Pulwama Attack 5th Anniversary | सत्ता के लालची भेड़ियों ने 40 जवानों को मरवा दिया, पुलवामा शहीद दिवस पर बोले सत्यपाल मालिक | Navabharat (नवभारत)

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Pulwama Attack 5th Anniversary  | सत्ता के लालची भेड़ियों ने 40 जवानों को मरवा दिया, पुलवामा शहीद दिवस पर बोले सत्यपाल मालिक | Navabharat (नवभारत)

Pulwama Attack 5th Anniversary | सत्ता के लालची भेड़ियों ने 40 जवानों को मरवा दिया, पुलवामा शहीद दिवस पर बोले सत्यपाल मालिक | Navabharat (नवभारत)

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Pulwama Attack 5th Anniversary : आज ही के दिन 5 साल पहले (14 फरवरी 2019) भारत के इतिहास में एक और कल दिन दर्ज हुआ, जिस दिन पाकिस्तान के आतंकवादियों ने पुलवामा में हमारे सैनिकों के काफिले पर आत्मघाती हमला किया था। पाकिस्तान की आतंकियों के इस हमले में भारत के 40 जवान शहीद हुए थे। पुलवामा अटैक के दिन को भारत में पुलवामा शहीद दिवस के तौर पर मनाया जाता है। जवानों की शहादत के बाद देशभर में गुस्से का माहौल था। हालांकि भारत सरकार ने पाकिस्तान की जमीन पर एयर स्ट्राइक कर पाकिस्तान की तरफ से हुए आतंकी हमले का बदला तो लिया, लेकिन कुछ समय बाद सत्यपाल मलिक के बयान से सरकार की नाकामी सामने आई। अटैक के 5 साल पूरा हो जाने के बाद एक बार फिर सत्यपाल मलिक ने ट्वीट किया है। उन्होंने लिखा है कि सत्ता के लालची भेड़ियों ने 5 साल पहले आज ही के दिन 14 फरवरी 2019 को पुलवामा हमले में हमारे 40 जवानों को अपनी वोटो की राजनीति के चलते मरवा दिया था।  

मलिक के साथ जनता के मन में भी है सवाल 

इसके साथ ही उन्होंने पुलवामा में शहीद हुए जवानों की तस्वीर भी पोस्ट की है और उस भयावर दृश्य को भी तस्वीर के माध्यम से दिखाया है जो हमले के तुरंत बाद मीडिया में छपी थी। साथ ही उन्होंने शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि भी दी है। हर साल पुलवामा हमले में शहीद हुए जवानों को नेता और लोग सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि देते हैं, लेकिन जो सवाल सत्यपाल मलिक ने उठाया उस पर सरकार की तरफ से खामोशी जनता को परेशान करती है। 

 

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मालिक ने किया था खुलासा 

करीब 1 साल पहले सत्यपाल मलिक ने खुलासा करते हुए यह बताया था कि पुलवामा अटैक के पहले उन्होंने सरकार को इससे जुड़ा इनपुट दिया था और जवानों के काफिले के लिए एयरक्राफ्ट की मांग की थी। जिसे देने में सरकार ने असमर्थता जताई थी और उसी के बाद आतंकियों ने इस हमले को अंजाम दिया, अगर सरकार वक्त रहते सत्यपाल मलिक की मांगों को स्वीकार कर लेती, तो 40 जवानों की आतंकी हमले में मौत नहीं होती। सत्यपाल मलिक ने उस वक्त ये  दावा किया था कि बाद में उन्हें सरकार की तरफ से इस मामले पर चुप रहने को कहा गया। मलिक ने इस मामले में जांच की मांग भी की थी, लोगों के मन में अब भी यह सवाल उठता है कि आखिरकार इतनी बड़ी मात्रा में विस्फोटक के साथ आतंकियों की गाड़ी उसे इलाके तक कैसे पहुंची। 

 

