनके कार्य क्षेत्र का विवरण निर्धारित कर दिया जाएगा। साथ ही तहसील/विकास खंड को भी प्रेषित कर दिया जाएगा। इसके अलावा संबंधित राजस्व कर्मी का दायित्व होगा कि वह विरासत दर्ज करते ही मृतक का विवरण संबंधित कृषि विभाग के फील्ड अधिकारी को भेजा जाएगा, जिससे उनका भविष्य की किस्तों का भुगतान रोका जा सके। वहीं कृषि विभाग के अधिकारी/फील्ड लेवल कर्मचारी नियमित रूप से अपने कार्य क्षेत्र के राजस्व कर्मियों/लेखपाल से ये जानकारी हासिल कर सकते हैं कि उनके क्षेत्र में अनिवार्यत: कितने कृषिक/कृषि भू-स्वामियों की मृत्यु हुई है।
वारिस होंगे चिन्हित आपको बता दें कि मृतक लाभार्थी के आश्रित भी स्वयं मृत्यु की सूचना इस आशा के साथ दे सकते हैं कि वारिसों को पीएम किसान के लाभार्थी के रूप में चिन्हित किया जाए। वहीं सूचना प्राप्त होने पर मृतक लाभार्थी का जिला स्तर पर ही स्टॉप पेमेंट संबंधित उप निदेशक, कार्यालय द्वारा किया जाएगा एवं उस प्रकरण का विवरण साक्ष्य सहित निदेशालय को भेजा जाएगा। निदेशालय द्वारा ऐसे प्रकरणों का डेटा डिलीट करते हुए उस लाभार्थी का कारणों सहित सूची से नाम हटा दिया जाएगा, जिससे भविष्य में उनका भुगतान रुक सके।
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ऐसे होता है चयन दरअसल पीएम किसान योजना की भारत सरकार द्वारा जारी गाइड-लाइन में दी गई व्यवस्थानुसार मृतक लाभार्थी के वैध उत्तराधिकारियों को यदि वह योजना की गाइडलाइन के अनुसार पात्रता श्रेणी में आता है तो सभी औपचारिकता को पूरा करने के बाद अभिलेख उसका सत्यापन कराता है। इसके बाद राजस्व विभाग से पुष्टि और संस्तुति होने के बाद पीएम किसान निधि के लाभार्थी के रूप में ऑनलाइन पंजीकरण कराया जाता है। हालांकि इसके लिए भी उत्तराधिकारी के आधार कार्ड की फोटो, बैंक खाते की फोटो और स्व-घोषणा प्रपत्र लेने के बाद संबंधित राजस्व कर्मी से भूमि का सत्यापन कराते हुए उनका लाभार्थी के रूप में चयन किया जाता है। वहीं आयकर अधिनियम, 1961 के प्रावधानों के संदर्भ में समस्त भूमिधर अप्रवासी भारतीय (एनआरआई) किसान परिवारों को योजना के तहत लाभ से बाहर रखा गया है।
ये है नियम प्रकिया आपको बता दें कि उप्र राजस्व संहिता 2006 की धारा 33 के मुताबिक, उत्तराधिकारी द्वारा किसी भूमि पर कब्जा प्राप्त करने वाला प्रत्येक व्यक्ति उस हल्के के, जिसमें भूमि स्थित है, राजस्व निरीक्षक को ऐसे उत्तराधिकार के संबंध में यथाविहित प्रपत्र में रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा। वहीं उपधारा (1) के अधीन रिपोर्ट प्राप्त करने पर उसपर संज्ञान या फिर अन्यथा तथ्य आने पर राजस्व निरीक्षक यदि मामला विवादग्रस्त नहीं है तो ऐसे उत्तराधिकारी को अधिकारी अभिलेख यानी खतौनी में अभिलिखित किया जाएगा।
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कार्य क्षेत्र का विवरण निर्धारित यदि किसान निधि पाने वाले पात्र व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है कि कृषि विभाग के फील्ड अधिकारियों को उनके कार्य क्षेत्र का विवरण निर्धारित कर दिया जाएगा। साथ ही तहसील/विकास खंड को भी प्रेषित कर दिया जाएगा। इसके अलावा संबंधित राजस्व कर्मी का दायित्व होगा कि वह विरासत दर्ज करते ही मृतक का विवरण संबंधित कृषि विभाग के फील्ड अधिकारी को भेजा जाएगा, जिससे उनका भविष्य की किस्तों का भुगतान रोका जा सके। वहीं कृषि विभाग के अधिकारी/फील्ड लेवल कर्मचारी नियमित रूप से अपने कार्य क्षेत्र के राजस्व कर्मियों/लेखपाल से ये जानकारी हासिल कर सकते हैं कि उनके क्षेत्र में अनिवार्यत: कितने कृषिक/कृषि भू-स्वामियों की मृत्यु हुई है।
वारिस होंगे चिन्हित आपको बता दें कि मृतक लाभार्थी के आश्रित भी स्वयं मृत्यु की सूचना इस आशा के साथ दे सकते हैं कि वारिसों को पीएम किसान के लाभार्थी के रूप में चिन्हित किया जाए। वहीं सूचना प्राप्त होने पर मृतक लाभार्थी का जिला स्तर पर ही स्टॉप पेमेंट संबंधित उप निदेशक, कार्यालय द्वारा किया जाएगा एवं उस प्रकरण का विवरण साक्ष्य सहित निदेशालय को भेजा जाएगा। निदेशालय द्वारा ऐसे प्रकरणों का डेटा डिलीट करते हुए उस लाभार्थी का कारणों सहित सूची से नाम हटा दिया जाएगा, जिससे भविष्य में उनका भुगतान रुक सके।
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