Pulwama -

पुलवामा अटैक का भारत ने लिया बदला 
14 फरवरी 2019 को आतंकियों ने देश के सुरक्षाकर्मियों पर कायराना हमला किया था और 40 जवानों की मौत हुई थी। वह दृश्य इतना भयावह था जिसने भी उसकी कवरेज मीडिया पर देखी उसका दिल दहल उठा था। भारत की जनता में पुलवामा अटैक के बाद बेहद गुस्सा साफ झलक रहा था और यही कारण है कि भारत सरकार ने 12 दिन के अंदर पुलवामा अटैक का बदला लिया। 26 फरवरी 2019 की देर रात मिराज 2000 ने ग्वालियर से उड़ान भरी। करीब 12 मिराज लड़ाकू विमान रात 3:00 बजे पाकिस्तान की सीमा में दाखिल हुए और उन्होंने बालाकोट में बम गिराना शुरू किया। पाकिस्तान में मौजूद फाइटर F-16 जेट एक्टिव हो रहे थे, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी और भारतीय वायु सेवा अपना काम पूरा कर चुकी थी।  

Balakot Attack -

 

पाकिस्तान में घुसकर 300 आतंकी मारने का दावा 

भारत सरकार ने बाद में दावा किया कि उसने बालाकोट में मौजूद जैश ए मोहम्मद के ठिकाने को पूरी तरह से तबाह कर दिया है और करीब 300 आतंकियों को मौत के घाट उतारने की जानकारी भी भारत सरकार की तरफ से दी गई। भले ही पुलवामा हमले का बदला भारत सरकार ने ले लिया हो, लेकिन सत्यपाल मलिक और रक्षा विशेषज्ञों ने जो दावा किया है, उससे यह नकारा नहीं जा सकता की 14 फरवरी को पुलवामा में जो हुआ वह टाला जा सकता था।  

 

शहीद हुए जवान 

जम्मू सेक्टर:
1. नसीर अहमद (जम्मू-कश्मीर)
2. जयमल सिंह (पंजाब)
3. सुखजिंदर सिंह (पंजाब)
4. तिलक राज (हिमाचल प्रदेश)
5. रोहिताश लांबा (राजस्थान)

श्रीनगर सेक्टर:
6. विजय सोरेंग (झारखंड)
7. वसंत कुमार वीवी (केरल)
8. सुब्रमण्यम जी (तमिलनाडुई)
9. मनोज कुमार बेहरा (ओडिशा)
10. जीडी गुरु एच (कर्नाटक)
11. नारायण लाल गुर्जर (राजस्थान)
12. महेश कुमार (उत्तर प्रदेश)
13. प्रदीप कुमार (उत्तर प्रदेश)
14. हेमराज मीना (राजस्थान)
15. पीके साहू (ओडिशा)
16. रमेश यादव (उत्तर प्रदेश)
17. संजय राजपूत (महाराष्ट्र)
18. कौशल कुमार रावत (उत्तर प्रदेश)
19. प्रदीप सिंह (उत्तर प्रदेश)
20. श्याम बाबू (उत्तर प्रदेश)
21. अजीत कुमार आज़ाद (उत्तर प्रदेश)
22. मनिंदर सिंह अत्री (पंजाब)
23. बब्लू संतरा (पश्चिम बंगाल)
24. अश्वनी कुमार काओची (मध्य प्रदेश)
25. राठौड़ नितिन शिवाजी (महाराष्ट्र)
26. भागीरथी सिंह (राजस्थान)
27. वीरेंद्र सिंह (उत्तराखंड)
28.अवधेश कुमार यादव (उत्तर प्रदेश)
29. रतन कुमार ठाकुर (बिहार)
30. कनकज कुमार त्रिपाठी (उत्तर प्रदेश)
31. जीत राम (राजस्थान)
32. अमित कुमार (उत्तर प्रदेश)
33. विजय क्र. मौर्य (उत्तर प्रदेश)
34. कुलविंदर सिंह (पंजाब)
35. मनेश्वर बसुमतारी (असम)
36. मोहन लाल (उत्तराखंड)
37. संजय कुमार सिन्हा (बिहार)
38. राम वकील (उत्तर प्रदेश)

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